नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज व्यवसायी अमनदीप सिंह ढल को भ्रष्टाचार के मामले में जमानत दी, जो कथित दिल्ली शराब नीति 'घोटाले' से संबंधित है. इस आदेश के साथ, शराब नीति मामले में सभी आरोपी, जिनमें आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और बीआरएस नेता के. काविता भी शामिल हैं, को जमानत मिल गई है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भूयाण शामिल थे, ने ढल की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के 4 जून 2024 के फैसले को चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने उनकी नियमित जमानत याचिका को खारिज कर दिया था.
पीठ ने यह उल्लेख किया कि सीबीआई के पास लगभग 300 गवाह हैं, जिन्हें परीक्षा में शामिल होना है, और इस मामले की सुनवाई जल्द खत्म होने की संभावना नहीं है. इसके अलावा, ढल लगभग 1.5 वर्षों से हिरासत में हैं. इसलिए, पीठ ने माना कि उनकी आगे की हिरासत का कोई उद्देश्य नहीं है.
मामले का पृष्ठभूमि
दिल्ली उच्च न्यायालय ने ढल की नियमित जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा था, “मामले के समग्र तथ्यों और परिस्थितियों, आरोपों की गंभीरता और अभियोजन द्वारा एकत्रित सबूतों को देखते हुए, और जब तक आरोप तय नहीं किए जाते और सबूत रिकॉर्ड नहीं किए जाते, इस स्तर पर आवेदक को जमानत देने का कोई आधार नहीं है.”
BREAKING: All accused in Delhi Excise Policy case now out on bail
Supreme Court grants bail to businessman Amandeep Dhall in CBI case#SupremeCourt #SupremeCourtofIndia pic.twitter.com/OaHOxyNZ71
— Bar and Bench (@barandbench) October 25, 2024
उच्च न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि ढल के पिता ने एक चार्टर्ड एकाउंटेंट को 5 करोड़ रुपये दिए थे, ताकि निदेशालय की जांच में सहायता प्राप्त की जा सके.
इस जमानत का महत्व यह है कि इससे यह संकेत मिलता है कि अदालतें सभी आरोपियों के अधिकारों का सम्मान कर रही हैं. जस्टिस सूर्यकांत ने सीबीआई के वकील से कहा, "आज, यह संदेश उन सफेदपोश अपराधियों के लिए है कि आप किसी तरह अंदर रहें, फिर बाहर निकल जाएं, कुछ नहीं होगा. आपकी दोषसिद्धि दर पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए."
इस फैसले के साथ, सभी आरोपी अब जमानत पर हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस मामले में सुनवाई अभी लंबी चलेगी. ढल की जमानत से यह भी साबित होता है कि न्यायपालिका आरोपियों के अधिकारों को प्राथमिकता देती है.