Karwa Chauth 2019: इस बार दोहरे संयोग लेकर आ रहा है करवा चौथ! जानें क्या हैं संयोग और किसके लिए क्या है महात्म्य!
करवा चौथ 2019 (Photo Credits: File Photo)

Karwa Chauth 2019: करवा चौथ (Karwa Chauth) की सैकड़ों सालों से चली आ रही परंपरा यही है कि पत्नी अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती है, लेकिन वर्तमान में पति भी पत्नी के स्वास्थ एवं लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth Vrat) रखकर एक मिसाल पेश कर रहे हैं. देखा जाये तो इस व्रत का महात्म्य भी यही है कि पति की दीर्घायु तभी सार्थक होगी जब पत्नी भी उसके साथ रहेगी. सनातन धर्म में वैसे भी पति-पत्नी (Husband And Wife) के रिश्तों की दुहाई सात जन्मों की दी जाती है. इसलिए विधान के अनुसार जिस घर में पति-पत्नी दोनों ही करवा चौथ का व्रत रखते हैं, वहां दोनों चंद्रमा (Moon) का अर्घ्य देने के पश्चात एक दूसरे को जल पिलाकर व्रत का पारण करते हैं.

दो वजहों से खास है इस वर्ष का करवा चौथ

इस बार करवा चौथ का व्रत दो वजहों से बहुत खास बन गया है. प्रथम यह कि सत्तर सालों के बाद करवा चौथ शुभ संयोग में पड़ रहा है, दूसरा यह कि इस बार करवा चौथ तृतीया एवं चतुर्थी के योग में आ रहा है. जिसे व्रतियों के लिए बहुत मंगलकारी माना जा रहा है. अब आइये इस पर विस्तार से बातें करें. यह भी पढ़ें: Karwa Chauth 2019 Wishes In Hindi: सुहागन महिलाओं का खास पर्व है करवा चौथ, इन हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, Messages, GIF, SMS और Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं

70 साल बाद शुभ संयोग में करवा चौथ

ज्योतिषियों के अनुसार इस बार करवा चौथ का व्रत पति और पत्नी दोनों के लिए ही बहुत खास माना जा सकता है. 70 साल बाद पहली बार रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग बनकर आना करवा चौथ को अत्यधिक मंगलकारी बना रहा है. ज्योतिषियों का कहना है कि रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कण्डेय और सत्याभामा योग इस करवा चौथ पर बन रहा है. पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए ये व्रत अतिफलदायक साबित होगा.

तृतीया व चतुर्थी का मंगलमय योग  

ज्योतिषाचार्य तृतीया व चतुर्थी के योग वाले करवा चौथ को भी महत्वपूर्ण बता रहे हैं. इस बार करवा चौथ तृतीया में शुरू होकर चतुर्थी को सम्पन्न हो रहा है. सुहागनों के लिए यह योग बहुत शुभ बताया जा रहा है.  इस व्रत में सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव, माता पार्वती, श्रीगणेश एवं मंगल ग्रह के स्वामी कार्तिकेय जी की सामूहिक पूजा-अर्चना करती हैं. यह भी पढ़ें: Karwa Chauth 2019: करवा चौथ का व्रत करते समय इन बातों का रखें ध्यान! तभी होंगे मनोरथ पूरे!

शिव जी के परिवार की पूजा करने के पश्चात चंद्र देवता का दर्शन, अर्घ्य एवं पूजन का विधान है. इस व्रत के विधान के अनुसार उपवास रखने वाले पकवानों से भरे दस करवे- श्रीगणेश जी के सामने भोग लगाने के लिए रखते हुए मन ही मन प्रार्थना करती हैं कि हे गणपति महाराज आप मुझ पर प्रसन्न हों. करवा चौथ का व्रत कम से कम 12 या 16 साल तक अवश्य करना चाहिए. इसके बाद उद्यापन कर सकते हैं.