Vasant Panchami 2020: कब है वसंत पंचमी? जानिए क्यों की जाती है इस दिन मां सरस्वती की पूजा
बसंत पंचमी, (File Image)

Vasant Panchami 2020: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था. इस बार ये 29 जनवरी को पड़ रहा है. वसंत पंचमी का त्योहार मुख्य रूप से एक हिंदू त्योहार है, ये सर्दियों की समाप्ति और वसंत ऋतू की शुरुआत का प्रतीक है. पश्चिम बंगाल में इस दिन को सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है, जहां लोग ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा आराधना करते हैं. इस दिन, बच्चे देवी सरस्वती से अध्ययन, कला और शिल्प, खेल के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं. स्कूलों में इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है, कई प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं. मां सरस्वती के आशीर्वाद के लिए उन्हें कलम, पेंसिल और नोटबुक चढ़ाई जाती है.

वसंत पंचमी का दिन ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की देवी सरस्वती को समर्पित है. वसंत पंचमी को श्री पंचमी (Shri Panchami) और सरस्वती पंचमी (Saraswati Panchami) के रूप में भी जाना जाता है. ज्ञान की प्राप्ति, सुस्ती और अज्ञानता से मुक्ति पाने के लिए लोग देवी सरस्वती की पूजा करते हैं. बच्चों की शिक्षा आरंभ करने के इस अनुष्ठान को अक्षर-अभिषम या विद्या-आरंभम या प्राशनम के रूप में जाना जाता है, जो वसंत पंचमी के प्रसिद्ध अनुष्ठानों में से एक है.

वसंत पंचमी पूजा मुहूर्त:

वसंत पंचमी, बुधवार, जनवरी 29, 2020

वसंत पंचमी सरस्वती पूजा मुहूर्त: सुबह 10:45 से दोपहर 12:34 बजे तक

अवधि: 01 घंटा 49 मिनट

वसंत पंचमी मध्याह्न का क्षण: दोपहर 12:34 बजे

पंचमी तिथि प्रारंभ: जनवरी 29, 2020 को सुबह 10:45 बजे

पंचमी तिथि समाप्त: जनवरी 30, 2020 को दोपहर 01:19 बजे

महत्व:

पूर्वाहन काल, जो सूर्योदय और मध्याह्न के बीच का समय है, इस दिन वसंत पंचमी पड़ती है. वसंत पंचमी उस दिन मनाई जाती है, जब पंचमी तिथि पूर्वाह्न काल के दौरान रहती है. जिसके कारण वसंत पंचमी चतुर्थी तिथि को भी पड़ सकती है. कई ज्योतिषी वसंत पंचमी को अबूझ दिन मानते हैं, जो सभी अच्छे कामों को शुरू करने के लिए शुभ है. वसंत पंचमी के पूरे दिन किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए मुहूर्त देखने की जरुरत नहीं है क्योंकि वसंत पंचमी का पूरा दिन ही बहुत शुभ माना जाता है.

वसंत पंचमी को हुआ है मां सरस्वती का जन्म:

पौराणिक कथा अनुसार ब्रह्मदेव ने भगवन विष्णु की आज्ञा से वसंत पंचमी के दिन ही मनुष्यों की रचना की थी. उन्होंने मनुष्य तो बना दिए लेकिन वो बोलना नहीं जानते थे. धरती पर सब कुछ बहुत ही नीरस और शांत था, जिसके बाद ब्रह्मदेव ने अपने कमंडल से जल छिड़कर एक सुंदर स्त्री की उत्पत्ति की, उनके हाथ में वीणा थी, इस शक्ति ने जब अपने वीणा के तार छेड़े तीनों लोकों में कंपन हो गया और मनुष्य को शब्द और वाणी मिल गई. यही कारण है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है.

मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है. इस दिन को सरसों की फसल की कटाई की जाती है, इसलिए इसमें पीले रंग का विशेष महत्व है. महिलाएं पीले रंग की पोशाक पहनती हैं और पारंपरिक मिठाइयां जो पीले रंग की होती हैं.