Health Instructions amid Covid-19 Pandemic: एलर्जिक राइनाइटिस और कोरोना के कुछ लक्षण काफी मिलते जुलते हैं, जिस कारण जब भी एलर्जी बढ़ जाती है, और मरीज को बार-बार छींकें आने लगती हैं, तो आस-पास बैठे लोग यह सोच बैठते हैं कि उनको कहीं कोविड तो नहीं. ऐसे मरीजों के लिए बारिश का मौसम पहले ही घातक होता है, और ऊपर से कोरोना महामारी (Coronavirus). कोरोना के बीच एलर्जिक राइनाइटिस के मरीज को क्या करना चाहिए बता रहे हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ. पहले बात करते हैं उन लक्षणों की जो कोरोना और एलर्जिक राइनाइटिस में समान होते हैं. दोनों में ही मरीज को बार-बार छींकें आती हैं. कई बार खांसी भी आती है. बस फर्क इतना होता है कि कोरोना में छींकते वक्त नांक से पानी भी आता है, जबकि एलर्जिक राइनाइटिस में ऐसा नहीं होता है.
कई बार एलर्जी होने पर सांस लेने में दिक्कत भी होती है. डॉक्टरों की मानें तो एलोपैथी में इसका प्रभावी इलाज नहीं है. हालांकि कुछ जगहों पर एंटी-एलर्जिक ट्रीटमेंट दिया जाता है, लेकिन वो बहुत कम लोगों पर कारगर साबित होता है. आम तौर पर डॉक्टर केवल बचाव के लिए दवाएं देते हैं. हालांकि होम्योपैथी में अगर अच्छी तरह से लक्षण पकड़ में आ जाएं तो इसका इलाज संभव है.
प्रसार भारती के डॉक्टर्स स्पीक कार्यक्रम में होम्योपैथी विशेषज्ञ डॉ. संकेत गुप्ता ने कहा कि बहुत सारे लोगों में इसे लेकर कंफ्यूजन रहता है. इस वक्त कोई भी छींकता या खांसता है तो लोग सोचते हैं उसे कोविड हो गया है. यह गलत है. लोगों को यह समझना चाहिए कि एलर्जी के मरीजों के आईजीई लेवल हमेशा बढ़े रहते हैं, जिसकी वजह से उनको छींकें व खांसी बार-बार आती है. दवा की बात करें तो होम्योपैथी में इसकी कोई एक दवा नहीं है. होम्योपैथी व्यक्ति विशेष पर असर करने वाला विज्ञान है. एक ही एलर्जी के कारण अलग-अलग लोगो में अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं. इसलिए मरीज का पूर्ण निरीक्षण करने के बाद ही होम्योपैथी दवा दी जाती है. और तभी वह असर करती है.
एलर्जिक रिएक्शन नहीं है कोविड
डॉ. संकेत ने आगे कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि कोविड एलर्जिक रिएक्शन नहीं है. यह एक प्रकार का संक्रमण है. कोविड में हम आर्सेनिक एल्बम देते हैं, जबकि यह दवा एलर्जी में भी दी जाती है. लेकिन हर मरीज को आर्सेनिक नहीं दी जा सकती. यह निर्भर करता है कि उसमें लक्षण कैसे हैं. एलर्जी राइनाइटिस की ही बहुत सारी दवाएं हैं. होम्योपैथी एक ऐसी पद्धति है, जिसमें मरीज के लक्षण के हिसाब से अगर दवा दी जाए, तो बीमारी को जड़ से उखाड़ देती है. बिना लक्षण जानें, केवल बीमारी के नाम पर दवा ले ली, तो उसका कोई असर नहीं होता है.
कई बार लोग होम्योपैथी दवाएं लेते हैं लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं आने पर एलोपैथी में चले जाते हैं. इस पर डॉ. गुप्ता ने कहा कि होम्योपैथी का इलाज तभी कारगर होता है, जब मरीज संयम रखते हैं. साथ ही परहेज बहुत जरूरी होता है.
कैसे बचाव करें एलर्जिक राइनाइटिस के मरीज
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली की निदेशक डॉ. तनुजा नेसारी के अनुसार नाक में तेल डालने के बहुत फायदे हैं. इसमें भी अणु तेल ज्यादा फायदेमंद होता है. अगर कोई सुबह-शाम नाक में दो बूंद अणु तेल की डालते हैं, तो ज़ुकाम, छींक नहीं होगी. उंगली से लेकर भी तेल को नाक के अंदर लगा सकते हैं. नाक के अंदर नेसल एपिथिलियम के ऊपर जब तेल की एक परत बन जाती है तब बैक्टीरिया या संक्रमण करने में सक्षम कणों एपिथिलियम के संपर्क में नहीं आ पाते हैं और संक्रमण नाक के द्वार से शरीर के अंदर प्रवेश नहीं कर पाता है.
अणु तेल साइनस में बहुत फायदेमंद होता है. अगर आप बाहर जाते हैं तो सुबह शाम अणु तेल नाक में डालें, इससे संक्रमण से बचाव होगा. उन्होंने कहा कि अगर अणु तेल नहीं है तो नारियल का तेल, सरसों का तेल या घी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इन सभी से बहुत फायदा होता है.
वहीं आयुष मंत्रालय में सलाहाकार डॉ मनोज नेसारी कहते हैं कि एलर्जी वाले लोग जानवरों से रहें दूर रहें. उन्होंने कहा कि कुत्ते या बिल्ली से कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई खतरा नहीं है लेकिन जिन लोगों को एलर्जी है उन्हें कुत्ते-बिल्ली से दूर रहना चाहिए. क्योंकि अगर एलर्जी से छींक या खांसी आती है, तो कोविड का भय मन में आ सकता है. साथ ही डॉ. नेसरी ने सुबह से शाम तक गर्म पानी पीने की सलाह भी दी.