Harela 2021: हरेला (Harela) उत्तराखंड (Uttarakhand) का एक लोक उत्सव है, जो भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Mata Parvati) को समर्पित है. इस उत्सव को विभिन्न समाजों, संघों और सरकार द्वारा पौधे लगाकर मनाया जाता है. उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र (Kumaon Region) में नई फसल के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला त्योहार हरेला आज है. दरअसल, हरेला को मानसून शुरु होते ही मनाया जाता है और इसे पूरे कुमाऊं क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है. दरअसल, देवभूमि उत्तराखंड को भगवान शिव का पौराणिक निवास स्थान माना जाता है, इसलिए यहां हरेला उत्सव को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, क्योंकि यह भगवान शिव के प्रिय मास सावन (Sawan) में आता है.
हिंदू देवताओं भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित इस उत्सव को मनाने के लिए विभिन्न समाजों, संघों और सरकार द्वारा पौधे लगाए जाते हैं. दरअसल, 5 जून को मनाए जाने वाले विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उत्तराखंड पुलिस ने एक विशाल वृक्षारोपण अभियान शुरु किया था, जिसके तहत 16 जुलाई यानी हरेला उत्सव तक पुलिस परिसर में एक लाख पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. यह भी पढ़ें: World Environment Day 2021: प्रकृति के प्रति जागरूकता का खास दिन है विश्व पर्यावरण दिवस, जानें इतिहास, थीम और इसका महत्व
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार ने कहा कि यह मानव जीवन के लिए बहुत कठिन समय है, क्योंकि अगर हम अभी भी पर्यावरण की देखभाल नहीं करते हैं तो विनाश निश्चित है. पर्यावरण की देखभाल करना हम सभी की जिम्मेदारी है, वर्तमान में पर्यावरण में हो रहे परिवर्तनों के लिए हम जिम्मेदार हैं. विशेष रुप से ग्लेशियर का पिघलना सबसे बड़ा संकेत है कि पृथ्वी पर जीवन पर बड़ा संकट आने वाला है. इतना ही नहीं जलवायु परिवर्तन से जमीन और पानी में जीवन कठिन होता जा रहा है. इसके कारण कई प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं.
हरेला को मनाने की तैयारी वास्तविक आयोजन के 10 दिन पहले से ही शुरु हो जाती है. लगभग पांच से सात प्रकार के बीजों को छोटी बाल्टियों में बोया जाता है और प्रतिदिन उसे सींचा जाता है. हरेला को अच्छी फसल और घर में सुख-समृद्धि लाने की उम्मीद के साथ मनाया जाता है.