ये 5 बीमारियां किडनी को कर सकती हैं डैमेज! जानें क्या है किडनी के फंक्शन और क्यों जरूरी है, उसका स्वस्थ रहना?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Facebook)
हमारे शरीर की आंतरिक संरचनाओं सभी अंगों की विभिन्न एवं विशेष भूमिका होती है. ये अपना कार्य सुचारु रूप से कर सकें, इसके लिए आवश्यक है कि वे स्वस्थ रहें. इन्हीं महत्वपूर्ण अंगों में एक है हमारी किडनी. किडनी को हिंदी में वृक्क अथवा गुर्दा कहते हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार किडनी हमारे शरीर के भीतरी हिस्से के वर्ज्य पदार्थों को छानने का कार्य करती है. एक स्वस्थ किडनी ही शरीर के भीतर अपना कार्य पूरी तन्मयता के साथ कर सकती है. यहां हम किडनी के महत्वपूर्ण कार्यों पर चर्चा करेंगे, तथा सेहत विशेषज्ञों से जानेंगे कि कौन-कौन-सी बीमारियां हैं जो किडनी को प्रभावित कर सकती हैं,

किडनी की कार्य प्रणाली
दिल्ली स्थित डॉ. जीतेंद्र सिंह बताते हैं कि किडनी का मुख्य कार्य रक्त को छानना होता है. दरअसल रक्त में कुछ अच्छे पदार्थ उत्पन्न होते हैं तो कुछ बुरे. अच्छे पदार्थों में लाल रक्त कणिकाएं, (RBC), श्वेत रक्त कणिकाएं (WBC),और प्लेट लेट्स जबकि वर्ज्य पदार्थों में प्रमुख हैं पेशाब (Urine). यूरिन में कई सारे वर्ज्य पदार्थ होते हैं, मसलन यूरिया, यूरिक एसिड. इत्यादि. शरीर में इनकी औसत से ज्यादा मात्रा हो तो उसका सीधा असर किडनी पर पड़ता है. स्वस्थ किडनी के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते. इसलिए किडनी पर हमें ज्यादा से ज्यादा ध्यान रखना चाहिए. गलत एवं अनियमित खान-पान तथा कम पानी पीने से किडनी पर बुरा असर पड़  सकता है. विभिन्न सर्वे से पता चला है कि इन दिनों किडनियों के खराब होने के केस ज्यादा सुनने में आ रहे हैं. विशेषकर कोविड 19 की महामारी के दौर में. इसलिए किडनी की समय-समय पर जांच एवं डॉक्टर्स से सलाह मशविरा करते रहना चाहिए. आइये जानते हैं कि किडनी को डैमेज करने वाली वे कौन-कौन-सी मुख्य बीमारियां हैं.

मधुमेह ( Diabetes) 
मधुमेह का सबसे ज्यादा साइड इफेक्ट किडनी पर पड़ता है. विशेषकर यदि मरीज को लंबे समय से मधुमेह की शिकायत है तो रक्त में उपस्थित शुगर किडनी को शनै-शनै क्षतिग्रस्त करते रहते हैं. दरअसल मधुमेह के पुराने मरीजों में किडनी की छोटी रक्त नलिकाएं कमजोर पड़ती जाती हैं, जहां तक इसके लक्षणों की बात है तो किडनी के मरीजों में पेशाब में प्रोटीन की मात्रा बढ़ने लगती है, कुछ विशेष परिस्थितियों में शरीर में सूजन की भी शिकायत होती है, जो किडनी को प्रभावित करती जाती है. इससे किडनी की सक्रियता कम होती जाती है. अगर मधुमेह के कारण किडनी खराब होती है तो उसे किडनी डिजीज कहते हैं.

 किडनी में पथरी (Kidney stones)
चिकित्सकों का मानना है कि किडनी की पथरी अन्य जगहों की पथरी से ज्यादा खतरनाक होती है. अगर समय रहते किडनी की पथरी का इलाज ना करवाया जाए तो ये किडनी को बड़े खतरनाक तरीके से नुकसान पहुंचा सकती है. आमतौर पर किडनी स्टोन पेशाब के रास्ते बाहर निकलते है, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है, और पेट में असहनीय दर्द होता है तो अविलंब चिकित्सक को दिखाना चाहिए. क्योंकि ज्यादा देरी करने से ये स्टोन ब्लास्ट कर सकते हैं. ये स्थिति खतरनाक होती है और इससे किडनी पूरी तरह से खराब हो सकती है.
उच्च रक्त चाप (High blood pressure)
उच्च रक्त चाप किसी भी मरीज के लिए साइलेंट किलर की भूमिका निभाती है, जिस किसी को उच्च रक्तचाप की समस्या होती है, और वे चिकित्सकों की सलाह को नजरंदाज करते हैं या उसे बैलेंस करने की कोशिश नहीं करते, इससे उनकी किडनी खराब हो सकती है. क्योंकि यह वह स्थिति होती है, जब किडनी रक्त को फिल्टर करने में असमर्थ होती है. और उच्च रक्त चाप प्रत्यक्ष रूप से धमनियों को भी क्षतिग्रस्त कर सकते हैं. इस वजह से कभी-कभी किडनी में गंदगी जमा होने लगती है, जो आगे चलकर किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है.
 उच्च कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) 
अकसर हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण भी किडनी फेल हो जाती है. उच्च कोलेस्ट्रॉल की स्थिति में अकसर दिल का दौरा और किडनी फेल होने का खतरा ज्यादा रहता है. ऐसी स्थिति में अकसर किडनी के आस पास कोलेस्ट्रॉल की परतें जमने लगती हैं, जिसके कारण वो सही तरीके से काम नहीं कर पातीं. जरा सी लापरवाही से किडनी डैमेज हो सकती है. कभी-कभी हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण भी किडनी में स्टोन बन सकता है.
हीमोलाइटिक यूरीमिक सिंड्रोम (Hemolytic uremic syndrome)
हेमोलिटिक यूरीमिक सिंड्रोम किडनी से संबंधित बीमारी है. जब शरीर से लाल रक्त कणिकाएं (RBC) कम होती हैं या खत्म हो जाते हैं तो यह किडनी के फिल्टर प्रणाली को ब्लॉक कर देता हैं. RBC में हीमोग्लोबिन होता है, जो लौह तत्वों से भरपूर प्रोटीन रक्त को लाल रंग देता है और लंग्स यानी फेफड़े से शरीर के सभी भागों में ऑक्सीजन पहुंचाता है. इससे बुखार, पेट में ऐंठन, दर्द या सूजन हो सकता है. कभी-कभी उल्टी भी होती है. विशेष परिस्थितियों में खूनी दस्त होते हैं. सही समय पर इलाज नहीं करवाया जाये तो इससे किडनी डैमेज हो सकती है. इस बीमारी में मरीज पेशाब होने में तकलीफ होती है.