हिंदू धर्म शास्त्रों में गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) का विशेष महत्व बताया गया है. इसी दिन मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था. गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है, मानसिक शांति मिलती है और शरीर शुद्ध होता है.
विभिन्न हिंदू पंचांगों के अनुसार प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की दसवीं तिथि को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है. शिव पुराण के अनुसार इस दिन पतित पावनी गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं. हिंदू धर्म में गंगा दशहरा पर्व का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन गंगा में दस डुबकियां लगाने तथा दान करने से अक्षुण्य पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन गंगा सागर, वाराणसी, प्रयागराज एवं हरिद्वार में दूर-दूर से श्रद्धालु गंगा स्नान करने आते हैं. इस वर्ष 9 जून को गंगा दशहरा मनाया जायेगा.
गंगा दशहरा का महत्व
विभिन्न पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा भगीरथ अपने दस हजार पूर्वजों की आत्माओं को मोक्ष दिलाने हेतु मां गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाना चाहते थे, किंतु यह कार्य केवल भगवान शिव कर सकते थे. भगीरथ ने भगवान शिव का कठिन तप किया. भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी गंगा पृथ्वी पर लाने के लिए तैयार हुए. गंगा स्वर्ग से आने से पूर्व ब्रह्माजी के कमंडल में प्रवेश कीं. ब्रह्माजी ने कमंडल से गंगा जी को छोड़ा तो भगवान शिव ने अपनी जटाओं को खोल दिया, गंगा जटाओं से होते पृथ्वी पर अवतरित हुईं. इसके पश्चात राजा भगीरथ के पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति हुआ. तभी से गंगा पृथ्वी पर अविरल बह रही हैं और मनुष्यों के सारे पापों से मुक्त कर मोक्ष प्रदान कर रही हैं.
दो शुभ योगों में होगा गंगा दशहरा का पर्व
ज्योतिष पंचांग के अनुसार गंगा दशहरा पर इस वर्ष दो शुभ योगों का संयोग बन रहा है. पहला रवि योग, जिसमें धार्मिक और मांगलिक कार्य करना बेहद फलदायी होता है. दूसरा इस बार हस्त नक्षत्र 9 जून को प्रातः 04.32 बजे प्रारंभ होकर 10 जून को प्रातः 04.27 बजे तक रहेगा. इस योग को भी मानव हित के लिए शुभ माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गंगा मां ज्येष्ठ माह के शुक्लपक्ष की दशमी को हस्त नक्षत्र में पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं.
गंगा दशहरा (09 जून 2022) का शुभ मुहूर्त:
ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की दशमी प्रारंभः 08.22 AM (09 जून 2022, दिन गुरुवार) से
ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की दशमी समाप्त 07.25 AM (10 जून 2022, दिन शुक्रवार) तक
पूजा विधिः
गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान बेहद पुण्यदायी माना जाता है. गंगा दशहरा के दिन तीन तरह से गंगा स्नान का पुण्य हासिल किया जा सकता है. प्रथम, गंगा नदी में डुबकी लगाना, दूसरा गंगा नदी करीब में नहीं हैं तो किसी भी पवित्र नदी में डुबकी लगाते समय गंगा मइया का ध्यान करना तथा तीसरा तरीका है कि गंगा स्नान के दिन अगर नदी उपलब्ध नहीं है तो घर में पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर स्नान करने से भी पतित पावनी गंगा स्नान का समान पुण्य प्राप्त होता है. गंगा दशहरा के दिन स्नान करते समय निम्न मंत्र का जाप निरंतर करना चाहिए.
ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः
स्नान के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य देना और इसके पश्चात ब्राह्मण को अन्न, जल, मौसमी फल, तेल, नमक, घी, शक्कर दान करने का विशेष महत्व है. ऐसा करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है.