National Consumer Day 2024: क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस? जानें उपभोक्ताओं के अधिकार एवं भारत में उपभोक्ता संरक्षण कानून के बारे में!
National Consumer Day (img: file photo)

     भारत में प्रत्येक वर्ष 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है. गौरतलब है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम भारत के राष्ट्रपति की सहमति से लागू हुआ था. उपभोक्ता आंदोलन में यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम एक ऐतिहासिक माइल स्टोन माना जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं के आंदोलन के महत्व एवं उपभोक्ताओं के अधिकारों और दायित्वों के बारे में जागरूक करना है. राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के अवसर पर आइये जानते हैं, इस दिवस के महत्व, इतिहास, उपभोक्ताओं के अधिकार तथा भारत में उपभोक्ता संरक्षण कानून के बारे में

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस का महत्व

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस उपभोक्ताओं के अधिकारों और संरक्षण में प्रगति को प्रतिबिंबित करने का महत्वपूर्ण अवसर है. यह दिवस उपभोक्ता अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद करता है. विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां जानकारी हासिल करना दुष्कर होता है. यह उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करके, वस्तुओं और सेवाओं को खरीदते समय निर्णय लेने में मदद करके उन्हें सशक्त बनाता है. यह अवसरव्यवसायों को उपभोक्ताओं के प्रति नैतिक जिम्मेदारियों की याद दिलाती है. उन्हें उचित प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. यह दिन उपभोक्ता संरक्षण तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर देता है. कानून और विवाद समाधान तंत्र में निरंतर सुधार की वकालत करता है.

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस का इतिहास

  राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस प्रत्येक वर्ष 24 दिसंबर को मनाया जाता है. दरअसल 1986 में इसी दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को विधेयक के रूप में पारित किया गया थाइस अधिनियम को लागू करने के बादउपभोक्ताओं को शोषण और अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचाने के लिए मजबूत आधार मिला. इसके अलावा हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है. इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि इसी दिन साल 1962 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने कांग्रेस को संबोधित किया था. इस संबोधन में उन्होंने औपचारिक रूप से उपभोक्ता अधिकारों को मान्यता दी थी.

उपभोक्ताओं के अधिकार!

  राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस का मुख्य पहलू उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देना है. ये अधिकार उपभोक्ताओं से उचित व्यवहार के लिए सुनिश्चित किये गए हैं. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसारप्रत्येक उपभोक्ताओं को इसका हक है. जानें विधि-सम्मत उपभोक्ताओं के मूल अधिकार.

सुरक्षा का अधिकार: उपभोक्ताओं को उन वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा पाने का अधिकार है, जो जीवन के लिए खतरनाक हैं.

सूचना का अधिकार: उपभोक्ताओं को उनके खरीदे उत्पाद या सेवा के बारे में जानकारी देने का अधिकार हैजिसमें सामग्रीउपयोग निर्देश और जोखिम शामिल हैं.

चुनने का अधिकार: उपभोक्ताओं को उचित मूल्यों पर विभिन्न उत्पादों एवं सेवाओं तक पहुंच होनी चाहिए.

अपनी बात कहने का अधिकार: उपभोक्ताओं को शिकायत का अधिकार है.

शिकायत एवं निवारण अधिकार: उपभोक्ता को नुकसान या शोषण होने पर उन्हें मुआवजा का अधिकार है.

उपभोक्ता अधिकारों की शिक्षा का अधिकार: उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों हेतु शिक्षित करना चाहिए.

भारत में उपभोक्ता संरक्षण कानून

भारत सरकार ने उपभोक्ता हितों की रक्षा के उद्देश्य से कई कानून स्थापित किए हैं:

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम1986: यह अधिनियम उपभोक्ता विवादों के निपटारे के लिए उपभोक्ता परिषदों और अन्य प्राधिकरणों की स्थापना का प्रावधान करता है.

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम2019: ई-कॉमर्सउत्पाद दायित्वमध्यस्थता और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की स्थापना के प्रावधानों को पेश करते हुएपहले 1986 अधिनियम का आधुनिकीकरण किया गया.

लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट2009: यह कानून भारत में बेची जाने वाली वस्तुओं के माप मानकों को नियंत्रित करता है.

खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम2006: यह अधिनियम खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है और खाद्य उत्पादों को नियंत्रित करता है.