Shab-e-Barat 2023 Mubarak Wishes in Hindi: शब-ए-बारात (Shab-e-Barat) को इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के आठवें महीने शाबान (Shabaan) की 14वीं और 15वीं रात के बीच मनाया जाता है, जिसका इस्लाम धर्म में खास महत्व बताया जाता है. इस साल देशभर में शब-ए-बारात 7 मार्च को मनाया जा रहा है. शब-ए-बारात 7 मार्च से शुरु होकर 8 मार्च तक जारी रहेगा. इस रात को माफी की रात और प्रायश्चित का दिन भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन लोग अपने पापों के लिए अल्लाह से माफी मांगते हैं. इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, शब-ए-बारात की रात आने वाले वर्ष के लिए लोगों की किस्मत तय की जाती है और उनके कर्मों का लेखा-जोखा ॉकिया जाता है. शब-ए-बारात इस्लाम धर्म की 4 मुकद्दस रातों में से एक है, जिसमें पहली आशूरा की रात, दूसरी शब-ए-मेराज, तीसरी शब-ए-बारात और आखिरी शब-ए-कद्र होती है.
इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, शब-ए-बारात के दिन अल्लाह पूरे जहान का लेखा-जोखा तैयार करते हैं. इसके साथ ही लोगों के लिए काम, माफी और सजा मुकर्रर करते हैं. इस पाक रात की आप अपनों को मुबारकबाद न दें ऐसा कैसे हो सकता है. आप इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, कोट्स के जरिए अपनों को शब-ए-बारात मुबारक कह सकते हैं.
1- अल्लाह, तूने मुझे यह सुंदर जीवन दिया है,
तूने ही ये मुबारक रात दी है,
तू ही मेरा आने वाला कल संवारेगा,
तेरी रजा में ही मुझे खुशियां मिलेंगी.
शब-ए-बारात मुबारक
2- रात को नया चांद मुबारक,
चांद को चांदनी मुबारक,
फलक को सितारे मुबारक,
सितारों को बुलंदी मुबारक,
आपको हमारी तरफ से,
शब-ए-बारात मुबारक
3- रहमतों की बरसात होगी आज,
खुशियों से मुलाकात होगी आज,
कोई अधूरी न रहे दुआ आपकी,
यही दुआ हमारी है आज.
शब-ए-बारात मुबारक
4- रहमतों की आई है रात,
दुआ है आप सदा रहें आबाद,
दुआ में रखना हमें भी याद,
मुबारक हो आपको शब-ए-बारात.
शब-ए-बारात मुबारक
5- अगर मुझसे कोई गलती हो गई हो,
तो मुझे माफ कर देना...
आज शब-ए-बारात है,
खुदा की इबादत कर लेना...
शब-ए-बारात मुबारक
शब-ए-बारात को बेरात कांदिली (Berat Kandili), लैलातुन बारात (Lailatul Barat), मोक्ष की रात (Night of Salvation) और दक्षिणपूर्व एशियाई मुस्लिम देश में निस्फु स्याबन (Nisfu Syaaban) के तौर पर भी जाना जाता है. इस्लाम में इस पाक रात का बहुत महत्व बताया जाता है. इस पाक रात दुनिया भर के मुसलमान मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं और कब्रिस्तान में अपने प्रियजनों की कब्रों पर जाकर उनके लिए दुआ करते हैं. इसके साथ ही अल्लाह से अपने गुनाहों के लिए माफी मांगी जाती है. इस रात लोग कुरान की तिलावत और खुदा की इबादत के साथ अपने पूर्वजों को याद करते हैं.