कोरोना के Gamma Variant के खिलाफ कोरोनावैक वैक्सीन कम प्रभावी: लैंसेट स्टडी
कोरोना वायरस/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

बीजिंग, 10 जुलाई : चीन की कोरोनावैक वैक्सीन की दो खुराक कोविड-19 (COVID-19) बीमारी से 83.5 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन इसकी खुराक द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी गामा (पी1) वेरिएंट के खिलाफ कम काम करती हैं. साइंस जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित दो अलग-अलग अध्ययनों में यह दावा किया गया है. पहला अध्ययन ब्राजील में कैम्पिनास विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में और द लैंसेट माइक्रोब में प्रकाशित हुआ, जिसमें दिखाया गया है कि लगभग सभी लोगों की एंटीबॉडी, जिन्हें आंशिक रूप से और पूरी तरह से कोरोनावैक का टीका लगाया जा चुका था, का पी1 वेरिएंट पर कोई पता लगाने योग्य प्रभाव नहीं देखने को मिला. इसके विपरीत, पी1 वेरिएंट अभी भी उन लोगों के प्लाज्मा में एंटीबॉडी के प्रति संवेदनशील देखा गया है, जिनकी टीकाकरण कार्यक्रम में दो खुराकें रही हैं (दूसरी खुराक 17-38 दिन पहले) लेकिन बी वंश वायरस की तुलना में कुछ हद तक यह कम रहा पी1 वेरिएंट जनवरी 2021 की शुरूआत में ब्राजील के मनौस में खोजा गया था और इसमें 15 अद्वितीय उत्परिवर्तन (यूनिक म्यूटेशंस) हैं.

पिछले अध्ययनों में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि यह एंटीबॉडी द्वारा बेअसर होने से बच सकता है. इस बारे में बात करते हुए विशेषज्ञ जोस लुइज प्रोएनका मोडेना ने कहा, निष्क्रिय एंटीबॉडी सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का एक महत्वपूर्ण घटक है. इसलिए, कोरोनावैक-प्रतिरक्षित व्यक्तियों के प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडी से बचने के लिए पी1 वेरिएंट की क्षमता से पता चलता है कि वायरस संभावित रूप से टीकाकरण वाले व्यक्तियों में फैल सकता है - यहां तक कि उच्च टीकाकरण दर वाले क्षेत्रों में भी यह फैल सकता है. हालांकि, द लैंसेट में प्रकाशित तीसरे चरण के परीक्षण के अंतरिम आंकड़ों से पता चला है कि चीन की कोरोनावैक वैक्सीन की दो खुराक रोगसूचक कोविड-19 बीमारी से 83.5 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करती है और गंभीर बीमारी और मृत्यु से बचा सकती है.

प्रोएनका मोडेना ने कहा, इसलिए, एंटीबॉडी को बेअसर करना एकमात्र योगदान कारक नहीं हो सकता है - टी-सेल प्रतिक्रिया भी रोग की गंभीरता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. तुर्की के अंकारा में हैसेटेपे यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल के शोधकतार्ओं के नेतृत्व में चरण 3 के परीक्षण से संकेत मिलता है कि कोरोनावैक वैक्सीन प्राप्त करने वालों में से 90 प्रतिशत के बीच एक मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है. लेकिन, पुरुषों और महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ एंटीबॉडी प्रतिक्रिया कम होती पाई गई है. कोरोनावैक एक निष्क्रिय पूरे वायरस का उपयोग करती है. वैक्सीन प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरस के हानिरहित रूप पर हमला करने के लिए प्रेरित करती है, इससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करती है, जिससे प्रतिरक्षा पैदा होती है. सिनोवैक लाइफ साइंसेज द्वारा विकसित, वैक्सीन, जिसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहीत और परिवहन किया जा सकता है, को 22 देशों में आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है. यह भी पढ़ें : इजराइल की दवा कंपनी Teva API पर एनजीटी ने ठोका 10 करोड़ का जुर्माना, यूपी में पर्यावरण नियमों से खिलवाड़ करने का आरोप

हैसेटेपे के प्रमुख लेखक प्रोफेसर मूरत अकोवा ने कहा, कोरोनावैक के फायदों में से एक यह है कि इसे पूरी तरह से जमाकर रखने या पूर्णतया फ्रोजन करने की आवश्यकता नहीं है, जिससे परिवहन और वितरण करना आसान हो जाता है. यह वैश्विक वितरण के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि कुछ देश बहुत कम तापमान पर बड़ी मात्रा में टीका स्टोर करने के लिए संघर्ष कर सकते हैं. वैक्सीन को लेकर तुर्की में 10,000 से अधिक परीक्षण प्रतिभागियों के बीच कोई गंभीर प्रतिकूल घटना या मृत्यु की सूचना नहीं मिली है. आमतौर पर अधिकांश प्रतिकूल घटनाएं हल्की ही होती हैं और इंजेक्शन के सात दिनों के भीतर यह देखने को मिल जाती हैं शोध करने वाली टीम में हालांकि यह भी कहा है कि प्रतिभागियों के अधिक विविध समूह में और चिंता के उभरते रूपों के खिलाफ लंबी अवधि में टीका प्रभावकारिता की पुष्टि करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है. अध्ययनों को 2021 यूरोपीय कांग्रेस ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज में 9 से 12 जुलाई के बीच ऑनलाइन पेश किया जाएगा.