Kartik Purnima 2021 Messages in Hindi: हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) का विशेष महत्व बताया जाता है. कार्तिक अमावस्या को दीपावली (Deepawali) का त्योहार मनाए जाने के बाद कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली (Dev Deepawali) मनाई जाती है, जिसकी भव्यता और दिव्यता भगवान शिव (Lord Shiva) की नगरी काशी में देखते ही बनती है. आज यानी 19 नवंबर 2021 को कार्तिक पूर्णिमा का यह पावन पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन भोलेनाथ की पावन नगरी काशी (Kashi) में देव दिवाली (Dev Diwali) का उत्सव बहुत भव्य और दिव्य तरीके से मनाया जाता है. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा की संध्या को ही भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने मत्स्य अवतार लिया था और भगवान शिव ने इसी दिन त्रिपुरारी अवतार लेकर त्रिपुरासुर (Tripurasur) का संहार किया था.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान और जरूरतमंदों को दान करने से कई गुना अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. इस दिन दीपदान करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस अति पावन अवसर पर आप अपने प्रियजनों के साथ इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स और एचडी इमेजेस को शेयर करके उनसे हैप्पी कार्तिक पूर्णिमा कह सकते हैं.
1- कार्तिक पूर्णिमा का ये पावन त्योहार,
आपके लिए लाए खुशियां हजार,
भगवान विष्णु विराजें आपके द्वार,
हमारी शुभकामनाएं करें स्वीकार.
हैप्पी कार्तिक पूर्णिमा
2- चांद सी शीतलता, शुभ्रता,
कोमलता, उदारता, प्रेमलता,
आपको और आपके परिवार को मिले.
हैप्पी कार्तिक पूर्णिमा
3- हम आपको कार्तिक पूर्णिमा की बधाई देते हैं,
ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि आपको जिंदगी में,
बहुत तरक्की और खुशियां मिले,
त्रिपुरारी भगवान भोलेनाथ आपकी मनोकामनाएं पूरी करें.
हैप्पी कार्तिक पूर्णिमा
यह भी पढ़ें: Dev Deepawali 2021: कब और क्यों मनाते हैं देव दीवाली? जानें इस दिन क्या-क्या कार्य करना जरूरी है!
4- कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि है अति पावन,
बरसे है देवताओं का प्यार और आशीर्वाद,
चंद्रमा की चांदनी और मां लक्ष्मी का प्यार,
शुभ हो आपके लिए कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार.
हैप्पी कार्तिक पूर्णिमा
5- दीपों का ये पावन त्योहार,
आपके लिए लाए खुशियां हजार,
लक्ष्मी जी विराजें आपके द्वार,
हमारी शुभकामनाएं करें स्वीकार.
हैप्पी कार्तिक पूर्णिमा
कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का संहार किया था, इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा और त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है. दरअसल, शिवजी ने त्रिपुरासुर नाम के असुर भाइयों की तिकड़ी को समाप्त कर सबको उनके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी. भगवान शिव की इस विजय का जश्न मनाने के लिए सभी देवताओं ने काशी में देव दीपावली मनाई थी. यही वजह है कि आज भी कार्तिक पूर्णिमा पर काशी के गंगा घाटों को दीयों की रोशनी से रोशन किया जाता है और देव दीपावली मनाई जाती है.