Bhadrakali Ekadashi 2019: आज करें भद्रकाली एकादशी का व्रत, मिटेंगे पाप, धन की प्राप्ति के साथ मिलेगी अच्छी खबर
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo: PIXABAY )

पुराणों में ज्येष्ठ माह का विशेष महत्व उल्लेखित है. इस पूरे माह व्रत अनुष्ठान के विशेष पर्व होते हैं. ज्येष्ठ माह की कृष्णपक्ष की एकादशी 30 मई को पड़ रही है. इस तिथि के महात्म्य का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसी पवित्र तिथि पर माता भद्रकाली प्रकट हुई थीं. हिंदु पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि शिव जी के मुख से माता सती की मृत्यु की खबर सुनकर शिव जी के बालों से भद्रकाली प्रकट हुई थीं. कहा जाता है कि माता पृथ्वी पर उत्पात मचा रहे राक्षसों के संहार के लिए प्रकट हुई थीं. इस व्रत को करने से होती है अपार धन और यश की प्राप्ति..

माता भद्रकाली जो वीर भद्र रूपी शिव की पत्नी थीं. मान्यता है कि इसी ज्येष्ठ महीने में ऋष्यमुख पर्वत पर महाबली हनुमान जी और भगवान श्रीराम जी की पहली मुलाकात हुई थी. जब हनुमान जी एक ब्राह्मण के भेष में श्रीराम और लक्ष्मण जी से मुलाकात कर उनका परिचय मांगा था. श्रीराम के मधुर व्यवहार और दिव्य रूप से आकर्षित हो हनुमान जी श्री राम जी के सेवक बन गये थे. इसी माह में कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन भगवान शनि का जन्म हुआ था.

अपरा एकादशी- जानें इसका महत्व, व्रत कथा और पूजा विधि

भद्राकाली एकादशी का महात्म्य

जिस दिन माता भद्राकाली प्रकट हुई उस पूरे दिन की ही महिमा बड़ी अनोखी है. जो व्यक्ति अपने भूतकाल एवं वर्तमान काल में किये पाप कर्मों से आतंकित है, वही चाहे तो महाभद्रकाली एकादशी का विधिवत व्रत करके अपने सारे पापों को पुण्य में बदल सकता है. इस एकादशी का इतना महात्म्य है कि मनुष्य यह व्रत करके खुद को ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्ति पा सकता है.

ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अचला, अपरा और भद्रकाली तथा जल क्रीड़ा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि भद्रकाली जयंती के दिन देवी पूजा करने पर वह अपने भद्र यानी अच्छे भक्तों की रक्षा करती हैं.

महाफलदायी है महाभद्रकाली

विद्वानों का मानना है कि माघ माह में सूर्य के मकर राशि में होने पर प्रयाग में त्रिवेणी स्नान, शिवरात्रि पर काशी में रहकर किया गया व्रत, गया में पिंडदान, वृषभ राशि में गोदावरी स्नान, बद्रिका आश्रम में भगवान केदारनाथ का दर्शन तथा कुरुक्षेत्र में स्नान-दान करने से जो फल प्राप्त होता है, वैसा ही फल भद्रकाली अथवा अचला एकादशी का व्रत करके प्राप्त होता है. इस दिन पूरे समय उपवास करते हुए विष्णु भगवान के वामन अवतार की पूजा करने से मनुष्य को उसके सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. उड़ीसा में इसे 'जलक्रीड़ा एकादशी' के रूप में मनाया जाता है.

कैसे करें पूजा

श्रद्धालु पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ इस दिन माता भद्रकाली की पूजा-अर्चना करते हैं. प्रातःकाल उठकर स्नान-ध्यान कर काले अथवा नीले रंग का स्वच्छ कपड़ा पहनते हैं. घर की मंदिर में स्वच्छ कपड़ा बिछाकर उस पर माता भद्रकाली की प्रतिमा स्थापित करने से पूर्व प्रतिमा को पंचामृत (गंगाजल, गाय का दूध, चीनी, शहद, दही और घी का मिश्रण) में स्नान करवाएं और उसके पश्चात शुद्ध जल से प्रतिमा को धो कर मंदिर में स्थापित करें. इसके पश्चात पंच पल्लव, रोली, गोपी चंदन, पंचामृत, गंगाजल, सुपारी, पान, मोगरे की अगरबत्ती, फल, फूल, आंवला, बिल्व पत्र, लौंग, नारियल, नींबू, नैवेद्य, केला और तुलसी पत्र से पूजा सम्पन्न करें. इस दिन माता को नारियल पानी चढ़ाना भी बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन मंदिरों में भी देवी की आराधना पूरी श्रद्धा एवं आस्था के साथ सम्पन्न किया जाता है. ऐसे अनुष्ठानों में भी भाग लेना चाहिए.

भद्रकाली जयंती के शुभ मुहूर्त

सूर्योदय 05:45 (30-मई-2019) पूर्वाह्न

सूर्यास्त 19:03 (30-मई-201र9) अपराह्न

एकादशी तिथि 29-मई-2019 15:21 बजे शुरू होगी