Navratri 2019: आश्विन मास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक शारदीय नवरात्रि (Sharad Navratri) एवं दशमी को दुर्गा पूजा (Durga Puja) विसर्जन एवं विजयदशमी के साथ ही दस दिनों का महापर्व सम्पन्न होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार यूं तो मां दुर्गा की नवरात्रि (Navratri) पर्व साल में चार बार आता है, लेकिन आम श्रद्धालुओं के लिए चैत्र एवं अश्विन माह की नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. दोनों ही नवरात्रों में पूजा विधि लगभग समान रहती है और नौ दिनों तक दुर्गा जी (Maa Durga) के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है
नवरात्रि पूजा की शुरुआत श्रीराम ने की
सनातन धर्म के सबसे बड़े धार्मिक पर्व नवरात्रि एवं विजयदशमी की धूम केवल भारत में ही नहीं बल्कि परदेसों में भी खूब है. नवरात्रि के संदर्भ में बहुत सारी कथा-कहानियां प्रचलित हैं. कहा जाता है कि शारदीय नवरात्रि पूजा की शुरुआत श्रीराम (Lord Rama) ने अपने वनवास काल में की थी. भगवान श्रीराम अपनी माता सीता (Mata Sita) को रावण की कैद से छुड़ाने के लिए लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व सागर तट पर किया था, ताकि वह रावण पर विजयश्री प्राप्त कर सकें. कहते हैं कि श्रीराम ने शारदीय नवरात्रि पर नौ दिनों तक उपवास रखते हुए नवरात्रि की पूजा की थी. इसके पश्चात उन्होंने समुद्र पार कर लंका पर आक्रमण कर न केवल रावण का संहार किया, बल्कि माँ सीता को भी आजाद कराया. तभी से असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय स्वरूप विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है.
ब्रह्मा जी ने श्रीराम से चंडी देवी की पूजा करने को कहा
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा जी ने श्रीराम को लंका युद्ध जीतने एवं रावण के संहार के लिए चंडी देवी का पूजन कर उन्हें प्रसन्न करने का सुझाव दिया था. ब्रह्मा जी के बताये पूजा-विधान के अनुरूप चंडी पूजन एवं हवन के लिए दुर्लभ 108 नीलकमल पुष्प की व्यवस्था की गयी थी. उधर रावण ने भी अमरता की लालच में विजय कामना से चंडी पाठ प्रारंभ किया था. रावण की मंशा इंद्र देव ने वायु देवता के माध्यम से श्रीराम तक पहुंचाई. उन्हें यह भी बताया कि रावण किसी भी हालत में आपका चंडी पाठ पूरी नहीं होने देगा, इसलिए किसी भी कीमत में आप अपना चंडीपाठ अवश्य पूरा करें. उधर रावण ने अपनी मायावी शक्ति से भगवान श्रीराम के पूजा स्थल पर रखे 108 नीलकमल पुष्प में से एक नीलकमल पुष्प लेकर गायब हो गया. श्रीराम को लगा कि 108 नीलकमल पुष्प नहीं होने से देवी नाराज होंगी और उनका संकल्प एवं पूजा पूरी नहीं होगी.
माँ चंडी देवी ने श्रीराम को विजयश्री का दिया आशीर्वाद
नीलकमल जैसे दुर्लभ पुष्प की व्यवस्था तत्काल संभव नहीं था. अकस्मात श्रीराम को ध्यान आया कि लोग उनकी आंखों को ‘कमल नयन नवकंज लोचन’ कहते हैं, तो क्यों न संकल्प एवं पूजा-अर्चना की पूर्ति के लिए एक नीलकमल पुष्प की जगह अपनी आंख देवी को चढ़ा दिया जाए. बस श्रीराम ने अपनी तरकश से एक बाण निकाल कर अपनी एक आँख निकालने की कोशिश कि तभी चंडी देवी प्रकट हुई, और उन्होंने कहा, वत्स मैं तुम्हारी पूजा और निष्ठा से प्रसन्न हूं. तुम इस महायुद्ध में अवश्य विजयी होगे. यह भी पढ़ें: Navratri 2019: रामलीला की पौराणिक कथा में हाईटेक तड़का, उड़ते हनुमान और जलती लंका को देख रोमांचित हो रहे हैं दर्शक
हनुमान जी ने श्रीराम के प्रति दिखाई सच्ची भक्ति
उधर रावण भी श्रीराम पर विजय प्राप्ति के लिए चंडी पाठ और यज्ञ करवा रहा था. इस यज्ञ में उपस्थित ब्राह्मणों की सेवाकार्य में संलग्न कार्यकर्ताओं के बीच वेष बदलकर हनुमान जी भी शामिल हो गये, एव बड़ी निष्ठा, शालीनता और सेवाभाव से उनकी सेवा में लग गये. ब्राह्मण हनुमान जी की सच्ची सेवा से बहुत प्रभावित थे. ब्राह्मणों ने कहा, वत्स आप हम ब्राह्मणों की बड़े सच्चे मन से सेवा कर रहे हैं. हम आपसे बहुत प्रसन्न हैं, आपको कोई वर मांगना चाहते हैं तो बताइये. तब हनुमान जी ने कहा, हे ब्राह्मण महाराज आपको हमारा सेवाकार्य अच्छा लगा, हम धन्य हो गये. अगर आप मुझे कुछ देना चाहते हैं तो जिस मंत्र के लिए यज्ञ कर रहे हैं, उसका एक अक्षर मेरे अनुसार बदल दीजिये.
ब्राह्मणजन हनुमान जी के इस गूढ़ रहस्य को समझ नहीं पाये और उन्होंने तथास्तु कह दिया. मंत्र में जो परिवर्तन हुआ वह यह था कि मूल मंत्र में जयादेवी... भूतिहरिणी में ‘ह’ की जगह ‘क’ का उच्चारण करवाया गया. अब भूतिहरिणी अर्थात ‘प्राणियों की पीड़ा हरने वाली’ की जगह ‘प्राणियों को पीड़ित करने वाली’ हो गया. इस बदले हुए मंत्र का जाप करने से मां चंडिका क्रोध से आग बबूला हो गयीं. उन्होंने रावण को श्राप दिया कि इस युद्ध में अब तुम्हारा सर्वनाश कोई नहीं रोक सकता. इस तरह हनुमान जी के प्रयास से मर्यादा पुरुषोत्मम श्रीराम रावण का संहार करने में सफल हुए. श्रीराम लंका युद्ध में विजयी होकर माता सीता पुष्पक विमान से अयोध्या की ओर कूच हुए.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.