आज के दौर में यह बात आम मानी जा सकती है कि स्त्री पुरुषों से किसी भी मामले में पीछे नहीं है. आज हर क्षेत्र में स्त्री पुरुषों के समानांतर चल रही है, लेकिन लोगों को यह बात जानकर हैरानी हो सकती है कि प्राचीन भारत के महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में हजारों साल पहले लिख चुके हैं कि कुछ क्षेत्रों में महिलाएं पुरुषों पर कई गुना भारी पड़ती हैं. चाणक्य नीति के अनुसार पुरुष कुछ मामलों में महिलाओं को किसी भी सूरत में मात नहीं दे सकते. पुरुषों को न चाहते हुए भी महिलाओं के इन गुणों के आगे सिर झुकाना ही पड़ता है. आचार्य का लिखा यह श्लोक तो इसी बात की पुष्टि करता है. यह भी पढ़ें: सपने में समुद्र, नदी अथवा स्वीमिंग पूल आदि दिखने का क्या अर्थ हो सकता है? जानें क्या कहता है स्वप्न शास्त्र?
स्त्रीणां द्विगुण अहारो लज्जा चापि चतुर्गुणा
साहसं षडगुणं चैव कामश्चाष्टगुणः स्मृतः
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की क्रियावृत्ति की तुलना करते हुए कहते हैं कि स्त्रियों में आहार दुगुना, लज्जा चौगुनी, साहस छः गुना तथा कामोत्तेजना आठ गुना ज्यादा होती है.
यहां स्त्री के बारे में जो भी बात आचार्य चाणक्य ने कही है, उसकी निंदा नहीं बल्कि गुण की दृष्टि से प्रशंसा की जाती है कि स्त्रियों का आहार पुरुष से दुगना होता है, लज्जा चौगुनी होती है, किसी भी बुरे काम को करने का साहस स्त्री में पुरुष से छह गुना अधिक होता है तथा कामोत्तेजना संभोग की इच्छा पुरुष की तुलना में आठ गुना अधिक होती है, और यह गुणवत्ता उनके शारीरिक दायित्व जिसका वे विवाहोपरांत वहन करती है, के कारण होती है. स्त्रियों को गर्भधारण करना होता है. संतानोत्पत्ति के बाद उसका पालन-पोषण करना पड़ता है या पूरी प्रक्रिया में उन्हें कितना कष्ट उठाना पड़ता है, इसकी कल्पना स्त्री के अलावा दूसरा अन्य कोई कैसे कर सकता है. बांझ क्या जाने प्रसव की पीड़ा! प्रसव पीड़ा झेलना या होने के गौरव के सामने एक सामान्य प्रक्रिया होकर रह जाती है.
जहां तक काम-भावना का प्रश्न है, तो पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में काम भावना कई गुना अधिक होती है, क्योंकि मैथुन के बाद वीर्य स्खलन के साथ काम शांति और काम वैराग्य भी उत्पन्न होता है. स्त्रियों में भी काम शांति होती है, साथ ही अतृप्तावस्था में स्वाभाविक क्रिया न होने पर अन्य पुरुष से संबंध कायम करने की प्रबल भावना उसमें वेश्यापन (परपुरुषगामी) ला देती है, लेकिन पुरुषों में तत्काल ऐसी क्रियाएं नहीं देखी जातीं. अतः काम-भावना का पुरुष की अपेक्षा स्त्रियों में अधिक होना अनुमानित किया गया है.