Basant Panchami/Saraswati Puja 2020: सरस्वती पूजा कब है? जानें बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त, महत्व और विद्या की देवी को प्रसन्न करने के लिए खास पूजा विधि
मां सरस्वती (Photo Credits: Facebook)

Basant Panchami/Saraswati Puja 2020: बसंत पंचमी (Basant Panchami) एक ऐसा पर्व है जिसे वसंत ऋतु (Spring Season) के आगमन का प्रतीक माना जाता है. बसंत ऋतु को सभी मौसमों का राजा भी कहा जाता है. इस दिन को इसलिए भी बेहद खास माना जाता है, क्योंकि यह शुष्क सर्दियों के बाद हरियाली का प्रतीक है. बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा इस पर्व को भारत के कुछ हिस्सों में श्री पंचमी (Sri Panchami) और ज्ञान पंचमी (Gyan Panchami) भी कहा जाता है. बसंत पंचमी का पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. इस साल विद्या की देवी सरस्वती की उपासना का यह पर्व 29 जनवरी 2020 को मनाया जाएगा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान और तकनीकि की देवी माता सरस्वती का जन्म इसी दिन हुआ था. बसतं पचंमी यानी सरस्वती पूजा के दिन विद्या की देवी सरस्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है.

बसंत पंचमी का दिन किसी भी शुभ काम की शुरुआत करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन शुभ कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त होता है. यह देवी सरस्वती का प्राकट्य दिवस है, इसलिए इस दिन स्कूलों में देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. इस दिन छात्र अपनी कॉपी-किताब और पढ़ने वाली वस्तुओं की पूजा करते हैं. इसके अलावा इसे विद्या आरंभ करने के लिए भी सबसे शुभ दिन माना जाता है. चलिए जानते हैं सरस्वती पूजा की शुभ तिथि, शुभ मुहूर्त और विद्या की देवी को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा विधि. यह भी पढ़ें: Basant Panchami 2020: जानें बसंत पंचमी का महाम्य, पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त

बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त-

सरस्वती पूजा तिथि- 29 जनवरी 2020 (बुधवार)

बसंत पंचमी प्रारंभ- 29 जनवरी 2020 को सुबह 10.45 बजे से,

बसंत पंचमी समाप्त- 30 जनवरी 2020 की दोपहर 01.19 बजे तक.

पूजा मुहूर्त- 29 जनवरी 2020 को सुबह 10.45 से 12.34 बजे तक.

अवधि- 1 घंटे 49 मिनट.

पूजा विधि-

  • बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त हो जाएं.
  • अब मां सरस्वती के चित्र या प्रतिमा की स्थापना पढ़ने वाले स्थान पर करें.
  • देवी सरस्वती की पूजा के लिए सफेद या पीले रंग के वस्त्र धारण करें.
  • अब सरस्वती पूजा के लिए पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बैठ जाएं.
  • सरस्वती माता की पूजा करने से पहले उन्हें पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें.
  • रोली, मौली, हल्दी, केसर, अक्षत, सफेद फूल, सफेद मिठाई, मिश्री, दही इत्यादि से उनका पूजन करें.
  • सरस्वती पूजा के दौरान देवी सरस्वती को केसर मिश्रित खीर का भोग जरूर अर्पित करें.
  • मां सरस्वती के मंत्र 'ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः' मंत्र का हल्दी की माला से 108 बार जप करें. यह भी पढ़ें: Vasant Panchami 2020: कब है वसंत पंचमी? जानिए क्यों की जाती है इस दिन मां सरस्वती की पूजा

सरस्वती पूजा का महत्व

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने सरस्वती को वरदान देते हुए कहा था कि हे देवी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन विद्या और संगीत के लिए आपका आह्वान सिर्फ इंसान ही नहीं, बल्कि सारे देवी-देवता, किन्नर, नाग, गंधर्व, राक्षस भी करगें. इस दिन सभी पूरी भक्ति और आस्था से आपकी पूजा-अर्चना करेंगे. देवी सरस्वती को वरदान देने के बाद श्रीकृष्ण ने स्वयं उनकी पूजा की. उनके बाद ब्रह्मा, विष्णु, महेश और इंद्र समेत सभी देवताओं ने सरस्वती की पूजा की थी.