Sita Navami 2022 Greetings In Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी (Sita Navami) का पर्व मनाया जाता है, जिसे जानकी नवमी (Janki Navami) भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेतायुग में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता सीता (Mata Sita) का प्राकट्य धरती से हुआ था, इसलिए इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है. वाल्मिकी रामायण के अनुसार, एक बार मिथिला में भयंकर सूखा पड़ा था, जिससे राजा जनक बेहद परेशान थे. इस विकट समस्या से निजात पाने के लिए ऋषियों ने उन्हें यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया. यज्ञ के समापन के बाद राजा जनक ने धरती पर हल चलाया तो उन्हें सोने के संदूक में एक सुंदर व दिव्य कन्या मिली, जिसे उन्होंने सीता नाम दिया. राजा जनक ने सीता को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया, इसलिए माता सीता को जानकी भी कहा जाता है.
भगवान राम की पत्नी और मिथिला के राजा जनक की पुत्री माता सीता को धन व ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है. सीता नवमी पर माता सीता और भगवान राम की विधि-विधान से पूजा की जाती है. ऐसे में इस खास अवसर पर आप इन हिंदी ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक मैसेजेस, कोट्स, इमेजेस को भेजकर अपनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- आपको सीता नवमी की बहुत-बहुत बधाई,
प्रियजन और दोस्त सदा रहें आपके करीब,
लक्ष्मी स्वरूपा सीता हर परेशानी करें दूर,
सीता नवमी आपके लिए हो शुभ फलदायी.
सीता नवमी की शुभकामनाएं
2- श्री राम जी आपके संसार में,
सुख की बरसात करें,
और दुखों का नाश करें,
माता सीता के आशीर्वाद से,
आपका घर आंगन सदा खुशहाल रहे.
सीता नवमी की शुभकामनाएं
3- देश मना रहा है सीता नवमी का त्योहार,
आपको मिले उनका आशीर्वाद और प्यार,
धन-धान्य और खुशियों से भरा रहे घर-परिवार,
दिनों-दिन बढ़ता जाए आपका कारोबार.
सीता नवमी की शुभकामनाएं
4- मां सीता आपके जीवन में खुशियां लाएं,
माता सीता की सच्चे मन से पूजा करें,
सीता नवमी के पावन अवसर पर,
दुआ है कि उनकी कृपा आप पर बनी रहे.
सीता नवमी की शुभकामनाएं
5- आज सीता नवमी का त्योहार है,
जगमगा रहा ये संसार है,
मां की आराधना में तल्लीन हो जाओ,
अपनी हर मनोकामना पूरी होती पाओ.
सीता नवमी की शुभकामनाएं
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, लक्ष्मी स्वरूपा माता सीता का विवाह श्रीहरि के सातवें अवतार भगवान श्रीराम से हुआ था. हालांकि विवाह के बाद माता सीता और श्रीराम को 14 साल का वनवास झेलना पड़ा था. माता सीता के दो पुत्र थे, जिनको लव और कुश के नाम से जाना जाता है. माता सीता आज भी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. उनके जीवन त्याग, बलिदान और समर्पण भाव की प्रेरणा मिलती है.