प्रत्येक वर्ष दिवाली के अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गुजरात में नववर्ष का पर्व मनाया जाता है. इसे बेस्टु वर्ष, पड़वा और वर्षा-प्रतिपदा भी कहा जाता है. इस वर्ष 13 नवंबर 2023 को बेस्टु वर्ष यानी गुजरातियों का नववर्ष मनाया जायेगा. इसके साथ ही इस दिन विक्रम संवत 2028 की शुरुआत होगी. गुजरात समाज के लोग इस दिन को एक उत्सव की तरह मनाते हैं. आइये जानते हैं इस दिवस के बारे में कुछ रोचक जानकारियां..
गुजराती नववर्ष का महत्व
गुजरात में दिवाली को नववर्ष के आगमन के प्रतीक के रूप में मनाया है. दिवाली वस्तुतः बीते साल का आखिरी दिन होता है. इसके अगले दिन से गुजराती नववर्ष शुरु हो जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को यह दिवस मनाया जाता है. चंद्र चक्र पर आधारित भारतीय कैलेंडर के अनुसार गुजरात में कार्तिक माह साल का पहला माह होता है. यह गुजराती नववर्ष का पहला दिन होता है, इसलिए इस दिन को वित्तीय नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है. गौरतलब है कि 2023 में कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को विक्रम संवत 2080 शुरु हो जाएगा. यह भी पढ़ें : Lakshmi-Ganesh Murti for Diwali 2023: दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा कर सुख-संपदा से भरपूर होना चाहते हैं तो मूर्तियां खरीदते समय इन बातों का अवश्य ध्यान रखें!
गुजराती नववर्ष तिथि 2023
नववर्ष की शुरुआत पूजा-अनुष्ठान के साथ करना शुभ माना जाता है. इससे घर में खुशियां आती हैं, साथ ही व्यावसायिक लाभ भी मिलता है. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करते हैं.
कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा प्रारंभः 02.56 PM (13 नवंबर 2023)
कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा समाप्तः 02.36 PM (14 नवंबर 2023)
सूर्योदयः 06.14 AM (14 नवंबर 2023)
बेस्टु वरस सेलिब्रेशन
व्यवसायी प्रवृत्ति वाले गुजराती समाज के लिए बेस्टु बरस अर्थात गुजराती नव वर्ष का विशेष महत्व है. इस दिन गुजरात के व्यापारी अपना पुराना खाता बंद करते हैं और नया बही खाता लिखना शुरू करते हैं. चोपड़ा (बहीखाता) पूजा के दरम्यान सर्वप्रथम देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिससे उनका नया वर्ष उनके और उनके व्यवसाय के लिए सुख एवं समृद्धि से भरा साबित होता है. इस पूजा-अनुष्ठान में नये बही खाते पर सर्वप्रथम शुभ लाभ लिखने की औपचारिकता पूरी की जाती है.
गुजराती नववर्ष कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को पड़ता है. इस दिन को ‘पड़वा’ के नाम से भी जाना जाता है. इस अवसर पर गुजरात समाज के लोग नए-नये कपड़े पहनते हैं, मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं. जगह-जगह सांस्कृतिक एवं सामाजिक समारोहों का आयोजन करते हैं. लोग मित्रों और सगे-संबंधियों के साथ खुशियां शेयर करते हैं. आतिशबाजी छुड़ाई जाती है, महिलाएं अपने घरों में स्वादिष्ट मिठाइयां बनाती है, मित्र एवं सगे-संबंधियों को आमंत्रित करते हैं और उनके साथ नए साल की बधाइयां देते हैं.