रोजमर्रा के जीवन में बहुत सारी ऐसी बातें देखने-सुनने को मिलती है, जिस पर हम सामान्यतया ध्यान नहीं देते हैं, क्योंकि हम उसे बहुत सामान्य मानते हैं, लेकिन अगर कोई सवाल कर बैठे कि ऐसा क्यों होता है? तो हम निरुत्तर हो जाते हैं. यहां कुछ ऐसी ही सामान्य सी लगने वाली बातें शेयर करेंगे, जवाब सुनकर आप भी चौंक उठेंगे. यह भी पढ़ें: Cadbury Chocolate Products Recalled: बैक्टीरिया लिस्टेरिया के मिलावट के डर से मुलर ने 6 कैडबरी चॉकलेट डेसर्ट को मंगाया वापस, ग्राहक को वापस कर रिफंड लेने की आग्रह
भारतीय नेता सफेद कपड़े क्यों पहनते हैं
भारत में कोई नेता की भूमिका करता है तो उसे सफेद कुर्ता-पायजामा में दिखाया जाता है. यानी सफेद कुर्ता-पायजामा नेता की पहचान बन गई, लेकिन कभी सोचा है कि सफेद रंग ही क्यों? किसी और रंग का कपड़ा क्यों नहीं पहनते हैं नेता? कहा जाता है कि भारतीय स्वतंत्रता के दरम्यान महात्मा गांधी ने ‘स्वदेशी’ का नारा दिया तो पूरे देश में विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई. इसके बाद महात्मा गांधी ने भारतीयों को चरखे से बने खादी के वस्त्र धारण करने के लिए प्रेरित किया. वास्तव में गांधी जी ने इसे स्वावलंबन के प्रतीक के रूप में देखते थे, चूंकि उस समय खादी से बने कपड़े सफेद रंग के ही होते थे. धीरे-धीरे ये नेताओं का परिधान बन गया. इसके अलावा सफेद रंग शांति और अहिंसा का प्रतीक भी मानते हैं. इस तरह सफेद कुर्ता-पायजामा भारतीय नेताओं का पारंपरिक प्रतीक बन गया.
पानी में बर्फ तैरता है तो शराब में बर्फ क्यों डूब जाता है?
चिलचिलाती गर्मी में चिल वॉटर से अच्छा कुछ भी नहीं लगता, पानी ठंडा नहीं हुआ तो हम आइस क्यूब डालकर पीते हैं. आपने ध्यान दिया होगा कि पानी में आइस क्यूब सतह पर तैरता है, ड्रिंक करने वालों को पता है कि शराब में आइस क्यूब डालने पर डूब जाता है, ऐसा क्यों होता है कि एक तरल पदार्थ में आइस डूब जाता है और पानी में वही आइस तैरता है? इसके पीछे एक वैज्ञानिक तथ्य है. यह सारा चमत्कार घनत्व का होता है, जिस पदार्थ का घनत्व किसी द्रव से अधिक रहता है, वह पदार्थ उस द्रव में डूब जाता है. बर्फ का घनत्व 0.917 प्रति घन सेमी होता है, पानी का घनत्व 1.0 प्रति घन सेमी होता है, और अल्कोहल का 0.789 प्रति घन सेमी. इसीलिए आइस पानी में तैरता है और अल्कोहल में डूब जाता है.
विवाहित महिलाएं उंगलियों में चांदी की बिछिया क्यों पहनती हैं सोना का क्यों नहीं?
हिंदू धर्म में विवाह के नाम पर कुंडली मिलान से लेकर विदाई होने तक ढेरों रस्म-ओ-रिवाज़ निभाये जाते हैं. इसी में एक है विवाह के बाद दुल्हन का पैरों चांदी की बिछिया पहनना. आपने कभी सोचा है कि गले और हाथों में सोने और हीरे के जड़ाऊ कीमती आभूषण पहने जाते हैं, तो पैरों में चांदी की बिछिया क्यों पहनते हैं, सोने के क्यों नहीं? इसके पीछे वैज्ञानिक तथ्य यह है कि उंगली का सीधा संबंध हृदय से होता है. और चांदी को शरीर के लिए सबसे अच्छी धातु माना जाता है. चांदी की बिछिया पहनने से विवाहिता का चंद्रमा मजबूत होता है. इस कारण पति के साथ उसका जीवन शांतिमय गुजरता है, चांदी को शरीर के लिए सर्वश्रेष्ठ धातु माना जाता है, चांदी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है, सोने में ऐसा कुछ भी नहीं है.