माना जाता है कि रमजान की आखिरी पांच विषम रातों में अल्लाह की भरपूर रहमत बरसती है. इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, लैलात-अल-कद्र (Laylat al-Qadr) अथवा शब-ए-कद्र (Shab-e-Qadr) की वह रात है, जब पवित्र कुरान को पहली बार स्वर्ग से पृथ्वी पर भेजा गया था. प्रत्येक वर्ष इस्लामिक कैलेंडर में नौवें माह की आखिरी पांच विषम रातों को शब-ए-कद्र या फिर लैलत अल-कद्र की रातों के रूप में मनाया जाता है, जिसे द नाइट ऑफ पावर भी कहा जाता है. ये रातें रमजान के आखिरी दस दिनों की विषम संख्या वाली रातों में पड़ती है, जो इस्लामिक कैलेंडर का नवां महीना होता है. यह भी पढ़ें: Jamat ul-Vida 2023: कब है रमजान का आखिरी जुमा? जानें अलविदा जुम्मा का इस्लाम में महत्व!
मुस्लिम समाज शब-ए-कद्र पर विशेष नमाज अदा करता है, और अपने सभी पापों के लिए छमा याचना करता है. इस पूरी रात सभी लोग जागते रहते हैं. उम्मीद की जा रही है कि इस बार लैलत अल कद्र 2023, मंगलवार की रात मनाई जाएगी. इस शुभ रात को कद्र (लैलत-उन-कद्र) या शब-ए-कद्र की रात समेत कई नामों से जाना जाता है, मसलन फरमान, शक्ति की रात, मूल्य की रात और आशीर्वाद की रात आदि. जैसा कि हम लैलत अल कद्र 2023 को मनाते हैं, यहां हम आपको इस दिन के इतिहास और महत्व के बारे में अधिक जानने की आवश्यकता है.
लैलत अल-क़द्र 2023 तारीख और समय
लैलत अल-क़द्र, जिसे शब-ए-कद्र के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला यह सबसे पवित्र समय है. शब-ए-कद्र प्रत्येक वर्ष रमजान के पवित्र माह की आखिरी 5 विषम रातों में मनाया जाता है. इसका आशय है कि लैलत अल-कद्र रमजान की 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं या 29वीं रात को आती है. गौरतलब है कि यह रमजान की 27 वीं रात होने की सबसे अधिक संभावना है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 18 अप्रैल को पड़ती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मुसलमानों का मानना है कि इन रातों के दौरान आप अल्लाह से जो कुछ भी मनोकामना करते हैं, वह प्रार्थना अल्लाह के आशीर्वाद से कुबूल हो जाती है. साल 2023 में, लैलत अल-क़द्र पांच रातों- 12 अप्रैल, 14 अप्रैल, 16 वीं, 18 वीं और 20 तारीख को पड़ेगी.
लैलत अल-कद्र 2023 तारीख
12 अप्रैल 2023 को 21वीं रात है
14 अप्रैल 2023 को 23वीं रात है
16 अप्रैल 2023 को 25वीं रात है
18 अप्रैल 2023 को 27वीं रात है
20 अप्रैल 2023 को 29वीं रात है
मान्यता है कि रमजान की आखिरी पांच विषम रातों में अल्लाह की भरपूर रहमत बरसती है. इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, लैलात अल-क़द्र या शब-ए-कद्र वह रात है, जब पवित्र कुरान को पहली बार स्वर्ग से पृथ्वी पर भेजा गया था, तथा शब-ए-क़द्र वह रात है, जब कुरान की पहली आयतें इस्लामिक पैगंबर मुहम्मद को बताई गई थीं. शब-ए-कद्र के दौरान, दुनिया भर के मुस्लिम समुदाय द्वारा एक विशेष दुआ पढ़ी जाती है और यह 'अल्लाहुम्मा इन्नाका' अफुवुन तुहिब्बुल अफवा फाफू 'आनी है.