दुनिया के लगभग हर देश में अलग-अलग तिथियों पर शिक्षक दिवस (Teachers' Day) मनाया जाता है. यहां तक कि 5 अक्टूबर को हम संयुक्त रूप से ‘विश्व शिक्षक दिवस’ भी सेलीब्रेट करते हैं. एक आंकड़े के अनुसार लगभग 100 देशों में राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है, इसी से इस दिवस विशेष की महत्ता को समझा जा सकता है. हमारे देश भारत में प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता है. आइये जानें यहां 5 सितंबर को ही शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है तथा इस दिवस विशेष की क्या महत्ता है और कैसे करते हैं हम इसे सेलीब्रेट?
भारत में शिक्षक दिवस का महत्ता
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
अर्थात गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, और गुरु ही शिव है. ऐसे सद्गुरू को साक्षात प्रणाम! संस्कृत की यह दो पंक्तियों में उल्लेखित श्लोक दर्शाता है कि हमारे देश में गुरुओं का स्थान ईश्वर से भी ऊपर रहा है. इस तरह समाज में शिक्षक को सर्वोपरि मानते हुए प्रत्येक 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इसी दिन स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति भारत-रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था, वे एक मेधावी छात्र थे और उन्होंने अपने करियर का ज्यादा वक्त एक शिक्षक के रूप में बिताया था. इसीलिए शिक्षक दिवस के लिए उनके जन्म दिन को चुना गया. शिक्षक दिवस की तिथि की आधिकारिक घोषणा यूनेस्को ने किया था. समाज में शिक्षक की महत्ता को स्वीकारते हुए दुनिया के लगभग हर देश में भिन्न-भिन्न तिथियों पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है. चीन में 10 सितंबर को, यूनाइटेड किंगडम में 9 मई तो संयुक्त राज्य अमेरिका में मई के पहले सप्ताह के मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया में अक्तूबर के अंतिम शुक्रवार, ब्राजील में 15 अक्तूबर और पाकिस्तान में 5 अक्तूबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. 5 अक्टूबर 1994 से पूरी दुनिया में विश्व शिक्षक दिवस अथवा अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है.
कैसे मनाया जाता है शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस शिक्षकों और छात्रों के बीच संबंधों को मनाने और एक साथ समय शेयर करने का एक खास अवसर होता है. इसलिए, इस दिन शिक्षक अपने शिक्षकों से मिलने की कोशिश करते हैं. लेकिन कोरोना महामारी के कारण स्कूल-कॉलेज दो साल से बंद हैं. पूर्व के सालों में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में तमाम मनोरंजक, शिक्षाप्रद एवं प्रेरक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था, जिसमें विद्यार्थी एवं शिक्षक दोनों शामिल होते थे. इस अवसर पर दोनों ही गुरु-शिष्य परंपरा को बनाये रखने का संकल्प लेते थे. इस अवसर पर शिक्षक की महत्ता को रेखांकित करते हुए बताया जाता था कि बिना शिक्षक के कोई डॉक्टर, इंजीनियर, एडवोकेट, सीए नहीं बन सकता. यहां तक कि भगवान को भी ईश्वरत्व पाने के लिए गुरुओं के पास जाना पड़ा था. इस दिन विद्यार्थी अपने शिक्षक को पुष्प गुच्छ, बधाई पत्र एवं गिफ्ट भेंट कर उनके प्रति सच्ची आस्था एवं श्रद्धा भाव दर्शाते हैं. आज कोविड-19 की महामारी में भी शिक्षक हमें ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं. हमें सोशल मीडिया के जरिये अपने शिक्षकों के प्रति आभार प्रकट करना चाहिए.