Cheti Chand 2024 Wishes in Hindi: चेटी चंड यानी सिंधी नव वर्ष का पर्व इस साल 10 अप्रैल 2024, बुधवार को मनाया जा रहा है, जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार, इस पर्व को हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को सिंधी समुदाय के लोगों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है. चेटी चंड (Cheti Chand) को सिंधी नव वर्ष (Sindhi New Year) और झूलेलाल जयंती (Jhulelal Jayanti) के नाम से भी जाना जाता है. आपको बता दें कि सिंधी में चैत्र मास को चेटी कहा जाता है, जबकि चंड को चांद, इसलिए चेटी चंड का अर्थ हुआ चैत्र का चांद. इस पर्व को अवतारी युग पुरुष भगवान झूलेलाल (Bhagwan Jhulelal) के जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता है. सिंधी समाज के लोग भगवान झूलेलाल की उदेरोलाल, घोड़ेवारो, जिंदपीर, लालसाईं, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल जैसे कई अलग-अलग नामों से पूजा करते हैं. चेटी चंड के दिन लकड़ी का मंदिर बनाकर उसमें लोटे में जल रखकर, ज्योति प्रज्जवलित की जाती है. इसके बाद श्रद्धालु मंदिर को अपने सिर पर उठाते हैं, जिसे बहिराणा साहब कहा जाता है.
भगवान झूलेलाल को जल और ज्योति का अवतार माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि उनका जन्म सद्भावना और भाईचारा बढ़ाने के लिए हुआ था. भगवान झूलेलाल की पूजा का प्रचलन पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत के अन्य प्रांतों में आकर बसे सिंधी हिंदुओं में अत्यधिक देखने को मिलता है. चेटी चंड के इस शुभ अवसर पर आप इन शानदार विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए दोस्तों-रिश्तेदारों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- झूलेलाल का आशीर्वाद मिले,
दोस्तों और प्रियजनों का प्यार मिले,
सफलता चूमे हर दम कदम आपके,
ऐसा हो चेटी चंड का पर्व आपके लिए.
चेटी चंड की शुभकामनाएं
2- झूलेलाल की दिव्य शक्ति,
आपके परिवार और आपके प्रियजनों,
के लिए इस नई शुरुआत में,
सहायक सिद्ध हो सकती है.
चेटी चंड की शुभकामनाएं
3- आपको सिंधी नए साल,
चेटी चंड की हार्दिक बधाई,
नया साल खुशियों भरा हो,
आपकी हर मनोकामना पूरी हो.
चेटी चंड की शुभकामनाएं
4- जो कर्म के सिद्धांत को,
समझ कर उचित कर्म करता है,
वह कर्म के बंधन से,
हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है.
चेटी चंड की शुभकामनाएं
5- सारी चिंता भूल जाओ,
सब गलतियां भूल जाओ,
और इस नए साल में,
एक नई शुरुआत करो.
चेटी चंड की शुभकामनाएं
सिंधी समाज से जुड़ी प्रचलित मान्यता के अनुसार, संवत 1007 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित ठट्टा नगर में मिरखशाह नाम के मुगल सम्राट ने हिंदुओं को जबरन इस्लाम धर्म स्वीकार करवाया था. बताया जाता है कि उसके जुल्म के शिकार लोगों ने सिंधु नदी के किनारे इकट्ठा होकर भगवान का स्मरण किया, जिसके बाद उन्हें मछली पर सवार एक आकृति नजर आई, जो पल भर में आंखों से ओझल हो गई. इसके बाद आकाशवाणी हुई कि हिंदू धर्म की रक्षा के लिए वे ठीक सात दिन बाद श्रीरतनराय के घर माता देवकी की कोख से जन्म लेंगे.
जन्म के बाद इस दिव्य बालक का नाम उदयचंद रखा गया, जिसे इस क्रूर मुगल बादशाह ने मारने की काफी कोशिश की, लेकिन अपने मकसद में कामयाब न हो सका. इसके बाद भगवान झूलेलाल ने एक वीर सेना का गठन करके मिरखशाह को परास्त करते हुए लोगों को उसके जुल्मों से बचाया. कहा जाता है कि आखिर में मिरखशाह झूलेलाल की शरण में आ गया, जिससे उसकी जान बच गई. हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेने वाले भगवान झूलेलाल संवत 1020 में भाद्रपद की शुक्ल चतुर्दशी के दिन अंतर्ध्यान हो गए. उनकी जयंती को सिंधी नव वर्ष के तौर पर सिंधी समुदाय द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.