Vishnu Sahashtranam 2021: विष्णु सहस्त्रनाम में शिव का नाम क्यों? गुरूवार को इसका जाप करने से होती है हर मनोकामना पूरी!
भगवान विष्णु (Photo Credits: Facebook)

Vishnu Sahashtranam 2021: हिंदू धर्म के अनुसार गुरूवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ उनके सहस्त्रनाम का जाप करनेवाले का भाग्य हर कदम पर उसके साथ होता है. वह और उसके परिवार पर किसी भी तरह का आर्थिक संकट नहीं आता, और मन को शांति मिलती है. वेदों एवं पुराणों में भगवान विष्णु को श्रृष्टि का पालनकर्ता बताया गया है. मनुष्य को तमाम सांसारिक चक्रों का सामना कर अपना मार्ग प्रशस्त करने की शक्ति और धैर्य श्रीहरि से ही प्राप्त होती है.

कभी-कभी कुछ जटिल सांसारिक चक्रों से मनुष्य संघर्ष करने में जब खुद को असमर्थ पाता है, तब श्रीहरि की उपासना एवं सहस्त्रनाम का पाठ करने से उसे हर समस्याओं एवं संघर्षों से मुक्ति मिलती है. गौरतलब है कि इस पवित्र विष्णु सहस्त्रनाम में भगवान लक्ष्मीपति श्रीविष्णु के एक हजार नाम अंकित किये गये हैं. हिंदू शास्त्र में विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ का विशेष महत्व वर्णित है. यह भी पढ़े: Kamada Ekadashi 2021: आज है कामदा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, भगवान विष्णु की पूजा विधि, मंत्र और महत्व

इस मंत्र से मिलेगा विष्णु सहस्रनाम स्त्रोत्र का लाभ:

'नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे।

सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:।।'

यह एक अत्यंत पवित्र श्लोक है, जिस का असर विष्णु सहस्रनाम स्त्रोत्र जितना ही प्रभावशाली है. प्रतिदिन प्रातःकाल उठकर इस मंत्र का जाप करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी वजह से आप विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं, तब विकल्प के तौर पर इस मंत्र का जाप किया जा सकता है. लेकिन किसी भी मंत्र का जाप स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद भगवान विष्णु जी की पूजा के दरम्यान करने से ही फलीभूत होता है.

विष्णु सहस्त्रनाम का महात्म्य

महर्षि वेदव्यास रचित महाभारत के ‘अनुशासन पर्व’ अध्याय में श्रीहरि के एक हजार नामों का उल्लेख है. भीष्म पितामह जब सर-शय्या पर लेटे अपनी इच्छा मृत्यु के लिए उपयुक्त समय की प्रतीक्षा कर रहे थे, उन्हीं दिनों धर्मराज युधिष्ठिर भीष्म पितामह के पास ज्ञानार्जन के लिए पहुंचे. बातों ही बातों में धर्मराज ने उनसे पूछा, -हे पितामह, इस ब्रह्माण्ड में सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान कौन है, तब भीष्म पितामह ने भगवान विष्णु के एक हजार नामों का उल्लेख करते हुए बताया विष्णु ही इस जगत के पालन हार हैं और पालनहार ही सर्वशक्तिमान होता है. इस बात का संकेत विष्णु सहस्त्रनाम में मिल जाता है.

विष्णु सहस्रनाम के पाठ का लाभ:

भीष्म पितामह ने भगवान विष्णु के एक हजार नाम बताने के साथ ही कहा कि हर युग में इन एक हजार नामों को सुनने एवं पढ़ने से व्यक्ति की हर मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. गुरुवार के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने से जीवन की सारी समस्याएं दूर होती हैं और घर में किसी भी तरह की नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं कर पाती हैं.

शैव और वैष्णव का संगम है विष्णु सहस्त्रनाम

विष्णु सहस्रनाम में भगवान विष्णु को शंभु, शिव, ईशान और रुद्र का नाम भी दिया गया है. इसका आशय यही कि शिव और विष्णु एक ही हैं. सनातन संप्रदाय में धर्म से ऊपर कर्म को प्रधानता दी गई है. कर्म को मानव जीवन के कर्तव्य और कायदे के रूप में दर्शाया गया है. वस्तुतः विष्णु सहस्रनाम भी कर्म प्रधान है. विष्णु सहस्त्रनामों में मानव धर्म के बारे में विस्तार से बताया गया है.