Mangala Gauri Vrat 2023: सावन अधिमास के चौथे मंगला गौरी व्रत का महत्व! विवाह एवं संतान-प्राप्ति हेतु करें विशेष पूजा और उपाय!
Mangala Gauri Vrat 2023

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार सावन मास में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत एवं पूजा का विधान है. अधिकमास का चौथा मंगला गौरी व्रत 8 अगस्त 2023 को पड़ रहा है. सावन मास के इस चौथे अधिमास के मंगला गौरी व्रत पर सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु एवं संतान प्राप्ति के लिए व्रत एवं माता गौरी के लिए व्रत एवं पूजा करती हैं. आइये जानते हैं, मंगला गौरी व्रत के बारे में विस्तार से... यह भी पढ़ें: Sawan Somvar 2023: सावन सोमवार को रुद्राक्ष धारण करने के क्या हैं लाभ? जानें इसका महत्व, लाभ एवं पहनने के नियम!

अधिमास के चौथे मंगला गौरी व्रत का महत्व

सावन मास का मंगला गौरी व्रत सुहागन महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु एवं संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है. यह व्रत एवं अनुष्ठान विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं शेष दक्षिण भारत में यह व्रत मंगला गौरी व्रतम के रखा और पूजा जाता है. मान्यता है कि सावन मास के सभी मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखने और माता पार्वती की पूजा करने से भगवान शिव और पार्वती प्रसन्न होते हैं, और इच्छित मनोकामनाएं पूरी करते हैं. सावन अधिमास के चौथा मंगलागौरी विशेष रूप से संतान प्राप्ति और विवाह में आ रही रुकावटें दूर करने में अति सिद्धिदायक माना जाता है. इस व्रत को करने वाले का दाम्पत्य जीवन सदा सुखी रहता है.

पूजा विधि

सावन अधिमास के चौथे मंगलवार को सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर माँ गौरी का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. अब माता पार्वती की प्रतिमा पर गंगाजल छिड़क कर उन्हें लाल एवं सफेद वस्त्र अर्पित करें. इसके बाद माँ पार्वती को सोलह श्रृंगार की सभी वस्तुएं अर्पित कर माता पार्वती के निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें.

ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।

माता गौरी को सिंदूर अर्पित कर दूध से बनी मिष्ठान अर्पित करें. माता पार्वती की आरती उतार कर पूजा सम्पन्न करें और सभी को प्रसाद वितरित कर स्वयं ग्रहण करें, और व्रत का पारण करें.

सावन मास के चौथे मंगलागौरी पर करें ये उपाय

*  सावन अधिमास के चौथे मंगला गौरी व्रत के दिन मिट्टी का घड़ा नदी में प्रवाहित करें, ऐसा करने से विवाह में आ रही निगेटिविटी दूर होती है.

* मंगला गौरी व्रत के साथ पूजा करते समय माँ गौरी को चुनरी के साथ 16 श्रृंगार की वस्तुएं एवं 16 लाल फूल की मालाएं अर्पित करें और पूजा के पश्चात माला को बहती नदी में प्रवाहित करें औऱ सोलह श्रृंगार की वस्तुएं किसी सुहागन ब्राह्मणी को दान कर दें.

* जिसकी कुंडली में मगल अथवा शनि दोष है तो मंगलौ गौरी का व्रत रखें और माता पार्वती के निम्न मंत्र का 21 बार जाप करें.

'ॐ गौरीशंकराय नमः'

मंगला गौरी की पूजा के पश्चात गरीबों को लाल मसुर का दाल, लाल वस्त्र एवं गुड़ दान करें. ऐसा करके निसंतान दम्पत्ति की संतान की इच्छा पूरी होती है.