Guru Govind Singh Jayanti 2024: गुरु गोविंद सिंह ने गुरु-परंपरा क्यों खत्म की? जानें गुरु ग्रंथ साहिब का महात्म्य और नियम!
Guru govind Singh Jayanti(img credit: file photo )

Guru Govind Singh Jayanti 2024: सिख पंथ के दसवें गुरू गोबिंद सिंह का जन्म हिंदू पंचांग के अनुसार पौष शुक्ल पक्ष की सप्तमी को पटना साहिब (बिहार) में हुआ था. उनके बचपन का नाम गोविंद राय था. 1670 में गोविंद राय सपरिवार पंजाब आ गये. गुरु गोविंद सिंह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानव सेवा और सच्चाई के मार्ग पर बिता दिया. 1699 में बैसाखी को गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की. 1708 में अपनी मृत्यु से पूर्व गुरु गोबिंद सिंह ने घोषणा की कि उनके बाद कोई भी व्यक्ति गुरु नहीं होगा और गुरु ग्रंथ साहिब ही सिखों के आखिरी गुरु होंगे. इसके बाद से गुरू ग्रंथ साहिब की परंपरा चल पड़ी. आखिर गुरु ग्रंथ साहिब में ऐसी क्या बाते हैं कि गुरू गोबिंद सिंह गुरू ग्रंथ साहिब को ही सिखों का सर्वोपरि घोषित कर दिया. आइये जानते हैं क्या है गुरू ग्रंथ साहिब? यह भी पढ़े: Guru govind Singh Jayanti 2024: गुरु गोबिंद सिंह जो सपरिवार धर्म की रक्षार्थ शहीद हो गये! जानें उनके जीवन के प्रेरक प्रसंग!

गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का ‘अंतिम गुरू’ क्यों कहा जाता है?

गुरू ग्रंथ साहिब सिख समुदाय का धार्मिक ग्रंथ है, जिसे सिख धर्म का अंतिम गुरू भी माना जाता है. गुरू ग्रंथ साहिब सूक्तियों, दोहे, शबदों और दूसरे लेखों का संग्रह है. इसमें सिख गुरुओं की रचनाएँ तो अंकित हैं ही साथ ही हिंदू और मुसलमान विद्वानों की लिखी पंक्तियां भी शामिल हैं. इसमें सिख धर्म के गुरुओं के उपदेश भी उल्लेखित हैं. ये सारी बातें गुरबानी में लिखे हैं. गुरबाणी यानी गुरू की वाणी में लिखी है. सिख धर्म की मान्यता है कि यह ईश्वर की कही बातें हैं.

क्या है गुरु ग्रंथ साहिब?

* गुरु ग्रंथ साहिब में सिख धर्म के प्रवर्तक और पहले गुरु, गुरु नानक की सूक्तियां एवं उपदेश हैं. दूसरे गुरु, गुरु अंगद और पांचवें गुरु, गुरु अर्जन देव ने सहेजा है.

* गुरु ग्रंथ साहिब में 1,430 पन्ने हैं, और इसमें 5,894 शबद हैं. इनमें से 974 शबद गुरु नानक के हैं, 62 दूसरे गुरु के, 907 तीसरे, 679 चौथे, और 115 शबद नवें गुरु के हैं.

* गुरू ग्रंथ साहिब में सिख गुरुओं के अलावा हिंदू और मुस्लिम रचनाकारों कबीर, रविदास और बाबा फरीद की रचनाएँ हैं. इनमें सर्वाधिक 541 दोहे कबीर दास जी की हैं.

* यह कई भाषाओं में लिखित है, जो दर्शाता है कि इसे कई लेखकों ने लिखा. गुरु ग्रंथ साहिब की हर प्रति एक समान है. इसे सरूप कहा जाता है.

* गुरु ग्रंथ साहिब की पहली पंक्ति के शब्द हैं - 'इक ओंकार'. इसका मतलब है ईश्वर एक है.

गुरु ग्रंथ साहिब के नियम

गुरु ग्रंथ साहिब को सम्मान देने के लिए ये कुछ नियम हैं, जिनका विशेष रूप से ध्यान रखना आवश्यक है

* गुरुद्वारे में प्रवेश से पूर्व हर श्रद्धालुओं को जूते उतारना और हाथ धोना आवश्यक है.

* गुरुद्वारे के भीतर गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष पुरुष हो या स्त्री सभी को सिर को ढकना अनिवार्य है.

* गुरु ग्रंथ साहिब को एक तख़्त पर रखा जाता है.

* ये तख़्त मंजी (गुरु ग्रंथ साहिब का बिस्तर) के नीचे रखा जाता है.

* इसके ऊपर गुंबदनुमा पालकी होती है जो उस पूरी जगह को घेरती है, जहां गुरु ग्रंथ साहिब रखा जाता है.

* गुरुद्वारे के प्रार्थना कक्ष को दरबार साहिब कहा जाता है, जबकि प्रार्थना के लिए जुटे भक्तों को संगत कहा जाता है. इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि संगत में बैठे लोगों के सिर गुरु ग्रंथ साहिब से ऊपर ना हों.