Bakri Eid Mehndi Designs: मेहंदी के बिना अधूरा है बकरीद का जश्न, महिलाएं अपने हाथों पर जरूर रचाएं ये मनमोहक डिजाइन्स
बकरीद मेहंदी डिजाइन्स (Photo Credits: Instagram)

Bakri Eid Mehndi Designs: ईस्लाम धर्म के लोग बकरीद (Bakrid) के त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं, जो पैगंबर हजरत इब्राहिम की अल्लाह के प्रति समर्पण भाव और उनके बलिदान को दर्शाता है. इस साल 6 जून 2025 को बकरीद मनाए जाने की संभावना है, लेकिन इसकी सही तिथि चांद के दीदार पर निर्भर करती है. बकरीद को ईद अल-अधा (Eid al-Adha), ईद उल अजहा (Eid Ul Azha) और बकरा ईद (Bakra Eid) के नाम से भी जाना जाता है. दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा मनाया जाने वाला यह पर्व इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के बारहवें और अंतिम महीने धुल हिज्जा (Dhul Hijjah) के 10वें दिन मनाया जाता है. दरअसल, इस्लामी महीना चंद्रमा के दीदार पर 29 या 30 दिनों का होता है. 29 तारीख को अगर आसमान में चांद नजर आ जाता है तो चल रहा महीना खत्म हो जाता है और अगले दिन से नया महीना शुरु हो जाता है, लेकिन अगर चांद नहीं दिखता है तो फिर 30 दिन पूरे होने के बाद नया महीना शुरु होता है.

बकरीद के दिन लोग सुबह मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं और एक-दूसरे को मुबारकबाद देते हैं. इस दिन बकरे की बलि दी जाती है और घरों में लजीज पकवान बनाए जाते हैं. जबकि महिलाएं नए कपड़े पहनने और साज-श्रृंगार करने के साथ ही हाथों में मेहंदी रचाती हैं. ऐसे में इस पावन अवसर पर आप मेहंदी के इन मनमोहक डिजाइन्स को अपने हाथों पर रचाकर बकरीद के जश्न को और भी खास बना सकती हैं. यह भी पढ़ें: Bakrid 2025 Mehndi Designs: ईद-उल-अजहा के जश्न को मेंहदी से बनाएं खास, अपने हाथों पर रचाएं ये आकर्षक डिजाइन्स

बकरीद के लिए सिंपल मेहंदी डिजाइन

गोल टिक्की वाली सुंदर मेहंदी डिजाइन

ईद उल अजहा के लिए आसान मेहंदी डिजाइन

बकरीद के लिए मनमोहक मेहंदी डिजाइन

खूबसूरत बैक हैंड मेहंदी डिजाइन

ईद के जश्न के लिए आसान व सुंदर मेहंदी डिजाइन

गौरतलब है कि ईद-उल-अजहा के दिन आर्थिक रूप से स्थिर मुसलमान बकरे की बलि देते हैं और उसके मांस को अपने रिश्तेदारों व गरीब लोगों के बीच बांटते हैं. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम से अपनी सबसे प्रिय चीज को कुर्बान करने का आदेश दिया था, जिसके बाद उन्होंने अल्लाह के आदेश का पालन करते हुए अपने बेटे की बलि देने का फैसला किया. जब वो अपने बेटे की बलि देने ही वाले थे, तब अल्लाह ने उनके बेटे की जगह कुर्बानी को बकरे में तब्दील कर दिया. पैगंबर इब्राहिम के समर्पण भाव से अल्लाह बेहद खुश हुए थे, इसलिए इस दिन बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा निभाई जाती है.

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