मदुरै: देशभर में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. साल के इस पहले पर्व को दक्षिण भारत में पोंगल (Pongal) के नाम से जाना जाता है. पोंगल तमिल हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जो कृषि एवं फसल से संबंधित देवताओं को समर्पित है. तमिलनाडु (Tamil Nadu) में हर साल पोंगल के अवसर पर परंपरागत खेल जल्लीकट्टू (Jallikattu) का आयोजन किया जाता है. हर साल की तरह इस साल भी जल्लीकट्टू प्रतियोगिता (Jallikattu Competition) की शुरुआत हो गई है. यह खेल 2, 300 साल पुराना है, जिसे तमिलनाडु के गौरव और संस्कृति का प्रतीक कहा जाता है. हालांकि इस खेल पर कई बार प्रतिबंध लगाने की कोशिशें भी की गईं, बावजूद इसके हर साल इसका आयोजन बड़े पैमानें पर किया जाता है.
15 जनवरी से 31 जनवरी 2020 तक चलने वाली इस प्रतियोगिता का आयोजन मदुरै के अवनीपुरम (Avaniyapuram) में किया गया है, जिसमें करीब 700 बैल और 730 प्रतियोगी हिस्सा ले रहे हैं. हालांकि पालमेडु (Palamedu) और अलंगनल्लूर (Alanganallur) में आयोजित जल्लीकट्टू प्रतियोगिता में 21 साल से कम उम्र वालों को भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई है.
देखें वीडियो-
#WATCH Tamil Nadu: #Jallikattu competitions have begun in Madurai's Avaniyapuram. 700 bulls and 730 Bull Catchers are participating in it. pic.twitter.com/jMdwRG45gN
— ANI (@ANI) January 15, 2020
जानकारी के मुताबिक, मदुरै के अवनीपुरम में आयोजित जल्लीकट्टू प्रतियोगिता में 730 बैल, अलंगनल्लूर में 700 बैल और पलामेडु में 650 बैल हिस्सा ले रहे हैं.
जल्लीकट्टू प्रतियोगिता शुरु-
Tamil Nadu: #Jallikattu event begins at Avaniyapuram in Madurai. 730 bulls in Avaniyapuram, 700 bulls in Alanganallur and 650 bulls in Palamedu are participating in Jallikattu competitions this year. pic.twitter.com/BzmJV9J5az
— ANI (@ANI) January 15, 2020
इस खेल में शामिल होने वाले प्रतियोगी बैल के सींग को पकड़कर उसे काबू में करने की कोशिश करते हैं. सालों से चले आ रहे इस खेल में कई लोग अपनी जान भी गवां चुके हैं. इस खेल में एक छोटी सी गली में दोनों तरफ स्टैंड लगाए जाते हैं और गली में जुती हुई मिट्टी होती है. यहां बैल को भगाया जाता है और प्रतियोगी उसे कुछ सेकेंड के लिए पकड़ने की कोशिश करते हैं. यह भी पढ़ें: तमिलनाडु: मदुरै जिले में जल्लीकट्टू की तैयारियां शुरू, 15 जनवरी से आयोजित होंगी प्रतियोगिता प्रतियोगिताएं
गौरतलब है कि जानवरों के प्रति क्रूरता वाले इस जानलेवा खेल को पिछले दो दशकों से बैन करने की लगातार कोशिश की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2015 में इस खेल पर प्रतिबंध भी लगा दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसके बाद इस खेल पर लगी पाबंदी को फिर से हटा लिया गया.