Dev Uthani Ekadashi 2020: कब है देवउठनी एकादशी? इस दिन से क्यों शुरू हो जाते हैं विवाह और मांगलिक कार्य
देवउठनी एकादशी, (Photo Credits: Facebook)

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में एकादशी को देवोत्थान (Devutthana Ekadashi), देवउठनी (Dev Uthani Ekadashi) या प्रबोधिनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. यह एकादशी दीवाली के बाद आती है. भगवान विष्णु आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को सोते हैं और कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागते हैं, इसीलिए इस एकादशी को देवोत्थान या देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में सोने के 4 महीने बाद जागते हैं. इन चार महीनों की अवधि के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. देवउठनी एकादशी के दिन जब श्री हरि जागते हैं तभी से सभी धार्मिक और शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि श्रीहरि के जागने से सृष्टि में सकारात्मकता फैल जाती है और सभी कार्य सुचारू रूप से चलने लगते हैं. इस दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है. इस साल देवउठनी एकादशी 25 नवंबर को पड़ रही है. यह भी पढ़ें: Tulsi Vivah 2020: कब है तुलसी विवाह, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पौराणिक कथा

शुभ मुहूर्त:

एकादशी तिथि शुरू - 25 नवंबर, 2020 को प्रातः 02:42

एकादशी तीथि समाप्त - 26 नवंबर, 2020 को सुबह 05:10 बजे

तुलसी विवाह:

देवोत्थान एकादशी पर तुलसी विवाह भी किया जाता है. एक सामान्य विवाह की तरह, तुलसी (पौधा) और भगवान शालिग्राम (भगवान विष्णु) का विवाह भी उत्साह से मनाया जाता है.तुलसी को विष्णु प्रिया भी कहा जाता है. इसलिए अपनी गहरी नींद से जागने के बाद वह सबसे पहले हरिवल्लभ तुलसी की पूजा करने वाले मूलवासियों की प्रार्थनाओं का जवाब देते हैं.तुलसी के माध्यम से भगवान को आह्वान करने के लिए तुलसी विवाह किया जाता है.

वैदिक शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि जिन दंपतियों को कन्या संतान नहीं है, उन्हें कन्यादान का पुण्य कमाने के लिए अपने जीवनकाल में एक बार तुलसी विवाह अवश्य करना चाहिए. तुलसी विवाह के दिन से विवाह के शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाती है. इस दिन से सभी मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं.