शिव पुराण के ईशान संहिता में वर्णित है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) पर्व मनाया जाता है. इसी दिन शिव-पार्वती का विवाह हुआ था. शिव पुराण कोटि रूद्र संहिता में महाशिवरात्रि व्रत से भोग एवं मोक्ष की प्राप्ति का उल्लेख है. एक बार जब ब्रह्मा-विष्णु और पार्वती ने शिवजी से इस विषय पर प्रश्न किया तो उन्होंने बतलाया, -शिवरात्रि व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन मोक्ष की प्राप्ति के लिए चार संकल्पों पर नियमपूर्वक पालन करना चाहिए. ये चार संकल्प हैं, महाशिवरात्रि पर शिव की पूजा, रुद्रमंत्र का जाप, शिव मंदिर में उपवास तथा काशी में देहत्याग.
शिवपुराण में मोक्ष के चार सनातन मार्गों में महाशिवरात्रि पूजन का विशेष महत्व बताया गया है. अतः इसे पूरे विधि-विधान के साथ करना चाहिए. प्रत्येक मास के शिवरात्रि व्रत में भी फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी में होने वाले महाशिवरात्रि व्रत का शिव पुराण में विशेष महात्म्य है.
उपवास में रात्रि जागरण करें
हमारे ऋषि-मुनियों ने सभी आध्यात्मिक अनुष्ठानों में उपवास के महात्म्य को स्वीकारा है. आध्यात्मिकता के लिए उपवास आवश्यक है. उपवास के साथ-साथ रात्रि जागरण के महत्व पर अधिकांश संत-महात्माओं का कथन बेहद लोकप्रिय है.
या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी
अर्थात उपासना में इंद्रियों और मन पर नियंत्रण करने वाला संयमी व्यक्ति रात्रि जागरण कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश कर सकता है. अतः शिवोपासना के लिए उपवास एवं रात्रि जागरण प्रभावशाली साबित हो सकता है. शिव जी को रात्रि का पहर प्रिय है. इसलिए रात्रि जागरण के साथ शिव पूजन फलदायी माना जाता है. इसलिए सभी व्रतधारी रात्रि में जागकर शिव जी का पूजन करते हैं. सुबह शिव जी की आरती के बाद यह उपासना सम्पन्न होती है.
कैसे करें पूजा-अर्चना
शिवपुराण के अनुसार शिवरात्रि का यह व्रत स्त्री पुरुष कोई भी कर सकता है. व्रतियों को सुबह उठकर स्नान आदि के पश्चात शिवजी का ध्यान करते हुए मस्तक पर भभूत का तिलक लगाएं एवं रुद्राक्ष की माला पहन लें. इसके पश्चात शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का विधि पूर्वक पूजन करें. पूजन की इस विधि में शिवलिंग पर बेल पत्र, बेर, धतूरा, मदार के सफेद पुष्प चढ़ाने के बाद ऊपर से धीमी धार के साथ दूध चढ़ाएं.
रात्रि में पूजा कैसे करें
सायंकाल स्नान करके किसी शिव मंदिर में जाकर अथवा घर पर ही पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके पूजा स्थान पर बैठें, माथे पर तिलक लगाएं, रुद्राक्ष की माला ग्रहण करें. अब शिव-पार्वती का कीर्तन करते हुए अंत में निम्न मंत्र का शुद्धता के साथ जाप करें.
ममाखिलपापक्षय पूर्वक सकलाभीष्ठसिद्धये
शिवप्रीत्यर्थ च शिवपूजनमहं करिष्ये
शारीरिक रूप से कमजोर, बीमार, वयोवृद्ध दिन में फलाहार ग्रहण कर रात्रि पूजा कर सकते हैं. वैसे बिना फलाहार ग्रहण किए रात्रि की पूजा करना श्रेयष्कर होता है. शिव जी के पूजन में बहुत सारी सावधानियां बरतनी पड़ती हैं. इसलिए बेहतर होगा कि शिव जी की रात्रि-पूजा का अनुष्ठान किसी पुरोहित से ही करवाएं. शिव पुराण को कोटिरुद्रसंहिता में वर्णित है कि महाशिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति को भोग और मोक्ष दोनों प्राप्त होते हैं.