हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास शुक्लपक्ष की प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. कुछ स्थानों पर इसे बलि प्रतिपदा एवं अन्नकूट के नाम से भी मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ गोवर्धन पूजा परंपरागत तरीके से मनाई जाती है. कृषि से संबंधित यह पर्व 5 नवंबर 2021 यानी आज मनाया जायेगा.
गोवर्धन पूजा का महात्म्य
गोवर्धन पूजा पर्व का संबंध भगवान श्रीकृष्ण द्वारा देवराज इंद्र के घमंड को तोड़ने पर केंद्रित है. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने जब देखा कि मथुरावासी देवराज इंद्र की पूजा कर रहे हैं, क्योंकि उनके ही आदेश से वर्षा होती है, जिससे मथुरावासियों को कृषिधन प्राप्त होता है. लेकिन भगवान श्रीकृष्ण जानते हैं कि वर्षा की मूल वजह गोवर्धन पर्वत है, इंद्र नहीं. उन्होंने मथुरावासियों को गोवर्धन की पूजा करने की सलाह दी. मथुरवासी जब कृष्ण के सुझाव पर गोवर्धन की पूजा करने लगे तो इंद्र नाराज हो गए. उन्होंने मेघराज को आदेश दिया कि वे मथुरा पर मूसलाधार बारिश करें. लगातार तेज होती बारिश से जब मथुरावासी भयभीत होने लगे, तो श्रीकृष्ण ने उन्हें गोवर्धन पर्वत की शरण में जाने के लिए कहा. लेकिन जब बारिश और भी तेज होने लगी लोग जलपल्लवित होने लगे तो श्रीकृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को ऊपर उठाकर सारे मथुरावासियों को उसके नीचे बुला लिया. यह देख इंद्र परेशान होकर ब्रह्माजी के पास गए. ब्रह्माजी ने बताया कि जिस कृष्ण को मामूली इंसान समझने की भूल कर रहे हैं, वे वास्तव में साक्षात भगवान विष्णुजी के अवतार हैं, तब देवराज इंद्र ने श्रीकृष्ण से छमा-याचना की. कहते हैं कि इसके बाद से ही गोवर्धन पूजा की परंपरा बन गई, जो आज भी जारी है. यह भी पढ़ें : Diwali Padwa 2021: दीपावली की पांच महत्वपूर्ण तिथियों में एक है ‘दीवाली पाड़वा’! जानें इसका महत्व एवं परंपरा!
कैसे मनाते हैं गोवर्धन पूजा?
सनातन धर्म के अनुसार कार्तिक मास शुक्लपक्ष के दिन घरों में खेत की मिट्टी या गाय के गोबर से घर के आंगन में गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक पर्वत बनाया जाता है. इसके साथ ही भूमि पर गाय, भैंस, खेत, खलिहान, बैल, हल, चूल्हा इत्यादि के प्रतिकात्मक चित्र बनाये जाते हैं. इन सभी पर गाय के कच्चे दूध का छीड़काव करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें. श्रीकृष्ण की प्रतिमा को भी दूध से स्नान कराएं. अक्षत, रोली, तुलसी पत्ता, सिंदूर, पुष्प एवं नैवेद्य से पूजा करें. इसके बाद गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें. अब श्रीकृष्ण की आरती उतारें. अब श्रीकृष्ण को क्षमतानुसार 56 या 108 वस्तुओं का भोग अर्पित करें. अंत में प्रसाद स्वरूप स्वयं भी ग्रहण करें.
गोवर्धन पूजा 5 नवंबर 2021 (शुक्रवार) शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, 5 नवंबर को रात 2 बजकर 44 मिनट पर शुरू होकर प्रतिपदा तिथि अगले दिन 11 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी.