Dussehra 2019: नौ दिनों तक आदिशक्ति मां दुर्गा (Maa Durga) की पूजा-अर्चना के बाद विजयादशमी (Vijaya Dashami) यानी दशहरे (Dussehra) के दिन लंकापति रावण (Ravana) का दहन किया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान राम (Lord Rama) ने विजयादशमी के दिन लंकापति रावण पर विजय प्राप्त की थी, इसलिए विजयादशमी यानी दशहरे को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रुप में मनाया जाता है. हर साल दशहरे के दिन रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन देश के भिन्न इलाकों में किया जाता है, लेकिन इस बार चंडीगढ़ (Chandigarh) में रावण दहन (Ravan Dahan) का नजारा देखने लायक होगा, क्योंकि यहां दशहरे के मौके पर देश के सबसे ऊंचे रावण का दहन किया जाएगा.
देश के सबसे बड़े रावण की ऊंचाई करीब 221 फीट है और इसे खड़ा करने में काफी मेहनत करनी पड़ी. बताया जा रहा है कि करीब 12 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद रावण के पुतले को खड़ा करने में कामयाबी मिली. रावण के पुतले को खड़ा करने के लिए दो क्रेन, दो जेसीबी मशीन और 150 लोगों की मदद ली गई. देश के सबसे ऊंचे रावण के पुतले को तजिंदर सिंह चौहान ने तैयार किया है. चलिए जानते हैं देश के सबसे ऊंचे रावण के इस पुतले की खासियतें-
रावण के पुतले की खासियत-
रावण के पुतले को तैयार करने वाले तजिंदर सिंह चौहान का कहना है कि इस पुतले को इस तरह से तैयार किया गया है कि अगर विजयादशमी पर बारिश भी आ जाए तो रावण दहन के कार्यक्रम में कोई रुकावट नहीं आएगी. इसे बनाने के लिए 3 हजार मीटर कपड़ा और ढ़ाई हजार मीटर जूट के मैट का उपयोग किया गया है. इसकी खासियत यह है कि बारिश होने पर बारिश का पानी इसके अंदर नहीं जा पाएगा और बरसात के बावजूद इसको जलाया जा सकेगा. यह भी पढ़ें: Navratri 2019: जब श्रीराम और रावण ने विजय प्राप्त करने के लिए की मां चंडी की पूजा, किसे मिली जीत, जानें रोचक कथा
करीब 30 लाख की लागत से तैयार हुए इस रावण की ऊंचाई करीब 221 फीट है. उसकी मूछें 25 फीट लंबी, जूता 40 फीट लंबा, मुकुट 60 फीट लंबा, तलवार 55 फीट लंबी और ढाल 12 फीट लंबी है. इस रावण को बनाने में 6 महीने का समय लगा है और करीब 40 लोगों की टीम ने मिलकर इसे तैयार किया है.
गौरतलब है कि दशहरा पर चंडीगढ़ में देश के सबसे ऊंचे रावण का दहन रिमोट के जरिए धमाका करके किया जाएगा. इसके लिए बकायदा 20 फंक्शन तैयार किए गए हैं. सबसे पहले रिमोट के जरिए छत्र में धमाका किया जाएगा, इसके बाद मुकुट, तलवार, ढाल और आखिर में जूते में धमाका किया जाएगा. सबसे खास बात तो यह है कि धमाके के लिए पुतले में ईको फ्रेंडली पटाखे लगाए गए हैं, जिससे अन्य पटाखों की तुलना में प्रदूषण का खतरा भी बेहद कम होगा.