Holi 2019: बसंत (Basant) के आगमन के साथ ही पश्चिमी से बहनेवाली बयार फागुन का एहसास कराने लगती है. उत्तर (North) से लेकर दक्षिण (South) और पूरब (East) से लेकर पश्चिम (West) तक इस पर्व के अनेक रंग-रूप देखने को मिलते हैं, जो विस्मयकारी हैं तो मस्ती में सराबोर भी कराते हैं. इतनी मौज-मस्ती, इतना अल्हड़पना, इतना बेबाक, इतनी आत्मीयता किस पर्व (Festival) में देखने को मिलती है? लेकिन इस पर्व का संपूर्ण आनंद लेना है तो देश के विभिन्न प्रदेशों में मनाये जानेवाली होलियों (Holi) के बारे में जानना जरूरी है.
उत्तर प्रदेशः होली के रंग हजार
उत्तर प्रदेश यानी, विभिन्नताओं का प्रदेश.. जहां हर 100 किमी पर बोली के साथ होली की संस्कृति भी बदली हुई नजर आती है. इन सभी जगहों पर होली का अपना अनूठापन होता है. विशेष रूप से ब्रज की होली दुनिया भर में मशहूर है. मथुरा, वृंदावन में एक अलग किस्म की होली खेली जाती है, जिसे ‘लट्ठमार होली’ कहते हैं. यहां की होली राधा-कृष्ण के प्रेम कहानी का प्रतीक भी माना जाता है. इसके अलावा इलाहाबाद, वाराणसी, कानपुर और वाराणसी की होली का भी अपना खास अंदाज है.
उत्तराखंडः होली की अनूठी परंपरा
उत्तराखंड की होली अपने लोक-संगीत, संस्कृति और परंपराओं के लिए बहुत लोकप्रिय है. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में तबले, मंजीरे और हारमोनियम के साथ मनाया जाने वाला फगुवा हर किसी को आकर्षित करता है. अपनी सशक्त संस्कृति की पहचान रखनेवाले अल्मोड़ा और देहरादून में फाल्गुनी बयार के साथ होल्यारों की महफिलें सजने लगती हैं. बच्चे, युवा, वृद्ध सभी महफिल में शामिल होते हैं. इसके बाद तबले की थाप, मंजीरे की खनक और हारमोनियम की स्वर लहरियों पर जब सभी एक सुर में गाते हैं, 'ऐसे चटक रंग डारो कन्हैया...' अचानक पूरा माहौल होलीमय हो जाता है. यह नजारा कमोबेस पूरे उत्तराखंड में देखने को मिलता है. यह भी पढ़ें: Holi 2019: जानिए बरसाना, मथुरा और वृंदावन में कब खेली जाएगी होली, ब्रज के इस मशहूर उत्सव को अब आप भी यहां देख सकते हैं लाइव
बंगाल की ‘दोल यात्रा’
बंगाल की होली का अलग रंग होता है. ‘दोल यात्रा’ यहां की प्रचलित होली. है. दोल शब्द का आशय झूला होता है. झूले पर राधा-कृष्ण की मूर्तियां रखी जाती है. सुहागन लाल किनारावाली पारंपरिक साड़ियां पहनकर शंख बजाते हुए राधा-कृष्ण की पूजा करती हैं. इसके बाद अबीर-गुलाल और रंगों से होली खेली जाती है. जमींदारी प्रथा के युग में उनके आवास के सिंहद्वार आम लोगों के लिए खोल दिये जाते थे. यहां राधा-कृष्ण मंदिर में पूजा अर्चना चलता था. बंगाल की होली की चर्चा शांति निकेतन की चर्चा बिना अधूरी रहेगी. रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा शुरु किये गये ‘बसंत उत्सव’ की परंपरा बदस्तूर जारी है. विश्वभारती विश्वविद्यालय परिसर में छात्र धोती-कुर्ता और छात्राएं लाल बॉर्डर की पीली साड़ी पहनकर रंग खेलते हुए जुलूस निकालते हैं.
हैप्पी होली 2019:-
बिहार की कुर्ताफाड़ होली
बिहार में ज्यादातर जगहों पर फगुवा और जोगीरा गानों के साथ होली खेलने का रिवाज है. कई जगहों पर कीचड़ की होली भी खेली जाती है. कहीं-कहीं एक दूसरे का कुर्ता फाड़ते हुए भी देखा जाता है. कुछ स्थानों पर ब्रज का प्रभाव भी नजर आता है. जहां गोपियां उलाहने देती हैं, जवाब गोपाल देते हैं. सवाल-जवाब का यह काव्य देर तक चलता है. यहां का ‘छाता होली’ भी खूब लोकप्रिय है. पटोरी गांव के लोग छाता लेकर निकलते हैं. एक अन्य ग्रुप इन पर रंग फेंकता है, तब ये छाते की आड़ खुद को बचाने का प्रयास करते हैं. यह भी पढ़ें: Holi 2019: क्यों मनाया जाता है रंगों का त्योहार होली, जानिए इससे जुड़ी दिलचस्प पौराणिक कथाएं
गोवा का शिमगोत्सव
गोवा के लोग बहुत शांत प्रवृत्ति के होते हैं. यहां होली को शिमगोत्सव के नाम से लोकप्रिय है. मूल गोवा के लोग बसंत ऋतु का स्वागत स्वरूप टोली बनाकर रंग खेलते हैं. कुछ लोग विभिन्न वेषभूषा में भारतीय संस्कृतियों का प्रदर्शन करते हैं. इस अवसर पर पूरा गोवा एकदम अलग नजर आता है. जगह-जगह विभिन्न वेशभूषाओं वाली प्रतिमाएं लगाई जाती हैं, जिसमें भारतीय इतिहास एवं आध्यात्म के दर्शन होते हैं. पिछले कुछ वर्षो से दूरदराज से लोग होली सेलीब्रेट करने गोवा आने लगे हैं. इसमें विदेशी मेहमान होते हैं.
हरियाणा की होली देवर-भाभी की होली
यहां ब्रज की होली की झलक मिलती है. ढोल-ताशों के साथ युवकों की टोली मुहल्ले-मुहल्ले घूमती है. इनका स्वागत गांव की बहुएं करती हैं. फिर एक साथ सब मिलकर होली खेलते हुए नृत्य करते हैं. कुछ स्थानों पर देवर भाभियों को रंगों से सराबोर करने की कोशिश करते हैं, तो भाभियां उन पर कोड़े चलाती हैं. इसे कोरड़ा-होली कहते हैं. कहीं युवक पिचकारियों में रंग भरकर युवतियों पर फेंकते हैं, युवतियां विरोध करती हैं. यह दृश्य राधा-कृष्ण की रास-लीला की याद ताजा कराता है. यह भी पढ़ें: Holi 2019: ब्रज की होली है दुनिया भर में मशहूर, रंगों के इस उत्सव में शामिल होने के लिए विदेशों से भी आते हैं लोग
राजस्थान की होली
राजस्थान में भी होली की विभिन्न छटाएं देखने को मिलती है. बाड़मेर में पत्थरमार होली तो अजमेर में कोड़ा-होली होती है. सलंबर कस्बे में आदिवासी गेर खेलकर होली मनाते हैं. इस दिन युवक हाथ में एक बांस जिस पर घूंघरू और रूमाल बंधा होता है,जिसे गेली कहा जाता है लेकर नृत्य करते हैं। युवतियां फाग गाती हैं. भरतपुर की युवतियां फाल्गुन के आगमन के साथ गा उठतीं हैं "सखी री भागन ते फागुन आयौ, मैं तो खेलूंगी श्याम संग फाग. गांव की चौपालों पर ग्रामीण अपने लोकवाद्य "बम" के साथ अपने ढप, ढोल और झांझ बजाते हुए रसिया गाते हैं.
कर्नाटक का कामना हब्बा
कर्नाटक में होली का पर्व कामना हब्बा के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव जी ने कामदेव को अपने तीसरी आंख खोलकर भस्म कर दिया था, जब कामदेव ने उनकी तपस्या को जनहित में भस्म करने की कोशिश की थी. इस पर्व पर कूड़ा-करकट व फटे वस्त्र एक खुली जगह एकत्रित किए जाते हैं तथा इन्हें अग्नि को समर्पित किया जाता है। आस-पास के सभी पड़ोसी इस उत्सव को देखने आते हैं. यह भी पढ़ें: Holi 2019: 14 मार्च से होलाष्टक की हो रही है शुरुआत, इन आठ दिनों तक न करें कोई शुभ कार्य, नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान
पंजाब का होला मोहल्ला
पंजाब में होली को होला मोहल्ला के नाम से जाना जाता है. होली की सुबह-सुबह निहंग पंजाब के कोने-कोने से लोग आनंदपुर साहिब में एकत्र होते हैं. घोड़ों पर सवार निहंग तलवारों का कौशल दिखाकर अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हैं. जितना चुस्त घोड़ा होता है, उससे ज्यादा चुस्त और फूर्तीला सवार होता है. इसे देखने के लिए देश भर से लोग यहां आते हैं.