Radha Ashtami 2022 Wishes in Hindi: हिंदू धर्म में जिस तरह से कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का विशेष महत्व बताया जाता है, उसी तरह से राधा अष्टमी (Radha Ashtami) का भी खास महत्व है. कान्हा के जन्मोत्सव के ठीक 15 दिन बाद राधा रानी का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, राधा रानी का जन्मोत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन राधा रानी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस बार अष्टमी तिथि 3 और 4 सितंबर, दोनों ही दिन पड़ रही है. 3 सितंबर को दोपहर 12.25 बजे से अष्टमी तिथि शुरु हो रही है, जबकि यह तिथि 4 सितंबर को सुबह 10.40 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, राधा अष्टमी का व्रत (Radha Ashtami Vrat) 4 सितंबर को रखना फलदायी होगा.
राधा अष्टमी का व्रत करने से राधा रानी के साथ-साथ भगवान कृष्ण की भी कृपा प्राप्त होती है. इस व्रत को रखने से घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है. इस उत्सव की बधाई देने के लिए शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान भी किया जाता है. आप भी इन भक्तिमय विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स के जरिए राधा अष्टमी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- राधा कहती हैं दुनिया वालों से,
तुम्हारे और मेरे प्यार में बस इतना अंतर है,
प्यार में पड़कर तुमने अपना सब कुछ खो दिया,
और मैंने खुद को खोकर सब कुछ पा लिया.
राधा अष्टमी की शुभकामनाएं
2- राधा ने किसी और की तरफ देखा ही नहीं,
जब से वो कृष्ण के प्यार में खो गईं,
कान्हा के प्यार में पड़कर,
वो खुद प्यार की परिभाषा हो गईं.
राधा अष्टमी की शुभकामनाएं
3- राधा त्याग की राह चली तो,
हर पथ फूल बिछा गए कृष्ण,
राधा ने प्रेम की आन रखी तो,
प्रेम का मान बढ़ा गए कृष्ण.
राधा अष्टमी की शुभकामनाएं
4- हर शाम हर किसी के लिए सुहानी नहीं होती,
हर प्यार के पीछे कोई कहानी नहीं होती,
कुछ असर तो होता है दो आत्मा के मेल का,
वरना गोरी राधा, सांवले कृष्णा की दीवानी न होती.
राधा अष्टमी की शुभकामनाएं
5- सुध-बुध खो रही राधा रानी,
इंतजार अब सहा न जाए,
कोई कह दो सांवरे से,
वो जल्दी राधा के पास आए.
राधा अष्टमी की शुभकामनाएं
राधा अष्टमी की पूजा विधि की बात करें तो इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर कलश की स्थापना करें, फिर राधा रानी की प्रतिमा स्थापित करें. अब उनकी षोडशोपचार विधि से पूजन करें और पूजन के दौरान उन्हें फल, मिठाई और खीर का भोग अर्पित करें. इसके बाद राधा रानी और कृष्ण जी की आरती करें, फिर प्रसाद वितरित करके खुद भी उसे ग्रहण करें.