World Day Against Child Labour 2025: बालपन.. एक मासूमियत भरा चरण, जहां चिंता नहीं होती, सिर पर बोझ नहीं होता, अलबत्ता आँखों में सपने होते हैं रंग-बिरंगे, अब कल्पना करिये, अगर इनके मासूम सपनों की जगह इनके हाथ में औजार, सिर पर ईंट-पत्थरों एवं जिम्मेदारियों का बोझ रख दिया जाए तो क्या यह एक स्वस्थ समाज के लिए शर्मनाक या चिंताजनक नहीं है? इसी कुव्यवस्था पर रोक लगाने के उद्देश्य से हर साल 12 जून को दुनिया भर में विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस का आयोजन किया जाता है, ताकि आम समाज को बताया जा सके कि दुनिया भर में करोड़ों ऐसी मासूम जिंदगियां हैं, जिनसे खेलकूद, शिक्षा और प्रेम का नैतिक अधिकार छीनकर उन्हें कठोर श्रम, उपेक्षा, और शोषण की राह पर धकेल दिया जाता है. आज इसी दिवस विशेष (12 जून 2025) पर अल्पायु बच्चों को शोषण और उनके नैतिक अधिकार की बात करेंगे. यह भी पढ़ें: World Ocean Day 2025 Quotes: ‘बुद्धिमान बनो, सागर कूड़ेदान नहीं है.’ विश्व महासागर दिवस पर ऐसे कोट्स भेजकर इसका हिस्सा बनें!
बाल श्रम – समस्या कितनी गंभीर है?
संयुक्त राष्ट्र की समय-समय पर आई रिपोर्टों के अनुसार, विश्व भर में करोड़ों बच्चे आज भी बाल मजदूरी कर रहे हैं. भारत जैसे विकासशील देश में यह समस्या और भी गंभीर एवं चिंता दायक है. होटलों, ढाबों, कारखाने, ईंट भट्टों, चाय की दुकानों और घरेलू काम-काजों में छोटे-छोटे बच्चे अकसर काम करते दिखते हैं। कुछ तो इतनी अल्पायु के और नासमझ हैं, जिन्हें अपना नाम तक लिखना नहीं आता, और वे मालिकों-ठेकेदारों के आदेश पर पूरे दिन काम करते हैं, जिसके बदले उन्हें मिलती है बस दो वक़्त की रोटी
बाल श्रम के पीछे के कारण
बाल श्रम के तमाम बल्कि अनगिनत कारण हो सकते हैं, मसलन..
गरीबी और बेरोजगारी
शिक्षा की कमी और स्कूलों की दुर्दशा
महंगी शिक्षा
परिवार का दबाव और अनभिज्ञता
कानूनों का ढीला-ढाला क्रियान्वयन
सस्ती मजदूरी
बच्चों का नैतिक अधिकार?
जहां तक भारत की बात है तो यहां, 'शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009' के तहत 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है, वहीं बाल श्रम निषेध और विनियमन अधिनियम, 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी भी प्रकार का श्रम कराना गैरकानूनी निर्धारित है, लेकिन कानून से अधिक ज़रूरी है सामाजिक जागरूकता और नैतिक जिम्मेदारी.
हम क्या कर सकते हैं
* हर बच्चे को शिक्षा दिलाना हमारा नैतिक कर्तव्य है.
* बाल श्रमिकों को देखकर मूकदर्शक न बनें, संबंधित विभाग अथवा पुलिस को रिपोर्ट करें.
* सरकारी और गैर सरकारी संगठन सरकारी योजनाओं पर मिलकर काम करें.
* यदि आप सक्षम हैं, तो किसी एक बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठाया.
* बचपन लौटाएं – एक मुस्कान, एक सपना, एक जीवन
‘बच्चों से काम नहीं, उनका बचपन चाहिए’ महज एक नारा नहीं, बल्कि एक आह्वान मानिये. एक संकल्प लीजिये कि जहाँ भी कोई बच्चा मजदूरी करता दिखे, वहाँ हम चुप नहीं रहेंगे. हम उनके बचपन की रक्षा करेंगे.













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