World Blood Donor Day 2019: आपका रक्त बन सकता है किसी के लिए संजीवनी, जानें रक्तदान किसे करने चाहिए और किसे नहीं
विश्व रक्तदाता दिवस 2019 (Photo Credits: The Noun Project)

World Blood Donor Day 2019: गत वर्ष प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, भारत में औसतन एक घंटे में 55 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें प्रति घंटे करीब 17 लोग असमय मृत्यु के शिकार बन जाते हैं, मुख्य वजह यह कि उन्हें समय पर रक्त नहीं उपलब्ध नहीं हो पाता. चिकित्सकों ने भी माना है कि एक स्वस्थ व्यक्ति साल भर में कम से कम तीन बार रक्तदान (Blood Donation) कर सकता है, जिससे उसके सेहत पर कोई साइड इफेक्ट (No Side Effects on Health) अथवा कमजोरी आदि नहीं होती. ऐसे में क्या हमारा फर्ज नहीं बनता कि साल में एक बार हम स्वेच्छा से रक्तदान करें तो हजारों लोगों को नया जीवनदान दे सकते हैं. 14 जून को जब सारा विश्व रक्तदान दिवस (World Blood Donor Day) मना रहा होगा, आइये हम साल में एक बार रक्तदान का संकल्प लें. ध्यान रहे रक्त दान सबसे बड़ा दान माना जाता है.

रक्तदान कर हम किसी का जीवन बचा सकते हैं, इस बात का अहसास हमें तब होता है, जब हमारा कोई अपना रक्त के अभाव में जीवन और मौत के बीच झूलता है. याद रखिये दुर्घटना कभी भी किसी के भी साथ हो सकती है, ऐसे में अगर हम उस पल को भी याद कर रक्त दान करें तो हम अनजाने में एक नहीं कई जिंदगियां बचा लेते हैं.

जब आप ईश्वरतुल्य हो जाते हैं

यह विडंबना ही है कि विकसित देशों में जहां अधिकांश लोग स्वेच्छा से रक्त दान करते हैं, वहीं भारत समेत कई विकासशील देशों में धन के बदले रक्त देने जैसा व्यवसाय करते हैं. तमाम कोशिशों और करोड़ों विदेशी मुद्रा खर्च करके भी वैज्ञानिक रक्त की एक बूंद तक का निर्माण नहीं कर सके. लेकिन जो कार्य नामचीन वैज्ञानिक नहीं कर सके वह हम और आप कर सकते हैं. जी हां हम जरूरतमंदों के लिए इतना रक्त मुहैया करवा सकते हैं, जिससे उसकी दम तोड़ती जिंदगी को नयी सांस मिल जाती है और आप अन्जाने में उस व्यक्ति के भगवान बन जाते है. यह भी पढ़ें: रक्तदान करने से हिचकिचाएं नहीं, क्योंकि इससे ब्लड डोनेट करने वालों को होते हैं ये फायदे

‘विश्व रक्तदान दिवस’ 14 जून को ही क्यों

ज्ञात हो कि साल 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्त-दान की योजना बनाई थी. तब विश्व के लगभग सभी देशों ने स्वैच्छिक रक्तदान का संकल्प लिया था. स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने का संकल्प दोहराया. रक्तदान की इस मुहिम में मिली व्यापक सफलता को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों को रक्तदान मिशन से जोड़ने के लिए साल 2014 को 14 जून के दिन ‘विश्व रक्तदान’ दिवस के रूप में मनाने का ऩिर्णय किया. प्रश्न उठता है कि इसके लिए 14 जून की ही तारीख क्यों मुकर्रर की गयी? दरअसल ऑस्ट्रियाई जीव वैज्ञानिक कार्ल लेण्ड स्टाइनर जिन्होंने रक्त समूहों में क्लासिफिकेशन कर चिकित्साविज्ञान में एक अहम योगदान दिया था. इस वैज्ञानिक का जन्म 14 जून के ही दिन हुआ था और इन्हें इस विशेष योगदान के लिए नोबल पुरस्कार भी दिया गया था.

साल में तीन से चार बार कर सकते हैं रक्तदान

मेदांता गुड़गांव अस्पताल के एक चिकित्सक बताते हैं, हम आज चांद और मंगल जैसे ग्रह पर पहुंच चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद हम एक बूंद रक्त का निर्माण नहीं कर सके हैं, ना ही इसका कोई विकल्प तैयार कर सके हैं. हमें आज भी किसी मरीज के लिए जब रक्त की जरूरत पड़ती है तो हम आम व्यक्ति से उम्मीद रखते हैं कि वह कुछ कतरा रक्त दान कर दे तो हम उस मरीज की जिंदगी बचा सकते हैं, जिसके पास रक्त खरीदने तक के पैसे नहीं होते. इसीलिए हमारे भारत की विभिन्न सोशल संस्थाएं स्वैच्छिक रक्तदान का कार्यक्रम संचालित करती हैं, ताकि अच्छी सेहतवाले हमें रक्तदान कर सकें. चिकित्सक का कहना है कि एक यूनिट रक्त से प्लेटलेट्स तैयार करके कम से कम तीन गंभीर अवस्था वाले मरीजों की जान बचाई जा सकती है. स्वस्थ्य व्यक्ति एक साल में तीन से चार बार रक्तदान कर सकता है. रक्तदान से शरीर में किसी भी प्रकार की कमजोरी या साइड इफेक्ट नहीं आती.

कौन कर सकता है रक्तदान :

ऐसे लोग नहीं कर रक्तदान

  • शराबी व्यक्ति का रक्त नहीं लेना चाहिए.
  • ज्यादा लोगों से सहवास करने वाले व्यक्ति को रक्त-दान नहीं करना चाहिए.
  • किसी तरह की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को रक्त-दान से दूर रहना चाहिए. इसका विपरीत रियेक्शंस हो सकते हैं.
  • स्तनपान कराने वाली महिलाएं रक्त-दान नहीं कर सकतीं.
  • मासिक धर्म से गुजरने वाली महिला नहीं कर सकती रक्त-दान.

रक्तदान से रक्तदाता को फायदा

दिल्ली के ही डॉ जीतेंद्र सिंह गुसाईं का कहना है कि रक्तदान का सबसे बड़ा फायदा रक्त-दान करने वाले को ही मिलता है. नियमित रक्तदान करने से व्यक्ति विशेष कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को अनजाने में ही संतुलित कर लेता है. कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए बहुत खतरनाक होता है. इसकी ज्यादा मात्रा नसों को सिकोड़ देती है. जिससे रक्त संचार की गति धीमी पड़ जाती है. इससे ह्रदय संबंधी गंभीर बीमारी हो सकती है. रक्तदान करते समय रक्त के साथ अतिरिक्त कोलस्ट्रॉल भी शरीर बाहर हो जाता है.