Makar Sankranti 2022: उत्तरायण से माघ बिहू और थाई पोंगल तक, जानें विभिन्न भारतीय राज्यों में किस तरह से मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits : Wikimedia)

Makar Sankranti 2022: सनातन धर्म में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को फसलों के महत्वपूर्ण त्योहारों (Festival of Harvest) में से एक माना जाता है, जो भगवान सूर्य (Lord Surya) को समर्पित है. नए साल के पहले त्योहार मकर संक्रांति को देश के विभिन्न हिस्सों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. हालांकि इस त्योहार को भारत के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न नामों से जाना जाता है और इसे लोग अपनी-अपनी स्थानीय परंपराओं के साथ मनाते हैं. वैसे तो हर जगह 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती है, क्योंकि इसी दिन से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं. इसके साथ ही इस पर्व को सर्दियों के मौसम के अंत का प्रतीक भी माना जाता है. मकर संक्रांति मुख्य रूप से रबी के फसलों की कटाई की खुशी में मनाई जाती है. इसका हमारे जीवन में सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृति और आध्यात्मिक महत्व भी है. चलिए जानते हैं देश के विभिन्न हिस्सों में मकर संक्रांति को किस नाम से जाना जाता है और इसे कैसे मनाया जाता है.

थाई पोंगल- तमिलनाडु

तमिलनाडु में इस पर्व को चार दिनों तक मनाया जाता है. पहला दिन भोगी पांडिगई, दूसरा दिन थाई पोंगल, तीसरा दिन मट्टू पोंगल और चौथे दिन कानुम पोंगल मनाया जाता है. इस पर्व के दौरान लोग नए कपड़े पहनते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं.

उत्तरायण- गुजरात

गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है, जिसे दो दिन तक मनाया जाता है. 14 जनवरी को उत्तरायण और 15 जनवरी को वासी उत्तरायण मनाया जाता है. इस दौरान आसमान में विभिन्न आकारों और रंगीन पतंगों को उड़ाकर पतंगबाजी की जाती है. इन दो दिनों के दौरान लोग चिक्की, सूखे मेवे और तिल से बनी मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं.  यह भी पढ़ें: Lala Ramswaroop Calendar 2022 Free PDF Download: लाला रामस्वरूप रामनारायण पंचांग करें मुफ्त में डाउनलोड, यहां देखें नए साल के व्रत, त्योहार और छुट्टियों की पूरी लिस्ट

मकर संक्रांति- महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में मकर संक्रांति के त्योहार को तीन दिनों तक मनाया जाता है. इस दौरान लोग बहुरंगी हलवा और तिल-गुड़ के लड्डू का आदान-प्रदान करते हैं. इन मिठाइयों  को बांटते समय लोग सद्भावना के प्रतीक के रूप में ‘तिल-गुल घ्या आनी गोड़-गोड़ बोला’ जैसे शब्द कहते हैं.

मकर चौला- ओडिशा

ओडिशा में लोग देवी-देवताओं को नैवेद्य के लिए मकर चौला या कच्चा चावल, नारियल, गुड़, केला, तिल, रसगोला, खाई का हलवा तैयार करते हैं. भक्त इस दिन कोणार्क मंदिर में भगवान सूर्य की पूजा भी करते हैं.

माघ बिहू- असम

असम में फसल की कटाई के मौसम के अंत का जश्न बिहू के तौर पर मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन तैयार फसलों को घरों में जमा किया जाता है. बोनफायर का आयोजन किया जाता है, टेकेली भोंगा जैसे खेल खेले जाते हैं. इसके अलावा शुंग पीठ और तिल पिठा जैसे लजीज व्यंजन बनाकर इस पर्व को मनाया जाता है.