Ram Navami 2020 Muhurat: हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को श्रीरामनवमी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन अयोध्या में राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या के गर्भ से भगवान विष्णु के अवतार के रूप में श्रीराम का जन्म हुआ था. इस उपलक्ष्य में देश भर में राम जन्मोत्सव की धूम रहती है, और तरह-तरह के आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 2 अप्रैल 2020 के दिन श्रीराम नवमी मनाया जायेगा.
कैसे मनाते हैं श्रीराम जन्मोत्सव
इस दिन प्रातःकाल स्नान-ध्यान करने के पश्चात श्रीराम जन्मोत्सव पर व्रत का संकल्प लेते हैं. इसके पश्चात श्रद्धालु श्रीराम भजन गाते हुए प्रभात फेरी निकालते हैं. दोपहर 12 बजे भगवान श्रीराम जन्मोत्सव को दौरान भगवान श्रीराम की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है. इस उपलक्ष्य में देश भर में तरह-तरह के धार्मिक समारोह आयोजित किये जाते हैं. कुछ जगहों पर श्रीराम की लीलाओं का प्रदर्शन किया जाता है. शहर-शहर राम-रथ या राम शोभायात्रा निकाली जाती है, और भक्त जय श्रीराम का उद्घोष करते हुए आगे बढ़ते हैं.
अयोध्या में होती है विशेष धूम
मान्यतानुसार भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था और उन्होंने अपने बचपन का ज्यादा समय यहीं बिताया था, इसलिए यहां भगवान श्रीराम से जुड़ी कई स्मृतियां हैं. इस दिन पूरी अयोध्या में रामनवमी की धूम और छटा बस देखते बनती है. यहां श्रीरामजन्मोत्सव का केंद्र होता है कनक भवन एवं सरयु नदी का तट, जहां भव्य मेला का आयोजन होता है. प्रातःकाल शुभ मुहूर्त में श्रीराम के साथ माता सीता एवं लक्ष्मण की प्रतिमा से सुसज्ज रथयात्रा निकाली जाती है. इस रथयात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं. अयोध्या नगरी एवं वहां स्थित सरयु तट पर दिव्य झांकियां निकाली जाती है.
रामनवमी की पूजा विधि
श्रीरामनवमी के दिन श्रद्धालु मंदिरों एवं घरों में श्रीराम जन्मोत्सव मनाते हैं. देश भर के राम-मंदिरों की साज-सज्जा एक सप्ताह पूर्व से शुरू हो जाती है. जगह-जगह राम-भजन एवं यज्ञादि कार्य सम्पन्न होते हैं. इस दिन भक्तगण श्रीराम-मंत्र का जाप करते हैं. घरों में श्रीरामलला की प्रतिमा को चरणामृत से स्नान कराने के बाद गंगाजल से स्नानादि कराया जाता है. उन्हें फूलों एवं रत्नों से अलंकृत झूले में लिटाया जाता है, तथा नये वस्त्र पहनाये जाते हैं, उनका श्रृंगार किया जाता है. इसके बाद उन्हें अक्षत और रोली का तिलक लगाया जाता है, धूप-दीप एवं फल-फूल से उनकी पूजा की जाती है. पूजा के समय तुलसी पत्ता एवं कमल का फूल अवश्य चढ़ाएं, प्रसाद में खीर और फल-मूल चढाएं. षोडशोपचार विधि से पूजा करें. इसके बाद ‘भये प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी’ गाया जाता है. दक्षिण भारत में, रामनवमी के ही दिन भगवान राम और माता सीता के विवाह का दिन भी माना जाता है. इसलिए उनकी प्रतिमाओं की पूजा की जाती है.
श्रीरामजन्मोत्सव 2020 शुभ मुहूर्त
02 अप्रैल 2020 (गुरुवार) प्रातःकाल 03.40 बजे से
03 अप्रैल 2020 (शुक्रवार) प्रातःकाल 02.43 बजे तक
श्रीरामनवमी का मुहूर्त अवधि 2 घंटे 30 मिनट तक
क्यों विशेष है इस बार की रामनवमी
इस वर्ष श्रीरामनवमी गुरुवार के दिन पड़ रही है. यह दिन भगवान विष्णु का प्रिय दिवस माना जाता है. भगवान श्रीराम विष्णुजी के अवतार हैं. गुरुवार के दिन भगवान राम की पूजा करने का अर्थ है भगवान विष्णु के प्रति भक्ति और आस्था को दर्शाना. ज्योतिषियों का मानना है कि आज के दिन रामनवमी का व्रत करने से व्यक्ति विशेष श्रीराम के साथ-साथ भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा.