RK Laxman 99th Birth Anniversary: भारतीय कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण ने अपने कार्टून के जरिये दिखाया ’कॉमन मैन’ का चेहरा, जानें इनके बारे में कुछ रोचक तथ्य
आर.के लक्ष्मण, (फोटो क्रेडिट्स: फाइल फोटो )

रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण (Rasipuram Krishnaswami Laxman) जो आर के लक्ष्मण के रूप में लोकप्रिय थे. इनका जन्म 24 अक्टूबर 1921 को मैसूर में हुआ था. ये भारतीय कार्टूनिस्ट थे जिन्हें 'कॉमन मैन' के क्रिएशन के लिए जाना जाता है. आपने कार्टून आर्ट से इन्होने लाखों दिलों पर कब्जा किया. आर के लक्ष्मण एक इल्यूस्ट्रेटर और ह्युमरिस्ट थे. उन्होंने अपनी दैनिक कार्टून स्ट्रिप 'यू सेड इट’को द टाइम्स ऑफ इंडिया में 1951 में शुरू किया था. 26 जनवरी साल 2015 में पुणे में उनका निधन हो गया. आज आरके लक्ष्मण की 99 वीं जयंती पर हम आपको उनके बारे कुछ रोचक तथ्य बताएंगे. यह भी पढ़ें: Ashfaqulla Khan's Birth Anniversary:- आज देश मना रहा है अशफाक उल्ला खां की 120वीं जयंती, जानें कब और कैसे गांधी से टूटा इनका मोह और नरमपंथी से गरमपंथियों में हुए शामिल

उनके चित्रण ने आम आदमी को बहुत आकर्षित किया है. उन्होंने लोगों को विश्वास दिलाया की आम जीवन की छोटी छोटी घटनाएं और बातें ह्यूमर ला सकती हैं. उन्होंने हमें अपने विचारों के सरल प्रतिनिधित्व के साथ बहुत सारे पाठ पढ़ाए. आरके लक्ष्मण की जयंती पर लोकप्रिय इलस्ट्रेटर को याद करने के लिए हम आपको बताएंगे उनके जीवन के बारे में कुछ रोचक तथ्य.

आर.के लक्ष्मण के कार्टून्स की ताकत का इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि एमरजेंसी के दौर में आरके कार्टून्स पर बैन लगा दिया गया था. लेकिन तमाम धमकियों के बावजूद उन्होंने कार्टून बनाना जारी रखा. आर के लक्ष्मण के धारदार और चुटीले कार्टून आम लोगों के जेहन पर तत्काल धारदार प्रहार करते थे.

आरके लक्ष्मण के कार्टून्स समसामयिक राजनीतिक विकृतियों और खामियों को निशाना बनाती थी. इनके कार्टून्स में आम लोगों की समस्याएं दिखाई जाती थी. और उस पर कटाक्ष ऐसा कि लोग कई बार सोचने के लिए मजबूर हो जाया करते थे.

आर के लक्ष्मण का सबसे चर्चित कार्टून किरदार 'कॉमन मैन' था. जिसकी पहचान धोती पर चेक्स वाले कोट, सिर्फ पर बचे तितर बितर चंद बाल और टेढ़ा चश्मा थी. आम आदमी सरीखे दिखने वाला ये किरदार आम लोगों के बीच बेहद पोपुलर था. इस कार्टून की लोकप्रियता ऐसी थी कि सन् 1985 में इसकी प्रदर्शनी लंदन में लगाई गई थी.

हाई स्कूल पास करने के बाद आर के लक्ष्मण ने मुंबई के 'जे जे स्कूल ऑफ आर्ट्स' में एडमिशन के लिए आवेदन दिया. लेकिन कॉलेज के डीन ने यह कहकर दाखिला देने से मना कर दिया कि उनके चित्रों में कोई खास बात नजर नहीं आती है.

आर के लक्ष्मण को बचपन से ही चित्र बनाने का शौक था. बचपन में वो अक्सर दीवारों और जमीन पर चित्र बनाते जिसकी वजह से उन्हें डांट मिलती थी. साल 2003 में लक्ष्मण को लकवे का अटैक हुआ. जिंदगी के आखिरी दिन आरके लक्ष्मण ने पुणे में गुजारे थे. उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और 1984 में रमन मैग्सेसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था.