Mahesh Navami 2021 Messages in Hindi: हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महेश नवमी (Mahesh Navami) का पर्व मनाया जाता है. यह पावन तिथि इस साल 19 जून 2021 (शनिवार) को पड़ रही है. इसे महेशन नवमी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की विशेष कृपा से महेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन शिव-पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर शिव का अभिषेक करना चाहिए और ऐसा करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है. इसके अलावा इस दिन शिव चालीसा, शिव के मत्रों का जप और शिवजी की आरती का पाठ करना चाहिए.
महेश नवमी के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है. इस खास अवसर पर लोग एक-दूसरे के साथ शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान भी करते हैं. आप भी महेशन नवमी पर इन भक्तिमय मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस को भेजकर अपनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- भगवान शिव की बनी रहे आप पर छाया,
पलट दे जो आपकी किस्मत की काया,
मिले आपको वो सब अपनी जिंदगी में,
जो कभी किसी ने भी ना पाया.
महेश नवमी की शुभकामनाएं
2- मेरे महादेव आपके बिना मैं शून्य हूं,
आप साथ हो महाकाल तो मैं अनंत हूं,
जय श्री त्रिकालनाथ महाकाल...
महेश नवमी की शुभकामनाएं
3- सबसे बड़ा तेरा दरबार है,
तू ही सबका पालनहार है,
सजा दे या माफी महादेव,
तू ही हमारी सरकार है...
महेश नवमी की शुभकामनाएं
4- महेश जिनका नाम है,
कैलाश जिनका धाम है,
देवों के देव महादेव को,
हम सबका प्रणाम है...
महेश नवमी की शुभकामनाएं
5- शव हूं मैं भी शिव बिना,
शव में शिव का वास,
शिव मेरे आराध्य हैं,
मैं हूं शिव का दास...
महेश नवमी की शुभकामनाएं
महेश नवमी का विशेष महत्व बताया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की कृपा से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी. इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता के अनुसार, माहेश्वरी समाज के पूर्वज क्षत्रिय वंश के थे, इनके वशंज एक बार शिकार करने के लिए जंगल चले गए, जहां उनके शिकार करने के कारण तपस्या में लीन ऋषि मुनि की तपस्या भंग हो गई. इससे नाराज होकर उन्होंने इस वंश की समाप्ति का श्राप दे दिया, तब ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी पर भगवान शिव की कृपा इस वंश को श्राप से मुक्ति मिली और उन्होंने इस समाज को माहेश्वरी नाम दिया.