Bakrid 2025 Mehndi Designs in Hindi: दुनिया भर में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग साल में दो बार ईद (Eid) का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. रजमान ईद (Ramzan Eid) मनाए जाने के करीब दो महीने बाद बकरीद (Bakrid) का त्योहार मनाया जाता है, जिसे बकरा ईद (Bakra Eid), बकरी ईद (Bakri-Eid), ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Adha) और कुर्बानी ईद (Qurbani Eid) भी कहा जाता है. इस साल 6 जून 2025 को बकरीद का त्योहार मनाए जाने की संभावना है, इसकी सही तिथि चांद के दीदार पर ही निर्भर करती है. इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के आखिरी यानी 12वें महीने धू-अल-हिज्जाह के 10वें दिन दुनिया भर के मुसलमान बकरीद का त्योहार धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है और कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. गोश्त का पहला हिस्सा अपने लिए रखा जाता है, जबकि दूसरा हिस्सा दोस्तों-रिश्तेदारों व पड़ोसियों को दिया जाता है, जबकि तीसरा हिस्सा गरीबों में बांटा जाता है.
बकरीद के दिन इस्लाम धर्म के लोग मस्जिदों में इकट्ठा होकर नमाज अदा करते हैं और गले मिलकर ईद मुबारक कहते हैं. घरों में लजीज पकवान बनाए जाते हैं, जबकि महिलाएं सजने-संवरने के साथ ही अपने हाथों पर मेहंदी रचाना काफी पसंद करती है. ऐसे में आप भी ईद-उल-अजहा के पर्व को मनाने के लिए मेंहदी के इन खूबसूरत और आकर्षक डिजाइन्स को अपने हाथों पर रचा सकती हैं. यह भी पढ़ें: Bakri Eid Mehndi Designs: खूबसूरत मेहंदी के बिना बकरीद का पर्व है अधूरा, अपने हाथों पर जरूर ट्राई करें ये लेटेस्ट डिजाइन्स
ईद स्पेशल चांद वाली मेहंदी
ईद 2025 स्पेशल मेहंदी डिजाइन
ईद के लिए खूबसूरत मेहंदी डिजाइन
कुर्बानी ईद स्पेशल मेहंदी डिजाइन
स्टाइलिश बैक हैंड मेहंदी डिजाइन
बकरीद के लिए आसान फ्रंट हैंड मेहंदी

बकरीद के लिए सुंदर बैक हैंड मेहंदी

इस्लाम धर्म की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, पैगंबर हजरत इब्राहिम ने अल्लाह के प्रति जो समर्पण भाव दिखाया था, उसके प्रति सम्मान जाहिर करने के लिए बकरीद यानी ईद-उल-अजहा का पर्व मनाया जाता है. कहा जाता है कि पैगंबर हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेने के लिए अल्लाह ने उनसे उनकी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने के लिए कहा था. वे अपने बेटे से सबसे ज्यादा प्यार करते थे, ऐसे में अल्लाह के आदेश का पालन करते हुए उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया. हालांकि उनके समर्पण से खुश होकर अल्लाह ने उनके बेटे की जगह कुर्बानी को बकरे में बदल दिया, तब से इस दिन बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा निभाई जा रही है.












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