Mangala Gauri Vrat 2023: कल है सावन मंगला गौरी का आठवां व्रत! जानें इस व्रत का महात्म्य एवं विशेष पूजा विधि!
Mangala Gauri Vrat 2023

Mangala Gauri Vrat 2023: धर्म शास्त्रों में सावन के सोमवार को भगवान शिव की पूजा-अनुष्ठान का विधान है, वहीं सावन के मंगलवार को महिलाएं मंगला गौरी यानी माँ पार्वती की व्रत-पूजा करती हैं. ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार जिन कन्याओं की कुंडली में विवाह-दोष हो, दाम्पत्य जीवन में खटास हो अथवा संतान-सुख की ईच्छा पूरी नहीं हो रही हो, अगर वे सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत एवं विधि-विधान से पूजा करें तो उन पर माँ गौरी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. आज 22 अगस्त 2023 को सावन माह का आठवां मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा. आइये जानते हैं इस मंगला गौरी व्रत के महात्म्य, मंत्र, मुहूर्त एवं पूजा-विधि के बारे में...यह भी पढ़ें: World Sanskrit Day 2023: कब और क्यों मनाया जाता है विश्व संस्कृत दिवस? जानें संस्कृत भाषा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य!

मंगला गौरी व्रत का महात्म्य

देश में जहां-जहां सावन के सोमवार को भगवान शिव की पूजा होती है, वहीं अगले दिन यानी सावन के मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत भी रखा जाता है. हालांकि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में मंगला गौरी व्रत की विशेष धूम देखी जाती है. इस दिन सुहागन स्त्रियां अपने सुहाग एवं अपने परिवार में सुख-शांति एवं समृद्धि के लिए करती हैं. इसके अलावा यदि कुंवारी कन्याएं मंगला गौरी व्रत रखती हैं, तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है, तथा विवाह में आ रही अड़चनें दूर हो जाती है. सावन के आठवें मंगलवार को कल्कि जयंती होने से इस दिन का महात्म्य बढ जाता है

मंगला गौरी व्रत-पूजा के नियम

श्रावण शुक्ल षष्ठी को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान कर पूजा-स्थल की सफाई करें. मां गौरी का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. मंदिर के सामने चौकी बिछाएं, इस पर लाल एवं सफेद कपड़ा बिछाएं. सफेद कपड़े पर चावल से नौग्रह बनाएं, तथा लाल कपड़े पर गेहूं से षोडश माता की आकृति बनाएं. चौकी के एक छोर पर थोड़ा चावल एवं पुष्प रखें. इस पर कलश स्थापित करें. कलश में जल, अक्षत, रोली एवं सिक्का रखें. आटे का चौमुखी दीपक बनाकर हर मुख पर दो-दो बत्तियां डालें और शुद्ध घी डालकर दीप प्रज्वलित करें. पहले भगवान गणेश का ध्यान कर निम्न मंत्र का जाप करें. जल, रोली, दूर्वा, आदि अर्पित करें.

गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थजम्बूफलसर भक्तम्।

उमासुतं शोकविनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम्॥

अब कलश, नौग्रह एवं षोडश माता की पूजा करें. मिट्टी की मंगला गौरी बनाकर उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं, और वस्त्र पहनाएं. रोली, चंदन, सिंदूर, मेहंदी, आलता एवं काजल लगाएं. फूल माला चढ़ाएं, और मेवा सुपारी, तथा श्रृंगार की सभी वस्तुएं अर्पित करें. अगले दिन मंगला गौरी का विसर्जन करने के बाद व्रत पारण करें.

आठवें मंगला गौरी पर बन रहे हैं ये विशेष योग

शुक्ल योगः 10.17 PM (22 अगस्त 2023)

स्वाती नक्षत्रः सूर्योदय (22 अगस्त 2023) से अगले दिन (22 अगस्त 2023) 08.08 PM तक

कल्कि जयंतीः इस दिन भगवान विष्णु कल्कि के रूप में दसवां अवतार लें