Holi 2019: 14 मार्च से होलाष्टक की हो रही है शुरुआत, इन आठ दिनों तक न करें कोई शुभ कार्य, नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान
14 फरवरी से शुरु हो रहा है होलाष्टक (Representational Image/ Photo Credit: Facebook)

Holi 2019: फाल्गुन माह की पूर्णिमा (Purnima) के दिन रंगों का पर्व होली (Holi) मनाया जाता है. इस वर्ष 21 मार्च को होली है. होली तिथि की गिनती होलाष्टक (Holashtak) के आधार पर होती है. फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर आठवें दिन यानी होलिका दहन (Holika Dahan) तक होलाष्टक रहता है. ज्योतिष एवं धर्मशास्त्रों के अनुसार होलाष्टक के आठ दिनों तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते. ज्योतिष शास्त्र में मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान शुभकार्य करने पर अशुभ होने अथवा बनते कार्य के बिगड़ जाने की संभावना रहती है. इसलिए इस दौरान के शुभ कार्यों को होली तक टालना ही समझदारी है.

क्या है होलाष्टक?

होलाष्टक का आशय है होली के पूर्व के आठ दिन हैं, जिसे होलाष्टक कहते हैं. हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार,  हिंदू धर्म में बताए गए 16 संस्कारों उदाहरण- गर्भाधान, विवाह, पुंसवन (गर्भाधान के तीसरे माह किया जाने वाला संस्कार), नामकरण, चूड़ाकरण, विद्यारंभ, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, गृह शांति, हवन-यज्ञ कर्म आदि नहीं किए जाते. इन दिनों शुरु किए गए कार्यों से कष्ट की प्राप्ति होती है. इन दिनों हुए विवाह से रिश्तों में अस्थिरता आजीवन बनी रहती है अथवा टूट जाती है. घर में नकारात्मकता, अशांति, दुःख एवं क्लेष का वातावरण रहता है.

होलाष्टक की परंपरा

जिस दिन से होलाष्टक प्रारंभ होता है, गली मोहल्लों के चौराहों पर जहां-जहां परंपरा स्वरूप होलिका दहन मनाया जाता है, उस जगह पर गंगाजल का छिड़काव कर प्रतीक स्वरूप दो डंडों को स्थापित किया जाता है. एक डंडा होलिका का एवं दूसरा भक्त प्रह्लाद का माना जाता है. इसके पश्चात यहां सूखी लकड़ियां और उपले लगाए जाने लगते हैं. जिन्हें फाल्गुन शुक्लपक्ष चतुर्दशी के दिन जलाया जाता है, जिसे होलिका दहन कहा जाता है.

क्यों होते हैं ये अशुभ दिन?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक के प्रथम दिन अर्थात फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहु का उग्र रूप रहता है. इस वजह से इन आठों दिन मानव मस्तिष्क तमाम विकारों, शंकाओं और दुविधाओं आदि से घिरा रहता है, जिसकी वजह से शुरु किए गए कार्य के बनने के बजाय बिगड़ने की संभावना ज्यादा रहती है. चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को इन आठों ग्रहों की नकारात्मक शक्तियों के कमजोर होने की खुशी में लोग अबीर-गुलाल आदि छिड़ककर खुशियां मनाते हैं. जिसे होली कहते हैं.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु द्वारा सर्वशक्तिशाली होने का वरदान पाकर राजा हिरण्यकश्यप अत्याचारी बन गया था. अब वह स्वयं को भगवान मानने लगा था. यहां तक कि अपने पुत्र प्रह्लाद जो विष्णुभक्त था, उसे भी स्वयं की यानी हिरण्ययकश्यप की पूजा करने का आदेश देता था. मगर भक्त प्रह्लाद ने कभी उसकी बात नहीं मानी. तब हिरण्यकश्यप ने उसे शारीरिक यातना देना शुरु किया. लेकिन प्रह्लाद पर हरिकृपा होने की वजह से वह हमेशा बच जाता था. तब हिरण्यकश्यप ने बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को अग्नि में जलाकर भस्म कर दे.

होलिका जिसे वरदान मिला था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती, लेकिन प्रह्लाद को जलाकर मारने की कोशिश में वह स्वयं जलकर मर जाती है. कहा जाता है कि होलिका द्वारा प्रह्लाद को जलाए जाने के पहले आठ दिन प्रह्लाद को मारने के लिए हिरण्यकश्यप ने उसे तमाम शारीरिक प्रताड़नाएं दीं, इसलिए इन आठ आठ दिनों को हिंदू धर्म के अनुसार सर्वाधिक अशुभ माना जाता है. इसीलिए इन आठ दिनों तक कोई भी शुभकार्य नहीं किए जाते हैं.