Kabir Das Jayanti 2023 Wishes: कबीर दास जयंती पर इन शानदार दोहे, Quotes, WhatsApp Messages, Facebook Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं
कबीर दास जयंती 2023 (Photo Credits: File Image)

Kabir Das Jayanti 2023 Wishes in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को संत कबीर दास जी की जयंती (Sant Kabir Das Jayanti) मनाई जाती है और अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक 04 जून 2023 को उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है. कहा जाता है कि कबीर दास जी (Kabir Das Ji) एक ऐसे संत थे, जिन्हें सभी धर्मों के लोग मानते थे, इसलिए जब उनकी मृत्यु हुई तो उनके अंतिम संस्कार को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष में विवाद हो गया था. इस विवाद के बीच जब शव से चादर हटाई गई तो वहां केवल फूल ही मिले, जिसे दोनों समुदाय के लोगों ने आपस में बांट लिया और अपनी-अपनी धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से उनका अंतिम संस्कार किया. संत कबीर दास जी के दोहे आज भी हमारे जीवन को प्रेरणा देकर सही मार्ग दिखाने का प्रयास करते हैं.

संत कबीर दास जी ने अपने दोहों और विचारों के जरिए मध्यकालीन भारत के जनमानस को प्रभावित किया था. उन्होंने समाज में फैले अंधविश्वास, रूढ़िवादी परंपराओं और पाखंड का विरोध करते हुए इंसानियत को सबसे ऊपर रखा, इसलिए उनके जन्मोत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. संत कबीर दास जयंती पर आप इन विशेज, दोहे, कोट्स, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए शुभकामनाएं दे सकते हैं.

1- बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।

जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥

कबीर दास जयंती की शुभकामनाएं

कबीर दास जयंती 2023 (Photo Credits: File Image)

2- माला फेरत जुग गया, गया न मन का फेर।

कर का मन का डा‍रि दे, मन का मनका फेर॥

कबीर दास जयंती की शुभकामनाएं

कबीर दास जयंती 2023 (Photo Credits: File Image)

3- बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।

पंछी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥

कबीर दास जयंती की शुभकामनाएं

कबीर दास जयंती 2023 (Photo Credits: File Image)

4- दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करै न कोय।

जो सुख में सुमिरन करे, दुख काहे को होय॥

कबीर दास जयंती की शुभकामनाएं

कबीर दास जयंती 2023 (Photo Credits: File Image)

5- माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय।

एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय॥

कबीर दास जयंती की शुभकामनाएं

कबीर दास जयंती 2023 (Photo Credits: File Image)

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, संत कबीर दास जी का जन्म काशी के समकक्ष लहरतारा ताल में सन 1398 में हुआ था. उनके जन्म को लेकर कुछ विद्वानों का मानना है कि रामानंद गुरु के आशीर्वाद से एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से उनका जन्म हुआ था, लेकिन लोक-लाज के भय से उस ब्राह्मणी ने नन्हे बालक को काशी के लहरतारा तालाब में छोड़ दिया था, तभी वहां से गुजर रहे नव विवाहित दंपत्ति नीमा और नीरू विश्राम करने के लिए तालाब के पास रूके तो उन्हें कबीर दास जी (Sant Kabir Das) कमल के फूल में लिपटे हुए मिले थे. कहा जाता है कि इस दंपत्ति ने उनकी परवरिश अपने पुत्र की तरह की, जबकि दूसरी तरफ कुछ विद्वानों का मानना है कि कबीर दास जी जन्म से मुस्लिम थे और उन्हें गुरु रामानंद से राम नाम का ज्ञान प्राप्त हुआ था.