संयुक्त राष्ट्र (United Nation) ने 20 नवंबर 1954 के दिन बाल दिवस मनाने की घोषणा की थी. इसी तिथि पर भारत में भी बाल दिवस मनाने की शुरुआत हुई. लेकिन 27 मई 1964 को पं. जवाहर लाल नेहरू के ह्रदयाघात से हुई अचानक निधन के पश्चात कांग्रेस ने सर्वसम्मति से पंडित नेहरू की जन्म-तिथि 14 नवंबर को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाने की सार्वजनिक घोषणा की. उनकी दलील थी कि पंडित नेहरू बच्चों से बहुत प्यार करते थे, और बच्चे भी उन्हें चाचा नेहरू कहते थे. आइये जानें किन कारणों से नेहरू जी के जन्म दिन पर बाल दिवस क्यों मनाया जाता है?
पंडित नेहरू का संक्षिप्त परिचय
पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर को प्रयागराज (पूर्व नाम इलाहाबाद) के बाल भवन में हुआ था. उनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू उस जमाने में देश के सबसे लोकप्रिय और महंगे वकील हुआ करते थे. इसलिए नेहरूजी की परवरिश बड़े शान-ओ-शौकत से हुई थी. मां का नाम स्वरूप रानी नेहरू था. वह मोतीलाल नेहरू के इकलौते पुत्र थे, इनके अलावा मोतीलाल नेहरू की दो पुत्रियां थीं. बड़ी बहन पं. विजयलक्ष्मी बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष बनीं. गांधी जी के सम्पर्क में आने के बाद नेहरू जी भी उनके साथ आजादी की लड़ाई में कूद पड़े. यहां हम बात करेंगे कि आखिर पं. नेहरू के जन्म दिन पर ही बाल दिवस क्यों मनाया जाता है.
‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ क्या आम बच्चों के नाम संदेश है?
जिन दिनों नेहरूजी जेल या विदेशी दौरे पर होते, अथवा प्रियदर्शिनी (इंदिरा गांधी) उनसे दूर होतीं, वह उन्हें एक पत्र जरूर लिखते थे, जिनमें जीवन का सार छिपा होता था. बाद में इसे मुंशी प्रेमचंद्रजी ने ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ के नाम से अनुवाद किया. ये पत्र प्रियदर्शिनी के नाम थे, लेकिन उसका सार आम बच्चों पर लागू होता है. पुस्तक का एक अंश यहां प्रस्तुत है.
‘जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अकसर बहुत-सी बातें पूछती हो, मैं जवाब देने की कोशिश करता हूँ, लेकिन, आज तुम मसूरी में हो, मैं इलाहाबा. में, हम रूबरू बात नहीं कर सकते। मैंने सोचा है कि कभी-कभी तुम्हें इस दुनिया की और उन देशों की जो इस दुनिया में हैं, छोटी-छोटी कथाएं लिखू. तुमने हिंदुस्तान और इंग्लैंड का हाल इतिहास में पढ़ा है. इंग्लैंड एक छोटा-सा टापू है और हिंदुस्तान, बहुत बड़ा देश है, लेकिन दुनिया का एक छोटा-सा हिस्सा है. अगर तुम्हें दुनिया का हाल जानने का शौक है, तो तुम्हें सभी देशों और जातियों का जो इसमें बसे हुए हैं, ध्यान रखना पड़ेगा, केवल उस एक छोटे-से देश का नहीं, जिसमें तुम पैदा हुई हो.
इन छोटे-छोटे खतों में मैं बहुत थोड़ी-सी बातें ही बतला सकता हूँ. लेकिन मुझे उम्मीद है कि इन बातों को भी तुम शौक से पढ़ोगी और समझोगी कि दुनिया एक है और दूसरे लोग जो इसमें आबाद हैं हमारे भाई-बहन हैं. जब तुम बड़ी हो जाओगी तब तुम दुनिया और उसके आदमियों का हाल मोटी-मोटी किताबों में पढ़ोगी. उसमें तुम्हें जितना आनंद मिलेगा उतना किसी कहानी या उपन्यास में नहीं मिलेगा. यह भी पढ़ें : National Education Day 2021: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के सम्मान में 11 नवंबर को क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय शिक्षा दिवस, जानें इसका इतिहास और महत्व
पंडित नेहरू के बच्चों के नाम अन्य संदेश
* नेहरू जी ने एक बार कहा था, 'आज के बच्चे कल के भारत का निर्माण करेंगे. हम जिस तरह से बच्चों की परवरिश करते हैं उससे भारत का भविष्य तय होता है. कहते हैं कि पंडित नेहरू ने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए कई योजनाएं क्रियान्वित कीं.
* पंडित नेहरू ने अपने प्रधानमंत्रित्वकाल में बच्चों के व्यावहारिक शिक्षा पर भी काफी कार्य किया. क्योंकि वे जानते थे कि शिक्षित बच्चे अपने भविष्य के साथ-साथ देश के भविष्य को भी तराशने योग्य बनते हैं.
* पंडित नेहरू बच्चों को रोते नहीं देख सकते थे. उनके जीवन में ऐसा कई बार हुआ, जब अकेले रोते बच्चे को गोद में उठाकर उसे दुलार कर चुप कराया, और माता-पिता को डांटा कि उन्होंने बच्चों को अकेले क्यों छोड़ा?
* नेहरू जी शेरवानी पर अकसर गुलाब का फूल इसीलिए लगाते थे, क्योंकि वे बच्चों को गुलाब सरीखा मासूम एवं कोमल मानते थे.
नेहरू जी अपने जन्म दिन पर बच्चों को अवश्य बुलवाते थे, क्योंकि उन्हें बच्चों का सानिध्य बहुत अच्छा लगता था.