Makar Sankranti 2022:  क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति का पर्व? जानें इसकी धार्मिक एवं खगोलीय मान्यताएं, पूजा विधि एवं पौराणिक कथा?
मकर संक्रांतीच्या हार्दिक शुभेच्छा (File Image)

मकर संक्रान्ति देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्वों में एक है. पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, उसी दिन मकर संक्रान्ति का पर्व मनाया जाता है. देश में विभिन्न धर्म एवं संस्कृतियों के लोगों का निवास होने के कारण विभिन्न राज्यों में मकर संस्क्रान्ति का पर्व विभिन्न नामों एवं रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है. उत्तर भारत में इसे ‘मकर संक्रान्ति’, तमिलनाडू में ‘पोंगल’, गुजरात में ‘उत्तरायण’, असम में ‘माघी पिहु’, कर्नाटक में ‘सुग्गी हब्बा’, केरल में ‘मकर विकलू’ तो जम्मू कश्मीर में ‘शिशुर संक्रांति’ आद के नाम से मनाया जाता है. सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व बताया गया है. इस वर्ष 2022 में 14 जनवरी शुक्रवार को मकर संक्रांन्ति का पर्व मनाया जायेगा.

मकर संक्रांतिः खगोलीय एवं धार्मिक मान्यताएं!

मकर संक्रान्ति के परिप्रेक्ष्य में खगोल शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र के अपने-अपने मत हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पौष मास में सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तभी मकर संक्रांति मनाई जाती है. यद्यपि संक्रान्ति साल में 12 बार सभी राशियों में आती है, लेकिन मकर और कर्क राशि में इसके प्रवेश का विशेष महत्व होता है. गौरतलब है कि मकर में सूर्य के प्रवेश के बाद दिन बड़ी एवं रातें छोटी हो जाती हैं, जबकि कर्क में सूर्य के प्रवेश के बाद रात बड़ी और दिन छोटा हो जाता है.

कृषकों का पर्व!

भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहां के अधिकांश पर्वों का संबंध कृषि पर निर्भर करता है. मकर संक्रांति का आगमन भी ऐसे ही समय होता है, जब किसान का घर खरीफ की फसलों (धान, मक्का, गन्ना, मूंगफली, उड़द) से भर जाता है इसके बाद रबी की फसल बोते हैं. इसलिए मकर संक्रांति किसानों के भी लिए महत्वपूर्व पर्व माना जाता है.

मकर संक्रांति व्रत और पूजा विधि!

सनातन धर्म में मकर संक्रान्ति के दिन गंगा-स्नान एवं दान-धर्म का विशेष महत्व होता है. यदि नदी या पवित्र सरोवर में स्नान संभव नहीं है तो घर के पानी में गंगाजल की बूंदे मिलाकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. तांबे के लोटे में जल में तिल, लाल चंदन एवं लाल फूल डालकर सूर्यदेव को अर्पित करते हुए इस मंत्र ‘ऊँ घृणि सूर्यआदित्याय नम:’ का जाप करें. तत्पश्चात सूर्य देव के सामने हाथ जोड़कर स्तुति स्वरूप निम्न मंत्रों का जाप करें. यह भी पढ़ें : Makar Sankranti 2022: उत्तरायण से माघ बिहू और थाई पोंगल तक, जानें विभिन्न भारतीय राज्यों में किस तरह से मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व

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ऊं सूर्याय नम:, ऊं आदित्याय नम:, ऊं सप्तार्चिषे नम:, ऊं सवित्रे नम:, ऊं मार्तण्डाय नम:, ऊं विष्णवे नम:, ऊं भास्कराय नम:, ऊं भानवे नम:. ऊं मरिचये नम:

इस दिन भगवान विष्णुजी का विशेष महत्व होता है, इसलिए विष्णुजी का ध्यानकर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें, एवं शुभ मुहूर्त के अनुसार पूजा करें और सामर्थ्यनुसार किसी ब्राह्मण को वस्त्र, तिल-गुड़ एवं चावल-उड़द दाल खिचड़ी आदि दान करें.

मकर संक्रांति 14 जनवरी 2022 (शुक्रवार) शुभ मुहूर्त!

पुण्य काल मेः 02:43 PM से 05:45 PM तक

महापुण्य काल मेः 02:43 PM बजे से 04:28 PM तक

मकर संक्रान्ति की पौराणिक कथा

हिंदू धर्म कथाओं के अनुसार इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के पास सारे मतभेदों को दूर करने के लिए जाते हैं. इस समय शनिदेव मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं. इसीलिए माना जाता है कि इस दिन जब कोई पिता अपने पत्र के पास जाता है तो उसकी तमाम समस्याओं का समाधान हो जाता है. हिंदू धर्म की एक अन्य मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में जब वे अर्जुन की बाणों से घायल हो गये, तब उन्होंने ईच्छा-मृत्यु वरदान स्वरूप मकर संक्रान्ति के दिन ही देह त्यागा था, और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी.