Narada Jayanti 2023: बचपन से ही हममें से अधिकांश लोगों ने "नारायण नारायण" का जाप सुना होगा. नारद जयंती (Narada Jayanti) देवर्षि नारद मुनि का दिन है, जिन्हें भगवान के दूत के रूप में जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल इसी समय के आसपास नारद मुनि की जयंती के रूप में मनाया जाता है. वह भगवान विष्णु के भक्त और एक महत्वपूर्ण वैदिक ऋषि थे. नारद मुनि अपनी गायन प्रकृति के माध्यम से सूचनाओं का संचार करने के लिए आकाश, पाताल और पृथ्वी जैसे विभिन्न लोकों की यात्रा करते हैं. वे तीनों लोकों में संदेश पहुँचाते समय अपनी वीणा बजाते थे. यह सैकड़ों और हजारों हिंदू भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. यह भी पढ़ें: Chankaya Niti: शर्म नहीं संभोग में भी स्त्री पुरुष से आगे है! जानें किन-किन मामलों में स्त्री पुरुषों पर भारी पड़ती हैं?
देवऋषि नारद को उनके अंदर एक महान संगीतकार के साथ पत्रकारिता के दृष्टिकोण को चित्रित करने वाला माना जाता है. उत्तर भारत में लोग इस दिन को कुछ खास रीति-रिवाजों के साथ मनाते हैं. हिंदू कैलेंडर 2023 के अनुसार, नारद जयंती वैसाख महीने में कृष्ण पक्ष के दौरान और प्रतिपदा तिथि के पहले दिन आती है. इस साल यह दिन 6 मई को मनाया जा रहा है. देवर्षि नारद को श्रुति-स्मृति, इतिहास, पुराण, व्याकरण, वेदांग, संगीत, खगोल-भूगोल, ज्योतिष और योग जैसे कई शास्त्रों का प्रकांड विद्वान माना जाता है. इस शुभ दिन पर आप अपने घरों में रहते हुए सोशल मीडिया के जरिए इन प्यारे WhatsApp Stickers, Facebook Messages, GIF Greetings, SMS, Quotes & Wallpapers के जरिए प्रियजनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- संसार में सबसे महत्वपूर्ण है,
वो सुनना, जो नहीं कहा जा रहा.
नारद जयंती की हार्दिक बधाई
2- ईश्वर के दूत हैं देवर्षि नारद,
उनको हम सभी करते हैं नमन.
नारद जयंती की हार्दिक बधाई
3- सही शब्द प्रभावी हो सकता है,
पर कभी भी कोई शब्द,
इतना प्रभावी नहीं हुआ है,
जितना कि सही समय पर
दिया गया एक विराम.
नारद जयंती की हार्दिक बधाई
4- सृष्टि के पहले पत्रकार,
देवर्षि नारद जी की जयंती पर,
आप सभी को हार्दिक बधाई.
नारद जयंती की हार्दिक बधाई
5- देवर्षि नारद मुनि की,
आप पर कृपा बनी रहे,
नारायण-नारायण का जाप,
आपके मन में सदा चलता रहे.
नारद जयंती की हार्दिक बधाई
इस दिन भक्त सुबह जल्दी स्नान करते हैं और स्नान के बाद भगवान विष्णु के साथ नारद मुनि की पूजा की जाती है. यह पूजा तुलसी के पत्ते, फूल, मिठाई चढ़ाकर और नारद मुनि के सामने एक दीया जलाकर की जाती है. भक्त आमतौर पर इस दिन केवल दुग्ध उत्पादों और फलों के सेवन से उपवास करते हैं. उनमें से कुछ अपना समय "विष्णु सहस्रनाम" के मंत्रों को पढ़ने में बिताते हैं. पूजा की समाप्ति के बाद, ब्राह्मणों को कुछ प्रसाद के साथ भोजन प्रदान करके ब्राह्मण सेवा की जाती है, जो एक महत्वपूर्ण और शुभ अनुष्ठान है.