Shri Krishna Janmashtami 2023 Sanskrit Wishes: कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में इस पावन तिथि पर मथुरा (Mathura) नगरी में कंस के कारागृह में माता देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण (Bhagwan Shri Krishna) ने जन्म लिया था. इस साल जन्माष्टमी दो दिन तक मनाई जा रही है, गृहस्थ जीवन वाले जहां आज (6 सितंबर 2023) जन्माष्टमी मना रहे हैं तो वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोग कल यानी 7 सितंबर 2023 को कान्हा का जन्मोत्सव मनाएंगे. शास्त्रों के अनुसार, जिस दिन अष्टमी के साथ रोहिणी नक्षत्र का संयोग बन रहा हो, उस दिन जन्माष्टमी व्रत-पूजन करना बेहद शुभ माना जाता है.
कान्हा के जन्मोत्सव का पर्व मनाने के लिए जन्माष्टमी के दिन घरों में झाकियां सजाई जाती हैं, भजन-कीर्तन किए जाते हैं. कृष्ण भक्त व्रत रखकर, बाल गोपाल का भव्य श्रृंगार करते हैं और रात्रि में 12 बजे कान्हा का जन्म कराया जाता है. इस अवसर पर अपने प्रियजनों को आप इन संस्कृत विशेज, मैसेजेस, ग्रीटिंग्स, एसएमएस, कोट्स और श्लोक के जरिए संस्कृत में बधाई दे सकते हैं.
1- वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्।
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥
भावार्थ : मैं वसुदेव पुत्र, देवकी के परमानन्द, कंस और चाणूर जैसे दैत्यों का वध करने वाले,
समस्त संसार के गुरू भगवान कृष्ण को वन्दन करता हूं.
2- मन्दं हसन्तं प्रभया लसन्तं जनस्य चित्तं सततं हरन्तम्।
वेणुं नितान्तं मधु वादयन्तं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥
भावार्थ : मृदु हास्य करनेवाले, तेज से चमकनेवाले, हमेशा लोगों का चित्त आकर्षित करने वाले, अत्यंत मधुर बासुरी बजानेवाले बालकृष्ण का मैं मन से स्मरण करता हूं.
3- ईश्वरः परमः कृष्णः सच्चिदानन्दविग्रहः। अनादिरादिर्गोविन्दः सर्वेकारणकारणम् ॥
भावार्थ : भगवान तो कृष्ण हैं, जो सच्चिदानन्द स्वरुप हैं। उनका कोई आदि नहीं है, क्योंकि वे प्रत्येक वस्तु के आदि हैं। भगवान गोविंद समस्त कारणों के कारण हैं.
4- दिने दिने नवं नवं नमामि नन्दसंभवम्।
भावार्थ : प्रतिदिन नये रूप में, नंदकुमार को मेरा प्रणाम।
5- कृष्ण! शीघ्रमेहि!
भावार्थ : श्री कृष्ण! जल्दी आओ!
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सूर्योदय से व्रत किया जाता है और फिर पूजन के बाद या अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है. जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें. शाम के समय पूजा स्थल पर झांकी सजाएं, लड्डू गोपाल की मूर्ति को झूले पर स्थापित करें. पूजन के दौरान माता देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और माता लक्ष्मी का विधिवत पूजन करें, बाल गोपाल का श्रृंगार कर रात 12 बजे शंख और घंटी बजाकर कान्हा का जन्म कराएं. इसके बाद खीरा काटकर उसे कान्हा को अर्पित करें, फिर धनिए की पंजीरी और माखन-मिश्री का भोग अर्पित कर अंत में आरती उतारें.