Ramzan 2021: क्या रमजान में रोजेदार कोरोना वैक्सीन लेने के साथ-साथ डोनेट कर सकते हैं प्लाज्मा, जानें ऐसे ही जरूरी सवालों के जवाब
रमजान मुबारक 2021 (Photo Credits: File Image)

Ramzan 2021: इस्लाम धर्म का सबसे पाक महीना रमजान (Ramadan) चल रहा है. रहमतों और बरकतों वाले इस पाक महीने में दुनियाभर के मुसलमान रोजा रखकर अल्लाह की इबादत में अपना ज्यादा से ज्यादा समय बिता रहे हैं. सूर्योदय से पहले सहरी (Sehri) करके मुस्लिम समुदाय के लोग अपने रोजे की शुरुआत करते हैं और सूर्यास्त के बाद इफ्तारी (Iftar) के साथ अपना रोजा खोलते हैं. इस साल कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) की दूसरी लहर के बीच माह-ए-रमजान मनाया जा रहा है. हालांकि देश में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान भी जोरों पर है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या रोजा रखने वाले रोजेदार रमजान में कोरोना की वैक्सीन ले सकते हैं और क्या वो किसी की जिंदगी बचाने के लिए प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं. चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब…

क्या रोजेदार रोजा रखकर ले सकते हैं कोरोना वैक्सीन?

इस्लाम धर्म के विद्वानों की मानें तो शरीयत में छूट मिली है कि अगर किसी को स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है तो वह रोजा छोड़ सकता है. हालांकि कोरोना की वैक्सीन कोई आम इंजेक्शन नहीं है, क्योंकि इसे लगवाने के बाद लोगों को निगरानी में रहना पड़ता है और किसी तरह की दिक्कत हो तो उसके हिसाब से इलाज किया जाता है. ऐसे में इस्लामिक विद्वानों का मानना है कि जिस दिन वैक्सीन लगवानी हो उस दिन रोजा न रखें. हालांकि कई जगहों पर रात में भी वैक्सीन लग रही है, ऐसे में इफ्तार के बाद वैक्सीन लगवाई जा सकती है.

क्या रोजेदार रोजा रखकर डोनेट कर सकता है प्लाज्मा?

रमजान को रहमतों और बरकतों का महीना कहा जाता है, इसलिए इस पूरे महीने लोग नेकी और सवाब का काम करते हैं. प्लाज्मा डोनेट करके किसी जरूरतमंद की जिंदगी बचाई जा सकती है और इस्लाम धर्म में किसी की जान बचाना बहुत ही सवाब का काम बताया गया है. इस्लाम धर्म के विद्वानों के अनुसार, रोजेदार प्लाज्मा दे सकते हैं और किसी को ब्लड भी डोनेट कर सकते हैं, लेकिन प्लाज्मा या खून किसी रोजेदार को चढ़ाया नहीं जा सकता है.

कोरोना संकट के बीच क्या घर पर पढ़ सकते हैं तरावीह की नमाज?

रमजान महीने में रोजा रखने वाले रोजेदार 5 वक्त की नमाज अदा करते हैं. खासकर तरावीह की नमाज को पढ़ने के लिए रोजेदार मस्जिद में जाते हैं, लेकिन कोरोना के मद्देनजर लोगों को घरों में रहकर ही नमाज अदा करना जरुरी हो गया है. या फिर मस्जिद में तरावीह की नमाज अदा करनी है तो फिर सरकार की तरफ से जारी सभी गाइडलाइन्स का पालन करना आवश्यक है. बता दें कि तरावीह की नमाज एक से डेढ़ घंटे तक चलती है, इसलिए भीड़ में इस नमाज को अदा करने से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है.

गौरतलब है कि इस्लाम धर्म में इस बात की रियायत दी गई है कि रोजेदार किसी मजबूरी या फिर स्वास्थ्य कारणों के चलते रोजा छोड़ सकते हैं और उसके बदले साल में कभी भी रोजा रख सकते हैं. कहा जाता है कि अगर आप किसी कारणवश रोजा छोड़ देते हैं तो उस दिन किसी जरूरतमंद को अनाज दान करें या फिर उसके बराबर की रकम दान करें. बहरहाल, उम्मीद है कि कोरोना वैक्सीन लेने से लेकर प्लाज्मा डोनेट करने तक की आपके मन की सारी दुविधाएं दूर हो गई होंगी.