Apara Ekadashi Vrat: हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी मनाई जाती है. अपरा एकादशी हर साल मई या जून महीने में आती है. इस साल ये 30 मई को है. अपरा का अर्थ है अपार, इस दिन व्रत रखने से अपार पुण्य मिलता है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है. इसलिए इसे अपरा एकादशी कहते हैं. जो भी अपरा एकादशी का व्रत (Apara Ekadashi Vrat) करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से न सिर्फ भगवान विष्णु बल्कि माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और भक्त का घर धन-धान्य से भर देती हैं. इस दिन व्रत रखने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा दृष्टी हमेशा बनी रहती है. पद्म पुराण के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत करने से मुनष्य को प्रेत योनि के कष्ट नहीं भुगतने पड़ते.
पौराणिक कथानुसार पुराने समय में महिध्वज नाम का बड़ा ही पराक्रमी और पुण्यवान राजा था. लेकिन राजा का छोटा भाई ब्रजध्वज बिलकुल उसके उलट था वो अन्यायी, अधर्मी और क्रूर था. वह अपने बड़े भाई महिध्वज को अपना दुश्मन समझता था. एक दिन मौका देखकर ब्रजध्वज ने अपने बड़े भाई की हत्या कर दी और उसके मृत शरीर को जंगल में पीपल के वृक्ष के नीचे दबा दिया. इसके बाद राजा की आत्मा उस पीपल में वास करने लगी. राजा की आत्मा वहां से निकलने वाले लोगों को सताने लगी. एक दिन धौम्य ऋषि उस पीपल वृक्ष के नीचे से निकले. उन्होंने तपोबल से राजा के साथ हुए अन्याय को समझ लिया. ऋषि ने राजा की आत्मा को पीपल के वृक्ष से हटाकर परलोक विद्या का उपदेश दिया. साथ ही प्रेत योनि से छुटकारा पाने के लिए अपरा एकादशी का व्रत करने को कहा. अपरा एकादशी व्रत रखने से राजा की आत्मा दिव्य शरीर धारण कर स्वर्गलोक चली गई.
पूजा विधि: इस दिन श्रद्धालु पूरे दिन व्रत रखकर शाम को भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं और उनसे अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं. सच्चे मन से व्रत और पूजा करने से मन चाहे फल की प्राप्ति होती है और सभी गलतियां भी माफ हो जाती हैं. इस दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करें. स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं. इसके बाद उन्हें पांच फल और फूल चढ़ाएं. पूजा में तुलसी के पत्ते रखना न भूलें नहीं तो पूजा संम्पन्न नहीं होगी. पूजा के बाद एकादशी व्रत की कथा सुनें और सुनाएं.
शुभ मुहूर्त: एकादशी तिथि प्रारंभ: 29 मई 2019 को दोपहर 03 बजकर 21 मिनट
एकादशी तिथि सामाप्त: 30 मई 2019 को शाम 04 बजकर 38 मिनट तक
पारण का समय: 31 मई 2019 को सुबह 05 बजकर 45 मिनट से 08 बजकर 25 मिनट
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अपरा एकादशी पर भगवान को पूजा में चावल के स्थान पर तिल अर्पित करें. शाम को सोएं नहीं. अधिक से अधिक समय भगवान के मंत्रों का जाप करें. तुलसी के साथ भगवान को भोग लगाएं. रात्रि में जागरण करते हुए भजन करेंऔर ब्रह्मचर्य का पालन करें.