Kartik Purnima 2021: कब है कार्तिक पूर्णिमा? जानें पूजन विधि, मुहूर्त एवं महत्व!

कार्तिक पूर्णिमा अन्य सभी पूर्णिमा में श्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ श्रीहरि एवं माता लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है. हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत महत्व है. हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह शुक्लपक्ष की आखिरी तारीख को पूर्णिमा होती है.

लाइफस्टाइल Rajesh Srivastav|
Kartik Purnima 2021: कब है कार्तिक पूर्णिमा? जानें पूजन विधि, मुहूर्त एवं महत्व!
कार्तिक पूर्णिमा 2020 (Photo Credits: File Image)
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Kartik Purnima 2021: कब है कार्तिक पूर्णिमा? जानें पूजन विधि, मुहूर्त एवं महत्व!

कार्तिक पूर्णिमा अन्य सभी पूर्णिमा में श्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ श्रीहरि एवं माता लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है. हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत महत्व है. हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह शुक्लपक्ष की आखिरी तारीख को पूर्णिमा होती है.

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कार्तिक पूर्णिमा 2020 (Photo Credits: File Image)

कार्तिक पूर्णिमा अन्य सभी पूर्णिमा में श्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ श्रीहरि एवं माता लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है. हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत महत्व है. हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह शुक्लपक्ष की आखिरी तारीख को पूर्णिमा होती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है, इसलिए इसे पूर्णिमा कहा जाता है. इस वर्ष यह पर्व 19 नवंबर 2021, शुक्रवार को मनाया जायेगा. इस दिन स्नान-दान आदि का बहुत महत्व है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के साथ-साथ श्रीहरि की पूजा का भी विशेष विधान है, क्योंकि हिंदू धर्म के अनुसार पूर्णिमा का दिन श्रीहरि को समर्पित दिन होता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का संहार किया था. इसी खुशी में देवताओं मे दीप जलाकर खुशियां मनाई थी. इसे देव दीवाली के रूप में भी जाना जाता है.

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व!

कार्तिक पूर्णिमा साल की सभी पूर्णिमाओं में सर्वाधिक पवित्र पूर्णिमा माना जाता है. इस दिन दान-पुण्य के कार्य जरूर करने चाहिए. यदि तिथि के दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा तथा विशाखा नक्षत्र पर सूर्य बैठा हो तो पद्मक योग का निर्माण होता है, जो बेहद दुर्लभ योग माना जाता है. लेकिन इस दिन यदि कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और बृहस्पति विराजमान हों तो यह महापूर्णिमा कहलाती है. इस दिन सायंकाल के समय भगवान शिव की पूजा एवं दीपदान की परंपरा है. ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसीलिए इस दिन को त्रिपुरारि पूर्णिमा भी कहते हैं.

पूजा विधि!

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व गंगा नदी, किसी पवित्र नदी, सरोवर अथवा कुंड में स्नान करें. अगर यह सुलभ नहीं है तो नल के पानी में गंगा जल की कुछ बूंदे मिलाकर स्नान कर सकते हैं. इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर विष्णुजी के समक्ष शुद्ध देसी घी का दीपक जलायें. उनके मस्तक पर तिलक कर धूप-दीप, फल, फूल वह नैवेद्य से विधिवत् पूजन करें. संध्याकाल में श्रीहरि की पूजा करें. अब शुद्ध घी में आटा भूनकर पंजीरी और पंचामृत बना कर प्रसाद के रूप में चढ़ाएं. अंत में विष्णु जी के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करते हुए आरती उतारें. चंद्रमा निकलने के बाद अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें. यह भी पढ़ें : Children’s Day 2021: जवाहरलाल नेहरू जयंती पर ही क्यों मनाया जाता है बाल दिवस? ‘पिता का पत्रः पुत्री के नाम’ कहीं इस उद्देश्य से तो नहीं लिखा गया?

दान का विधान

इस दिन किए गए दान से अक्षुण्य फलों की प्राप्ति होती है. इस दिन वस्त्र, भोजन,घी, कंबल, धन, गाय, घोड़ा दान करने का विधान है, ऐसा करने से बुरे ग्रह दूर होते हैं, घर-परिवार में खुशहाली आती है. इस दिन व्रती को घर में हवन जरूर करना या करवाना चाहिए, इससे घर में बरकत और खुशहाली आती है.

कार्तिक पूर्णिमा (19 नवंबर) शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा आरंभ: 12.02 AM (18 नवंबर 2021) से पूर्णिमा समाप्त: 02.29 PM (19 नवंबर 2021) तक

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