Goa Liberation Day: 190 वर्ष की ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी से 15 अगस्त सन 1947 को भारत को आजादी तो मिल गई थी, लेकिन भारत के ही एक अंग गोवा (Goa) को 14 साल बाद 19 दिसंबर 1961 को पुर्तगालियों (Portuguese) से मुक्ति मिल सकी थी. इसलिए 19 दिसंबर को गोवा में मुक्ति दिवस मनाया जाता है, यद्यपि गोवा अपना स्थापना दिवस 30 मई को मनाता है, क्योंकि 30 मई 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था. आइये जानें हजारों साल पुराने गोवा के उत्थान, पतन और मुक्ति की रोमांचक गाथा. अत्यंत प्राचीन गोवा की कहानी एवं इतिहास विभिन्न मिथकों एवं गुलामी के इर्द-गिर्द बुनी हुई है. प्राचीन ग्रंथों के अनुसार गोवा की उत्पत्ति परशुराम से हुई थी. श्रीहरि के इस छठे अवतार परसुराम ने समुद्र के देवता वरुण को आदेश दिया कि जब तक उनका फरसा नीचे नहीं गिरे, समुद्र पर अपना नियंत्रण रखें.
जल देवता वरुण ने मांडोवी नदी और ज़ुअरी नदी के किनारे परशुराम और आर्यन कबीले के साथ ही भूमि का वह टुकड़ा भी छोड़ दिया. भूमि का यह टुकड़ा कोंकण के रूप में जाना जाता है, जिसका दक्षिणी भाग गोवा है. महाभारत काल में भी गोवा को गोपराष्ट्र अर्थात गाय पालन वाला देश कहा जाता था. स्कंद पुराण में इसका उल्लेख गोपकपुरी और गोपकपट्टन नाम से है. इसके अलावा गोवा का उल्लेख गोअंचल, गोवे, गोवापुरी, गोपकापाटन और गोमंत के रूप में भी हुआ.
इतिहास के पन्नों में गोवा
कहा जाता है कि तीसरी सदी में ईसा से पूर्व मौर्यवंश के शासनकाल से गोवा का इतिहास शुरु हुआ था. पहली सदी की शुरुआत में इस पर कोल्हापुर के सातवाहन वंश के शासकों का अधिकार था. उनके बाद चालुक्य शासकों ने साल 580 से 780 तक शासन किया. 1312 में गोवा दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बना, लेकिन विजयनगर के शासक हरिहर-प्रथम ने गोवा पर आक्रमण कर उस पर कब्जा कर लिया. साल 1469 में गुलबर्ग के बहामी सुल्तान ने गोवा पर कब्जा कर उसे दिल्ली सल्तनत में मिला लिया. बहामी शासनकाल के पतन के बाद बीजापुर के आदिल शाह ने इस पर कब्जा किया.
गोवा पर कब्जा पुर्तगालियों ने किया
साल 1510 मार्च में अलफांसो-द-अल्बुकर्क के नेतृत्व में पुर्तगाली सैनिकों ने युसूफ आदिल खां पर हमला कर गोवा पर अपना नियंत्रण जमा लिया. उन्होंने वहां एक हिन्दू तिमोजा को गोवा का प्रशासक नियुक्त कर गोवा को समूचे पुर्तगाली साम्राज्य की राजधानी बना दिया. साल 1809 से 1815 के बीच नेपोलियन ने पुर्तगाल पर कब्जा कर लिया. एंग्लो पुर्तगाली गठबंधन के बाद गोवा स्वतः ब्रिटिश अधिकार के क्षेत्र में आ गया. 1815 से 1947 तक गोवा में अंग्रेजों का शासन था. गोवा में स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत 1928 में हुई, जब गोवा के राष्ट्रवादियों ने साल 1928 में मुंबई में 'गोवा कांग्रेस समिति' का गठन किया. उन दिनों गोवा कांग्रेस समिति के अध्यक्ष डॉ.टी.बी.कुन्हा थे. उन्हें गोवा के राष्ट्रवाद का जनक माना जाता है. आजादी के दरम्यान पं. नेहरू ने अंग्रेजों से गोवा को भारतीय अधिकार में रखने की मांग की, उधर पुर्तगालियों ने भी गोवा पर अपना अधिकार जताया. अंग्रेजों ने दोगली नीति चलते हुए गोवा पुर्तगालियों को सौंप दिया.
शुरु हुई गोवा मुक्ति मिशन!
प्रधानमंत्री बनने के बाद पं नेहरू और तत्कालीन रक्षामंत्री कृष्ण मेनन ने पुर्तगालियों से गोवा छोड़ने का आग्रह किया, लेकिन पुर्तगालियों ने उनकी बात अनसुनी कर दी. अब भारत के सामने शक्ति का इस्तेमाल एकमात्र विकल्प रह गया था. 1961 में रक्षामंत्री ने सेना के तीनों अंगों (जल, थल एवं वायु) को गोवा कूच के लिए तैयार रहने का आदेश दिया. 2 दिसंबर को 'गोवा मुक्ति' मिशन शुरू हुआ. मेजर जनरल के.पी. कैंडेथ को '17 इन्फैंट्री डिवीजन' और '50 पैरा ब्रिगेड' का प्रभार मिला. उस समय भारतीय वायुसेना के पास 6 हंटर स्क्वॉड्रन और चार कैनबरा स्क्वाड्रन थे.
हवाई कार्रवाई की जिम्मेदारी एयर वाइस मार्शल एरलिक पिंटो ने संभाल रखी थी. वायुसेना ने 8 और 9 दिसंबर को पुर्तगालियों के ठिकाने पर अचूक बमबारी की. भारतीय थल सेना और वायु सेना के हमलों से पुर्तगाली तिलमिला गए. अंततः 19 दिसंबर, 1961 को तत्कालीन पुर्तगाली गवर्नर मैन्यू वासलो डे सिल्वा ने भारत के सामने समर्पण समझौते पर दस्तखत कर दिए. बाद में 30 मई, 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया. 31 मई 1987 गोवा को भारत का 25वां राज्य घोषित किया गया. बाद में गोवा में विधान सभा चुनाव हुए और 20 दिसंबर, 1962 को श्री दयानंद भंडारकर गोवा के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने.
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